ज़िंद्गी
कहते हैं ज़िंद्गी बहुत खुबसूरत हैं
पर मेरे साथ ऐसा क्यो नही
कहते हैं प्यार ही ज़िंद्गी हैं
पर मान्ने को मैं क्यो नही
कहते हैं साथ ना छोडुँगा
पर उनपर विश्वास क्यो नही
कहते हैं तुम हो मेरी जान
पर मैं उनकी ज़िंद्गी क्यो नही
कहते हैं इंतेज़ार करते है तुम्हारा
पर वो मेरे साथ क्यो नही
कहते हैं हमेशा साथ हूँ तुम्हारे
पर मुड कर देखा तो पास क्यो नही
किसी रोज़
दर्द क्या होता हैं बतायेंगे किसी रोज़
कमाल की गज़ल तुम को सुनायेंगे किसी रोज़
थी उनकी ज़िद्द की मैं जाऊ उनको मनाने
मुझको यह वहम था वो बोलायेगा किसी रोज़
कभी भी मैं तो सोचा भी नही था
वो इतना मेरे दिल को दुखायेगा किसी रोज़
हर रोज़ आइने से यही पुछती हुँ मैं
क्या रुख पे तबस्सुम सजेगा किसी रोज़
उडने दो इन परिंदे को अज़ाद फिज़ावो मे
तुम्हारे हाँ अगर तो लौट आयेगा किसी रोज़
अपने सितम का देख लेने खुद ही सजी हुँ
ज़खमे ज़िगर तमाम लोग देखेंगे किसी रोज़
चले जाओगे
चले जाओगे बेशक मेरी ज़िंद्गी से
मगर इस दिल से किस तरह जाओगे
आयेगी जब मेरी याद आंशू ही बहाओगे
चाहोगे मुझसे मिलना पर मिल नही पाओगे
पुछेगा कोई मेरे बारे मे तो
गलती मेरी ही बाताओगे
होंगे तुमहारी महफील मे सभी
मगर हमे नही पाओगे
महफिल मे रहकर भी तनहा हो जाओगे
सोचोगे जब मेरे बारे मे
तो फिर पचताओगे
माना की मिल जायेंगे बहुत से
मगर मुझे कहा से लाओग
सोचा ना था
हम ने सोचा था के प्यार दे जायेंगे तम्हे
कस्ती पर बैठ कर किनारे तक ले जायेंगे तम्हे
सोचा था तुम्हे जहाँ की खुशीयाँ दे जायेंगे
पल पल की खबर रख कर चहरे
पर मुस्कान रख कर
तुम्हे हँसाने की कोशीश कर जायेंगे
कभी सोचा था यूही चलेंगे साथ तुम्हारे
यूही तुम रुक जाओगे सोचा नही था
अच्छा लगता हैं
ज़िंद्गी हमे किस मोड पर ले आयी हैं ना
मरना अच्छा लगता हैं
किस किस से कहु अपने दिल की बात कभी
अपने तो कभी पराये अच्छे लगते हैं
कैसे अपने दिल को समझाऊ के
आंखो मैं अश्क लेकर मुश्कुराना अच्छा लगता हैं
कभी भिड मे लगता हैं आवाज़ आयी किसी की
मुश्कुराना अच्छा लगता हैं
कभी सभी को हँसाना अच्छा लगता हैं तो
कभी उन के हिस्सो मे शामील होकर
गमो को छूपाना अच्छा लगता हैं
पहला प्यार
ज़िंद्गी का पहला प्यार कौन भूल पाता हैं
ये पहली बार होता हैं जब कोई किसी को
खुद से बड कर चहता हैं
उसकी पसंद उसकी खवाहिश मे
खुद को भुल जाता हैं
अकेले मे उसका नाम लिख कर मुश्कुराता है
बात होने के बाद फिर कुछ कहना रह जाता हैं
होता हैं खुबसुरत इतना पहला प्यार
तो ना जाने क्यो अकसर अधुरा रह जाता है
सोचती हूँ
किताबो के पन्ने पलट कर
सोचती हूँ
यू पलट जाए ज़िंद्गी तो
क्या बात हैं
तमन्ना जो पुरी हो ख्वाबो मे
हकीकत बन जाए तो क्या बात हैं
कुछ लोग मतलब के लिये ढुँढ्ते हैं मुझे
कोई बिन मतलब के आए तो क्या बात हैं
कतल कर के तो सब ले जाएंगे
दिल मेरा कोई बातो से ले जाए तो क्या बात हैं
शामिल होना
भिड मे तुम्हारे हिस्सो मे शमिल होना चाहती हूँ
तुम्हारे खवाबो को सच करने के
लिए हौसला देना चाहती हूँ
हो जाए गलतिया तो उसे
सुधार कर बढना चाहती हूँ
मैं कुछ नही हूँ तुम्हारे लिए
पर कुछ ना होकर भी होना चाहती हूँ
तुम्हारे हाथो को हाथ मे लेकर
तुम्हारे साथ चलना चाहती हूँ
खवाबो को सच कर के सभी को खुश रखना चाहती हूँ
मुश्किल हैं
मोहब्बत का इरादा बदल भी मुश्किल जाना है
तुझे खोना भी मुश्किल हैं
तुझे पाना भी मुश्किल हैं
ज़रा सी बातो पर आंखे भिगो के बैठ जाते हो
तुझे अपने दिल का हाल बताना भी मुश्किल है
उदासी तेरे चेहरे पे गवरा भी नही
लेकिन तेरी खातीर चांद सितारे तोड कर लाना भी मुश्किल हैं
यहाँ लोगो ने खुद पे पर्दे इतने डाल रखे है
किस के दिल मे क्या है
नज़र आना भी मुश्किल है
तुझे ज़िंद्गी भर याद रखने की कसम तो नही खायी है
पर एक पल के लिये तुझे भुल जाना भी मुश्किल हैं
उलझन
अपनी ही उलझनो मे फसी जा रही हुँ मै
खुद से दुर भाग रही हुँ मै
डर है मुझसे मेरी हकिकत जान ना जाये कोई
इसलिये अपनो से दुर जा रही हुँ मै
किस किस कहुँ अपने दिल की बात
कोई समझने वाला मिला नही
आईना भी मुझसे नज़रे फेरने लगे
हकिकत सुनाऊ किस से
ज़िंदा लाश बन के जी रही हुँ मै
एहसास अपनो को बाताऊ कैसे
जो मेरे चाहने वाले थे
अब उन्होने ही मुख मोड लिया मुझसे
ये दुखडा सुनाऊ किस से
याद करना
तुझे याद करते हैं
खुदा के नाम के बाद
कभी सुबह से पेहले
कभी शाम के बाद
कभी मिलो तो कुछ करे बाते
कुछ शाम से पेहले
कुछ शाम के बाद
दिल की दिवारो पे तेरा नाम लेखते
कभी फुरसत मे तो कभी
काम के बाद
मेरे मरने के बाद भी
लोग तुझे पुकारेंगे
कभी मेरे नाम से पेहले
कभी तेरे नाम के बाद
तेरे बिना
तेरे बिना जिना भी मुश्किल है
तेरे से दुर रेहना भी मुश्किल है
थोडे ही दिनो मे तुमहारे दिल मे
जगह बनाना भी मुश्किल है
एक पल ना देखू तो भी मुश्किल है
तुझे करिब लाना भी मुश्किल है
तेरे से दुर रेहना भी मुश्किल है
किसी के बाद देखना भी मुश्किल हैं
साथ तेरे चलू तो भी मुश्किल है
तुम्हे सपनो मे देखना भी मुश्किल है
सपनो मे ना आऊ तो भी मुश्किल है
समझ मे नही आता कैसे समझाऊ दिल को
वो तुम्हारे बिना रेहना भी मुश्किल है
एक सपना
एक सपना देखा बहुत प्यारा
पुरा करना बन गया मक्सद मेरा
बहुत मुश्किलो से वहाँ पहुँची
कभी खुद को भुल कर,कभी दुनिया को भुल को
ना जाने कितने ही राते सोई नही
ना जाने कितनो को भुल गई
रिस्तो से दुर भाग कर,अपनो का अपना बना कर
खुद को हौसला देके आगे बढी
मेरी तकदीर पर सभी खुश होते
मुझे हौसला देते और मुझे हिम्मत मिलती
जब जब मै टुट्ती अपनी परिवार
को आंखे बंद कर के याद करती
काश अम्मी होती तो उनसे बाते कर लेती
अब्बु से हिम्मत,हौसला लेलेती
भाई,बेहनो से दो चार पल मुस्कुरा लेती
दोस्तो से मज़ाक कर लेती
पर क्या करू उन सभी कि
गुनाहगार बन कर रह गयी
मेरे सपने मेरी हिम्म्त मेरा
हौसला सभी बिखर कर रेह गये
मै अपने सपने के करीब जाकर
लौट आयी,हो गयी कुछ ऐसी बात
आज बिन सपनो के जी रही हुँ मै
आज खुद से दुर भाग रही हुँ मै