सुकून SARWAT FATMI द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

सुकून

सुकून 

 कभी तेरे लिए मैं,
और मेरे लिए तुम एक अजनबी थे 

 पर अब मेरी जिंदगी बन गए हो
मेरे दिल के सुकून बन गए हो
मेरे हर खुशी अब तुमसे ही है
तेरे बिना एक पल भी गुजारा भी नामुमकिन है 

 कब कैसे मेरी जिंदगी में तुम इतने खास बन गए
अब कहां यह तुम्हारी दूरियां बर्दाश्त होती हैं 

 हर पल तेरी यादों के घेरो में बंधी रहती हूं
कभी-कभी तेरे साथ बिताए हर पल मेरे चेहरे पर खुशी बिखेर फिर देती है
मेरे होठों पर मुस्कुराहट कभी.....
आंखों में आंसू बनकर उतर जाती है

 यह तेरी यादें ही तो है जो हर पल मेरे साथ रहती है 
 कभी-कभी लगता है
अपना हर पल तेरे साथ बैठकर, हाथों में हाथ लेकर,
तेरे कंधे पर सर रखकर
यूं ही वक्त को गुजरता देखू
तेरी बातें ही तो है जो मुझे सुकून दे जाती है 

 टूट कर फिर खड़ी हो जाती हूं
तेरा ही तो हौसला है
तेरे इस हौसले से ही तो अब मैं हूं
वरना कब की तो टूट जाती
 तेरा साथ चलती रहूं
पर क्यों लोगों को यह बात गवारा नहीं
एक साथ ही तो मांगा था
पर वह भी कहां मिल पाता है
यह दस्तूर लोगों का कुछ समझ नहीं आता
मेरे होंठ कुछ कहे या ना कहे,बस लोगों की परवाह न करना

मेरे पास आ जाना मेरी खामोशी को बड़े खामोशी से एहसास करना
मेरे दिल की बेकरारी को कुछ इस तरह से मिटा देना के पास आना मेरे....
और मेरी बाहों में ही बस जाना तुम 

 तेरी बाहों में एक सुकून सा मिलता है
कैसे कहूं गलत नहीं हुँ
बस तेरा साथ अच्छा लगता है 

 तेरे में बस जाने को मन करता है
क्या अपनी बात कहने का भी हक नहीं
क्यों सारी सवालात मेरे कंधे पर
क्यों मैं खुश नहीं रह सकती
क्या मेरी जिंदगी के कुछ पल
मेरे नहीं हो सकते
सवाल तो बहुत है बस तेरी एक झलक मेरे दिल को सुकून दे जाती है

 कभी मेरी जज्बातों को बड़े प्यार से समझाना
गलत नहीं हूं जितना सब ने कह दिया
मेरे आंखों में दर्द,
वह बिखर कर रोना
तेरा गले लगाते हुए मुझे सुकून देना
कुछ बातें शायद बिना कहे समझ जाना 
शायद इसलिए तेरा साथ मुझे अच्छा लगता हैँ 

जब सिसकियाँ भर्ती हुँ 
और तुम्हारा कॉल करके ये पूछना 
तुम ठीक हो???
ये बातें हीं तो मुझे सुकून दे जाती हैँ 

बिना कहे हर बात तुम दूर रह कर समझ जाते हो 
यही समझदारी हीं तो मुझे सुकून दे जाती हैँ 

जब अपनों के हीं सवालों के घेरो मे खड़ी होती हुँ 
तब तुम्हारी नज़रे हीं मुझे सुकून दे जाती हैँ 

चाह कर भी, मैं इस रिश्ते को बयान नही कर सकती
क्या हो तुम मेरे लिए, ये सवाल में खुद से भी पूछ लेती हुँ 

 कभी फुरसत से बतादूंगी तुम्हे अपने हाले दिल 
कुछ ऐसे राज़ हैँ जों काफ़ी दिनों से दिल के किसी कोने मे दफ़न हैँ 
मैं मौसम नही जों बदल जाऊं 
तुमहे दगा देकर निकल जाऊं 
मैं वो शख्स हुँ जों तेरे बदलते वक़्त मे भी, पहले खड़ी रहूँ
जिंदगी के वो हिस्सा हो तुम
जों ना रहे तो जिंदगी काटनी मुश्किल हो जाए 

जनाब, इंसान हीं तो हुँ, अगर दिल तुमसे लगा ही लिया
तो क्या गलत किया 
मेरे ज़ेहन को सुकून तुमने दे हीं दिया
तो क्या गलत किया 
शुक्रिया, मेरे सुकून.. शुक्रिया