फिर मिलेंगे S Sinha द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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फिर मिलेंगे

 

                                                                               कहानी - फिर मिलेंगे       


बरसात  के मौसम में एक दिन बोकारो स्टील सिटी स्टेशन पर नयी दिल्ली जाने वाली एक्सप्रेस के आगमन की सूचना हो चुकी थी  . ओडिशा में आयी  बाढ़ के कारण उधर से आने वाली कुछ ट्रेन रद्द कर दिए गए थे कुछ लेट चल रही थीं   .  दिल्ली के लिए बस यही एक ट्रेन चल रही थी और वह भी  बहुत  लेट चल रहीं थी   . आज भी ट्रेन पांच घंटे लेट थी   . प्लेटफार्म पर दिए संकेत के अनुसार तृषा अपने थ्री टीयर ए सी कोच की ओर बढ़ी  . आराम से चलते हुए वह अपने कोच के आने के स्थान पर खड़ी थी   . दो मिनट के अंदर तृषा का कोच ठीक उसके सामने आ कर रुका   . वह अपना कैरी ऑन स्ट्रॉलर और बैकपैक ले कर अपनी बर्थ पर जा बैठी   . जब तक वह अपने सामान ठीक करती  ट्रेन  चल पड़ी   . 


जल्द ही पैंट्री बॉय लंच का आर्डर ले गया  .लंच के बाद तृषा अपनी बर्थ पर सोने गयी   .  वह रात भर इंटरव्यू और प्रेजेंटेशन की तैयारी करने से  थक गयी थी , जल्द ही उसे नींद आ गयी   .  पैंट्री वाले की चाय की आवाज से उसकी नींद खुली तो उसने चाय ली और पूछा “ भैया , कौन सा स्टेशन आने वाला है ? “ 


“ थोड़ी देर में ट्रेन मुग़ल सराय जंक्शन पहुँचने वाली है   .  आप डिनर भी लेंगी ? “ 


तृषा ने चाय की चुस्की लेते  हुए डिनर आर्डर किया  . 


मुग़लसराय स्टेशन ( आजकल यह दीनदयाल उपाध्याय नाम से जाना जाता है ) के प्लेटफार्म पर उतर कर तृषा  अपने कोच के सामने ही चहलकदमी कर अपने हाथ पैर सीधा कर रही थी   . जब सिग्नल ग्रीन हुआ तब वह वापस आ कर अपनी सीट पर बैठ गयी  . रात के आठ बजे पैंट्री वाले ने डिनर दिया और पूछा “ मैम , आपको कहाँ तक जाना है ? “ 


“ दिल्ली , क्यों ? तुम्हारा बिल मैं अभी पे कर दूंगी   . “ 


“ नहीं मैम , वो बात नहीं है   . टी टी बाबू बोल रहे थे कि ट्रेन कानपुर से आगे नहीं जाएगी   . “ 


“ क्यों ? “  तृषा  के अलावा कुछ और लोगों ने एक साथ पूछा   . उनमें ऊपर की बर्थ का  एक युवक भी था  . वह आराम से लेटे लेटे नॉवेल पढ़ रहा था  . यह सुन कर वह भी चौकन्ना हो कर अपने बर्थ पर बैठ गया  . 


“ टी टी बाबू बोल रहे थे कि अचानक से यू पी और दिल्ली के रेल और रोड यूनियन वालों ने लाइटनिंग स्ट्राइक की घोषणा कर दी  है  ,  कल सुबह छः बजे से शाम छः बजे तक 12 घंटों के लिए   . ट्रेन अगर लेट न होती तो दिल्ली तक सुबह छः के पहले जरूर पहुँच जाती   . “  पैंट्री वाले ने कहा 


दिल्ली जाने वाले सभी यात्री यह सुनकर परेशान हुए  . तृषा के आसपास ज्यादा यात्री कानपुर के थे , उन्हें कोई समस्या नहीं थी पर दिल्ली जाने वालों के चेहरे पर हवाईयां उड़ने लगीं  . ऊपर की बर्थ वाला युवक धड़ाम से कूद कर  तृषा   की बगल में बैठ गया  .  उसने कहा “ शिट , ये स्ट्राइक मेरे ही  समय  होना था  .  मेरा तो पूरा प्लान गड़बड़ हो गया  .  “ 


 तृषा  बोली “ आप अकेले नहीं हो  .  मुझे भी बहुत परेशानी उठानी होगी  .   परसों सवेरे दिल्ली में मेरा इंटरव्यू है  .  मैंने सोचा था कि कल दिन भर अपने फ्रेंड के साथ पी जी में रहूंगी , इंटरव्यू की तैयारी करूंगी और परसों इंटरव्यू के बाद शाम को राजधानी से वापस घर लौट जाऊँगी  .  “ 


“ अरे , कैसा संयोग है  .  मेरा भी परसों सुबह 9 बजे इंटरव्यू है  . मैं कम्पनी के गेस्ट हाउस में रुकूंगा  . अब अगर दिल्ली की कोई ट्रेन मिलती भी है तो कल रात में ही मिलेगी  .  मेरी नजर में एक उपाय है  .    “ 


“ वह क्या है ? “  तृषा ने पूछा


“ हम कानपुर पहुँच कर जल्दी से जल्दी टैक्सी ले कर दिल्ली निकल जाएँ तो सुबह सात आठ बजे तक शायद दिल्ली पहुँच जाएँ  .  “ 


“ कितना फेयर होगा टैक्सी का ? “ 


“ वो तो अभी नहीं कहा जा सकता है  .  स्ट्राइक के नाम पर वे जरूर ब्लैकमेल करेंगे  .  “ 


“ मेरे पास लिमिटेड पैसा है  .  मैंने पापा से ज्यादा पैसे नहीं लिए क्योंकि रिटर्न टिकट था ही  .  “ 


“ फिलहाल पैसे की चिंता आप न करें  .  मैं मैनेज कर लूँगा  . आप जल्दी से जल्दी बताएं कि कानपूर से दिल्ली कैब से चलने के लिए तैयार हैं या नहीं ?  “ 


“ तैयार तो हूँ फिर भी पैसे की बात  … “ 


“ फिर कुछ नहीं , आप मेरा पता और फोन नंबर नोट कर लें  .  चाहें तो बाद में पैसा लौटा सकती हैं  , नहीं भी  देंगी तो बेहतर होगा मेरे लिए  .  “ 


“ वह  कैसे , क्या मतलब है आपका ? “ 


“ एक बार फिर मिलने का स्कोप रहेगा  .  बाय द वे मुझे तपन कहते हैं , तृषा जी  “ 


“ वाह , आपने मेरा नाम भी पता लगा लिया है  . आपको मेरा नाम कैसे पता चला ? “ 


“ टी टी की चार्ट से , नीचे की बर्थ पर आपका छोटा सा नाम देखा और बहुत सुंदर लगा  .  “ 


तृषा  के चेहरे पर एक फीकी मुस्कान फ़ैल गयी  .  तपन ने फोन पर कानपुर के टैक्सी ऑपरेटर से बात कर टैक्सी  बुक कर लिया  .   रात के करीब एक  बजे ट्रेन कानपुर पहुंची  .  पंद्रह मिनट के अंदर तृषा  और तपन टैक्सी में बैठ दिल्ली की ओर चल पड़े  .  


टैक्सी में बैठने के थोड़ी देर बाद तृषा ने तपन से पूछा “ टैक्सी का कितना फेयर मुझे शेयर करना होगा ? “ 


“ फिलहाल कुछ नहीं  .  अपना पता और नंबर मुझे दे देंगी तो मैं आपके पास आ कर वसूल लूँगा  बशर्ते कि आप अपना पता देंगी  .     “ 


तृषा ने इस बात का कोई जवाब नहीं दिया  .  तपन ने ड्राइवर से पूछा “ हमलोग दिल्ली कब तक पहुँच जायेंगे ? “ 


“ अभी रोड खाली है , उम्मीद है 8 बजे के पहले  पहुँच जाएँ  . शायद हड़ताल  तब तक शुरू न हो  .  कहने को  हड़ताल छः बजे से  ही शुरू है पर लोगों को इकठ्ठा होते होते आठ नौ बज ही जाता है  .  .  “ 


कुछ देर के बाद तपन ने कहा “ तृषा , छः घंटों का सफर है , हम यूँ चुपचाप तो बैठे नहीं रह सकते हैं   . फिर कभी मिलें न मिलें  . कुछ  तुम  कहो अपने बारे में और कुछ मैं कहूँ तो सफर चुटकियों में गुजर जाये . “ 


“ क्या कहें ? अभी इस मुसीबत से छुटकारा तो मिले पहले   . “ 


“ अरे यार , ये कोई मुसीबत नहीं है   . इसे एक अपॉर्चुनिटी समझो   . सॉरी मैं तुम कह गया   . “ 


“ नो प्रॉब्लम विथ तुम   . “    


“ अच्छा , तो मैं ही  शुरू करता हूँ  . मैं तपन सिन्हा हूँ , मेरा नेटिव प्लेस  पटना है   . मैं सेल के स्टील प्लांट में जूनियर मैनेजर हूँ   .मेरे  मम्मी पापा नहीं रहे   . एक छोटा भाई है जो लव मैरेज कर अपनी अलग दुनिया बसा चुका है   .  मैं दिल्ली की एक कंपनी में इंटरव्यू के लिए देने जा रहा  हूँ   . “ 


“ और , आपका अपना परिवार ? “ तृषा ने पूछा 


“ नो , परिवार   . अभी मेरी शादी नहीं हुई है   . “ 


“ हुई नहीं या किया नहीं ? “


“ कुछ कुछ दोनों , वैसे मेरी शक्ल सूरत देख कोई भी लड़की बिदक सकती है   . “  तपन बोला 


“ अच्छा मज़ाक कर लेते हैं आप   . “ 


“ खैर , छोडो   . अब तुम अपनी कहो   . “ 


कुछ पल सोचने के बाद तृषा ने अपने बारे में बोलना शुरू किया “ मैं तृषा दास  . वैसे  हमलोग उत्तर बिहार के दरभंगा शहर  के रहने वाले हैं , पापा बोकारो में नौकरी करते थे   . मम्मी नहीं रही , पापा कुछ ही दिन पहले रिटायर हुए  हैं   . हम दो बहनें हैं ,  मेरी छोटी बहन की शादी हो गयी है   . मैं भी एक इंटरव्यू के लिए दिल्ली जा रही हूँ   . “ 


“ और तुम्हारी शादी ? “ 


“ शायद मेरी भी शक्ल सूरत ऐसी नहीं जो लड़कों को पसंद आये   . जो मुझे देखने आया था मेरी छोटी बहन को पसंद कर ब्याह कर ले गया   . “   बोल कर तृषा तपन की ओर मुस्कुराते हुए देखने लगी 


“ मुझे पूरा विश्वास है वो जरूर कोई बदनसीब या सिरफिरा होगा जिसने तुम्हें नापसंद किया था   . “ 


“ खैर अब इन बातों का कोई मतलब नहीं रहा   . “ 


सवेरा होने को था , तपन ने ड्राइवर से कहा “ कहीं रुक कर चाय पीने की इच्छा है   . आगे किसी अच्छे से ढाबे में रुको  . “ 


“ साब , रुकने से देर होगी और हड़तालियों से खतरा भी है   . मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है  सकता है कि रुकने से आपलोगों को परेशानी हो  .  “  ड्राइवर बोला 


“ ठीक है , तब सीधे दिल्ली चलो  . “


दिल्ली पहुंच कर पहले तपन ने तृषा को उसके पी जी में ड्राप किया और कहा “ अब फिर कब मिलेंगे हम  दोनों ? “


“ कह नहीं सकती   . वैसे भी आज तो बंद है और कल इंटरव्यू के बाद कब फ्री होऊंगी , पता नहीं   . “ 


“ ओके , मिलने की कोशिश करना   . वैसे अगर मैं पहले फ्री हुआ तो मैं तुमसे मिलने यहीं आऊंगा   . आ सकता हूँ न ? “ 


“ श्योर , मैं तो आपकी कर्जदार भी हूँ   .  आई मीन टैक्सी फेयर  तो मुझे शेयर करना ही होगा  . “ 


“ नो वे , फॉरगेट इट   . मैं दो  साल से जॉब में हूँ और तुम जॉब ढूढ़ने आई हो   . “ 


तपन उसे छोड़ कर अपने गेस्ट हाउस गया    . पिछले दो साल से वह सेल के स्टील प्लांट में काम कर रहा था   . तृषा उत्तर बिहार में दरभंगा के एक  बंगाली परिवार से थी   . तपन इंटरव्यू देने के बाद सीधे तृषा  से मिलने गया     . वहां गेट पर खड़े गार्ड को  अपना परिचय दे कर उसने तृषा  से मिलने की बात कही   . गार्ड पी जी ऑफिस में पूछने गया   . थोड़ी देर में एक लेडी ने कहा “ तृषा  मैम तो एक घंटा पहले चली गयीं   . शाम 4.30 में उन्हें राजधानी एक्सप्रेस से जाना था    . उन्होंने आपके लिए एक लेटर दिया है   . “ 


उस लेडी ने तपन को एक लिफाफा दिया   . तपन ने लिफाफा खोल कर पढ़ा , लिखा था “ तपनजी , वैरी सॉरी   . मैं और नहीं रुक सकती थी   . मेरी ट्रेन का समय हो गया था   . मैं अपना मोबाइल नंबर दे रही हूँ , आप इस पर मुझ से सम्पर्क  कर सकते हैं  , वैसे कॉल न कर मेसेज करना ही बेहतर होगा मेरे लिए  . “ 


तपन ने घड़ी  देखी , 4. 35 pm हो रहा  था   .  तपन ने तृषा  को फोन किया “ तुम्हारी ट्रेन राइट टाइम है या लेट ? “ 


“ ट्रेन प्लेटफार्म छोड़ चुकी है   . “ 


“ तुम्हारा इंटरव्यू कैसा रहा ?  “ 


“ इंटरव्यू तो  अच्छा रहा है पर रिजल्ट वे बाद में बताएँगे  . “ 


“ अच्छा ,  मैं तुमसे बोकारो में फिर कब मिलूं ? ” 


“ फोन पर बात न करें तो बेहतर , मैं मेसेज कर आपको मिलने के बारे में बता दूंगी   . आप कब लौट रहे हैं ? “ 


“ मेरा सिलेक्शन हो गया है पर मेडिकल के लिए मुझे दो दिन और रुकना होगा  . बोकारो आ कर मिलता हूँ . “ 


“ श्योर  , बाय . सिलेक्शन की बधाई  “


तपन को चार  दिनों तक दिल्ली में रुकना पड़ा  . उसका सिलेक्शन  एक मल्टीनेशनल कंस्ट्रक्शन कम्पनी ने अंतर्राष्ट्रीय पोस्टिंग के लिए किया था  . अगले दिन उसका मेडिकल टेस्ट होना था  . दो दिन बाद उसे मेडिकली फिट का सर्टिफिकेट मिला तब जाकर उसका फाइनल सिलेक्शन हुआ  . उसे कम्पनी ने इस बात की मौखिक सूचना दे दी और कहा था कि औपचारिक नियुक्ति पत्र एक सप्ताह के अंदर मिल जायेगा  . 


तपन ने अपनी नियुक्ति का मेसेज तृषा  को टेक्स्ट कर दिया  .  कुछ ही मिनट के अंदर उसे तृषा  का जवाब मिला “ बहुत बहुत बधाई  . मेरे बड़े मौसा काठमांडू में रहते हैं  . वहां उनका अच्छा खासा बिजनेस है  . दो दिन पहले आये भूकंप में उनका काफी नुकसान हुआ है  . मौसा और उनका दामाद तो सुरक्षित हैं पर मौसी और उनकी बेटी यानी मेरी मौसेरी बहन  का निधन हो गया  . घर और दुकान को काफी क्षति पहुंची है  . पापा कल काठमांडू जा रहे हैं , मैं अकेले कैसे रहती , मैं भी जा रही हूँ  . वहां कुछ दिन रुकना पड़ सकता है   . और हाँ , मेरा भी  सिलेक्शन  हो  गया है .  एक महीने के अंदर ज्वाइन करना है  . अब देखें अब कब मिलना होता है  . “ 


तपन ने उसे  मेसेज किया  “ तुम्हारे मौसी के बारे में सुन कर दुःख हुआ  .  तुम कब तक लौट रही हो ? जल्द ही मिलने की उम्मीद करता हूँ  . तुमको भी नौकरी की बधाई  . “ 


इसके दो सप्ताह बाद तक तपन तृषा  के सम्पर्क में रहा फिर अचानक उसका मेसेज आना बंद हो गया  . तृषा  ने अपने अंतिम मेसेज में अब आगे सम्पर्क नहीं करने को लिखा था  . तपन भी इस बात पर हैरान था पर वह विवश था - तृषा  ने फोन न करने को कह रखा था और अब मेसेज का भी जवाब नहीं दे रही थी  . 


तपन की पोस्टिंग खाड़ी देश में हुई  . वहीँ एक अमीरात से दूसरे अमीरात में वह घूमता रहा , कभी दुबई , शारजाह , अबू धाबी , बहरीन , कुवैत आदि देशों में उसकी पोस्टिंग होती  . एक प्रोजेक्ट करने के बाद कम्पनी उसे दूसरे प्रोजेक्ट में भेजती रहती थी  . तपन का  वेतन लाखों में था वो भी ज्यादातर टैक्स फ्री  . इसी बीच तपन की शादी दुबई स्थित एक भारतीय परिवार की लड़की से हुई  . 


तपन की पत्नी मानसी दुबई की कंपनी में चार्टर्ड अकाउंटेंट थी  . तीन साल बाद उसे एक बेटी हुई , पिपासा   . तपन अपने परिवार में बहुत खुश था  . तपन ने दिल्ली और पटना में अपार्टमेंट बुक किया था  . तपन और मानसी दोनों ने रिटायर होने के बाद भारत में सैटल  करने का फैसला किया था  . उन्होंने सोचा  कि एक अपार्टमेंट में वे खुद रहेंगे और एक बेटी को गिफ्ट करेंगे  . नियति ने कुछ और ही सोच रखा था  . दुबई से अबू धाबी जाते समय कार दुर्घटना में मानसी की मौत हो गयी  . उस समय उसकी बेटी करीब 8  साल की रही होगी  . 


मानसी की मौत के बाद तपन का मन अब विदेश में नहीं लग रहा था  . कुछ महीने बाद वह अपनी बेटी पिपासा के साथ पटना आया  .  उन दिनों  बिहार  सहित पूरे देश में इंफ़्रा स्ट्रक्चर का विकास हो रहा था  . तपन ने अपनी एक कंस्ट्रक्शन कंपनी खोली और उसे प्रोजेक्ट भी मिलने लगे  . 


कुछ समय बाद एक दिन तपन पिपासा के स्कूल में पैरेंट मीटिंग के सिलसिले में गया था  . वह वेटिंग हॉल में बैठा मैगज़ीन पढ़ रहा था तभी प्रिंसिपल के दरवान ने कहा  “ तृषा दास आप  प्रिंसिपल से मिलने जाएँ   “ 

तृषा का नाम सुन कर चौंक तपन उठा .  उसने अपनी नजरें मागज़ीन से हटा कर देखना चाहा कि यह कौन तृषा है .  वह स्वयं पीछे की पंक्ति  में बैठा था .  उसने देखा एक औरत अपनी कुर्सी से उठ कर प्रिंसिपल के कमरे की तरफ बढ़ी .  उसके साथ 8 - 10 साल का  एक बच्चा भी था .  उसे तृषा को पहचानने में तनिक भी देर न लगी .  जब तक वह उठ कर तृषा तक जाता वह प्रिंसिपल के कमरे में जा चुकी थी .  


करीब 10 मिनट बाद तृषा जब बाहर निकली तपन ने उसे आवाज दिया “ तृषा .  “ 


तृषा  सर नीचे किये हुए जा रही थी , अपना नाम किसी से सुन कर उसने आवाज की दिशा में देखा तो वह भी ठिठक कर खड़ी हो गयी .  तपन जल्दी जल्दी उसके पास पहुंचा और बोला “ तृषा ,, तुमने  पहचाना मुझे ? “


“ ऑफ़ कोर्स यस .  आप तपन .  दिल्ली वाले .  “ 


“ दिल्ली वाला नहीं अब पटना वाला .  और ये तुम्हारा बेटा है ? “ 


“ हां , मेरा बेटा तापस .  और तुम यहाँ पटना में कैसे , तुम्हारी पोस्टिंग तो फॉरेन में  थी ? “ 


तभी तपन को प्रिंसिपल से मिलने का संदेश मिला .  वह बोला “ तृषा , तुम कुछ देर रुक सकती हो ? तब तक  मैं प्रिंसिपल से मिल कर आता हूँ .  “ 


“ हाँ , मैं वहां लॉन में बेंच पर बैठती हूँ .  “   तृषा ने लॉन की ओर इशारा करते हुए कहा 


करीब 15 मिनट बाद तपन लॉन में गया और तृषा के नजदीक बेंच पर बैठ गया  .  वह बोला “ मैंने कहा था न फिर मिलेंगे और देखो मिल ही गए .  पर इतने दिनों के बाद , करीब 15  साल बाद .  तुमने मुझ से सम्पर्क क्यों तोड़ दिया ? मैंने तो ऐसा न कुछ किया या कहा था .  “ 


“ इसमें किसी का दोष नहीं है न आपका न मेरा , दोष है तो तक़दीर का  .”


“ यहाँ स्कूल में बच्चे के एडमिशन के लिए आई हो ?  और इतने दिन कहाँ रही और क्या हुआ जो तक़दीर को कोस रही हो  . “ 


“ मेरी बेटी मंजू भी इसी स्कूल में पढ़ती है  . उसी के बारे में प्रिंसिपल से मीटिंग थी  .  बेटे का एडमिशन भी यहीं कराना चाहती हूँ  . इस बारे में भी बात करनी थी  . “ 


“ तुम्हारी बेटी भी है ? “ 


“ हाँ , वह मानस  से करीब तीन  साल बड़ी है  . “ 


“ और तुम्हारे हस्बैंड कहाँ हैं , क्या करते हैं ? 


“ वे अब इस दुनिया में नहीं हैं  . “ 


“  ओह , वैरी सॉरी  . “ 


“  अब यह  बात पुरानी हो चुकी है , नए सिरे से जीने की कोशिश कर रही हूँ  . और आप यहाँ कैसे ? “  


“ मेरी पोस्टिंग गल्फ में थी  . वहीँ की एक देशी लड़की से शादी हुई  . कुछ वर्ष पहले एक कार एक्सीडेंट में वह चल बसी और अपनी एक निशानी हमारी  बेटी को छोड़ गयी  . मेरा मन विदेश में नहीं लगा और मैं यहाँ चला आया  . पिपासा मेरी बेटी का नाम है और वह भी इसी स्कूल में पढ़ती है , उसी के लिए प्रिंसिपल के साथ मीटिंग थी  .


 “ ठीक है ,  अच्छा अब चलती हूँ  .  “ 


“ अरे , अपना अता पता , फोन नंबर तो देती जाओ  . “ 


“ आप  अपना सेल फोन एक मिनट के लिए  दें   . “ 


तृषा ने तपन के सेल से अपने नम्बर पर कॉल कर दो रिंग के बाद उसे काट दिया और कहा “ मेरा नंबर सेव कर लें  . अच्छा अभी चलती हूँ , बाय  . “ 


तृषा अपने ससुर और  पति के निधन के बाद काठमांडू का सब बिजनेस और संपत्ति बेच कर पटना आ गयी थी   . पटना में पिता के साथ रहती  थी . उसने बी कॉम किया थ,  उसे अपने नेपाल के बिजनेस का अनुभव भी था  . उसे एक कंपनी में अकाउंटेंट की नौकरी मिल गयी   . वैसे उसके पास पर्याप्त धन था , नौकरी उसकी मजबूरी नहीं थी  . दिन भर बेकार बैठ कर अतीत की कड़वी यादों से बचने के लिए उसने नौकरी शुरू की थी  . 


कुछ ही दिनों बाद तपन तृषा से मिलने गया और उसने तृषा से उसकी अतीत के बारे में पूछा  . तृषा बोली “ जब मैं अपने पापा के साथ मौसी के घर काठमांडू गयी तो वहां का हाल देख कर हमलोगों को बहुत दुःख हुआ  . मौसी और उनकी बेटी जलजला के मलवे  में दब कर मर गयी थीं . जीजा और मौसा दोनों जख्मी थे  . दो साल की बच्ची मंजू को खरोच तक नहीं आयी थी  . पर उसे देखने वाला कोई नहीं था  . मैंने उसकी देखभाल शुरू की  . मौसा और जीजा कुछ दिनों बाद ठीक हो गए  . उन्हें छोटी बच्ची के लिए माँ की जरूरत थी  .मौसा ने  मेरे सामने जीजा से मेरी  शादी का प्रस्ताव रखा  .  मौसा ने मुश्किल दिनों में हमारी काफी मदद की थी  . मैंने अपनी नौकरी की बात कही उनसे तो मौसा और पापा ने समझाया कि मौसा का यहाँ इतना बड़ा बिजनेस है , मैं इसमें हाथ बटाऊँ  . “ 


“ और तुम मान गयी ? “ 


“ तो क्या करती , विद्रोह ? मेरे सीने में भी एक औरत का दिल है  . खास कर मंजू को रोता बिलखता देखती तो बहुत दुःख होता  . मेरी शादी हुई और दो साल बाद मुझे एक बेटा हुआ  . सब कुछ बहुत अच्छी तरह चल रहा था पर काल को यह रास न आया  . एक एक करके मौसा और मेरे पति दोनों को काल के हाथों खो बैठी  . पापा अभी जिन्दा हैं   . मैं नेपाल का कारोबार समेट कर पटना आ गयी  . “ 


तपन और तृषा अब वीकेंड में जरूर मिला करते  . उनके बच्चे भी आपस में मिलते जुलते , कभी पढ़ाई लिखाई की बातें करते तो कभी खेलकूद करते  . एक दिन जब तपन तृषा के पास आया तो उसकी बेटी ने उस से कहा “ अंकल क्या आप और मम्मी पहले सिर्फ एक बार सफर में मिले थे , उसके बाद फिर कभी नहीं मिले ? “


“ नहीं बस एक बार दिल्ली के सफर में , वह  एक सुहाना इत्तफाक था  . मैं दोबारा तुम्हारी मम्मी से मिलने गया था पर तब तक तृषा दिल्ली छोड़ चुकी थी  . उसके बाद फोन पर कुछ बातें हुईं और जब भी बात होती मैं कहता था कि जल्द ही हमलोग फिर मिलेंगे  . और देखो अब मिल ही गए बल्कि अब मिलते ही रहते हैं  . “ 


तृषा का छोटा बेटा यह सब देख सुन रहा था , उसने कहा   “ क्या अब हम सभी एक ही साथ मिलजुल कर एक ही घर में नहीं रह सकते है ?  . “ 


यह सुन कर तृषा और तपन दोनों  एक दूसरे को देखने लगे  . तपन ने कहा “ सच पूछो तो मुझे तृषा से मिलने की बड़ी इच्छा थी और उम्मीद भी थी  . मेरे फ्लैट दिल्ली और पटना दोनों शहर में हैं  पर मैंने पटना में रहने का फैसला किया . तब मैंने सोचा भी न था कि तुमसे पटना में मुलाक़ात होगी  . और देखो मेरा  फैसला कितना अच्छा रहा , इसे इत्तफ़ाक़ कहो या मेरा नसीब , आज तृषा मुझे मिल गयी  . अब आगे साथ रहने का फैसला वही होगा जो तुम सब लोगों की इच्छा होगी  . क्यों तृषा मैंने ठीक कहा न ?  “ 


तृषा कभी तपन को  तो कभी बच्चों को देखती , तीनों बच्चे एक साथ बोल उठे “ अब हम एक साथ रहेंगे  .नहीं तो कल से हमलोग भूख हड़ताल पर जायेंगे  .  “ 


“ हमारी पहली मुलाकात भी एक हड़ताल के चलते हुई थी और आज अब बच्चों ने भूख हड़ताल की धमकी दी है  . कभी कभी बच्चे भी अनजाने में सही सलाह देते हैं , जैसा कि अभी  . इसलिए इनकी सलाह हमें मान लेनी चाहिए अगर  तृषा तुमको कोई आपत्ति नहीं हो तब  .अब  तुम्हारा फैसला क्या है ? “ तपन ने तृषा से बेबाक पूछा  


तृषा के चेहरे पर मुस्कान फैल गयी , फिर उसने शर्म से सिर झुका लिया  . यही उसका मौन स्वीकार था  . 

 

  समाप्त  


 नोट - कहानी पूर्णतः काल्पनिक है  .