मै और मेरे पापा SARWAT FATMI द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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मै और मेरे पापा

मै और मेरे पापा

मै और मेरे पापा... जब अपनी आँखे बंद करता

हूँ तो उंनकी यादे , उनकी तस्वीर नजर आ

जाती है।

कभी पापा का डाँट कर स्कूल भेजना तो

कभी बिस्कीट दे कर प्यार से गले लगाना

कभी दोस्तो के साथ धुप मे खेलते हुए

देख लेना , तो कभी दुसरो के बागीचे

से आम तोड्ते हुए देख लेन….

और घर डरते हुए आकर अम्मी के

गोद मे सर रख के सो जाना....

और पापा की मार से बच जाना.....

कभी गंदे कपडे पहने हुए रहना और

अम्मी से मार खाना ....

और गुस्से मे रोते हुए खेत मे चले जाना...

फिर चुपचाप घर वापस आ जाना....

कभी हँसना , कभी रोना , कभी गुस्सा करना ....

एक पल मे सब कुछ बदल गया....

मै अकेला हो गया..

मेरी अम्मी मुझसे दुर चली गई….

पापा का बाहर जाकर कमाना,

ना डाँट , ना प्यार सब बदल

गया, अम्मी के जाते ही....

मै अकेला हो गया अम्मी खवाब मे आकर

समझाती..... मै खुश हो जाता....

मेरा Board का Exam देने जाना,

वहाँ एक लडकी से मेरी

मुलाकात होना थोडी गूस्से वाली , थोडी जिद्दी

पर अच्छी थी....

वो और कोई नही मेरी हमसफर थी

हम पहले दुश्मन बने फिर दोस्त,

और फिर हमसफर....

उसके आते ही सब कुछ बदल सा गया,

मै अपने खेतो मे ज्यादा वक़्त देता था और

पढाई पे कम, जो मेरी अम्मी को भी पसंद

नही था ।

मेरी हमसफर ने मेरे हाथो को थामते हुए

कहा , आप पढाई करो और शहर

चले जाओ ऊसकी नम आँखे सब कुछ

कह गई .......

मैंने अपनी Scholorship से पढा और शहर

आ गया , Teaching करने लगा ….

उसे बताया वो बहुत खुश हुई कुछ दिनो

के बाद मैंने उसे अपने पास बुला लिया

हम बहुत खुश रहने लगे …..

फिर मेरे घर एक बाबु आया

और हमारी दुनिया बदल गई ….

कुछ दिनो के बाद मै Government Job

करने लगा …..

जिन्दगी मे उतार चढाव बहुत देखा कभी

रोता, तो कभी हसँता , तो कभी......???

इन सभी हालातो मे मेरा सहारा मेरी

हमसफर और मेरे बच्चे थे। ....

आज अपने बच्चो को .... देख , उनकी

खुशी को देख कर खुश हो जाता हुँ-----

मै और मेरी हमसफर आज भी अपनी

दुनिया को सोच कर एक दुसरे

के हाथो को थाम लेते है –

आज मै अपने पापा से मिलने गया,

अपने बच्चो अपने हमसफर के साथ

मेरे बच्चे खुश है , अपने “दादा” से मिल के

हमसफर खुश है... और मै भी ----

हम सभी इक्ठा हुए थे , वापस पुरानी

बाते याद कर के हँसना , दोस्तो

के साथ खेत पे जाना लडाई झगडा

गाली देना मजाक करना ,

एक ही पल मे बच्चपन की बात

याद आ गई....

अम्मी काश.... आप होती मेरे पास....

तभी अम्मी का एहसास होता और प्यार....

से केहना मै हर पल तुम्हरे साथ हुँ....

और ये एहसास कर के खुद मे

रो पड़ना....

मेरी हमसफर का प्यार से समझाना

मेरा समझ जाना....

फिर घर वापस आ जाना, सारे लम्हो

को दिल मे संजो कर....

“ अपने बच्चपन की यादे ,

अपने दोस्तो के साथ खेलना ,

खेतो से आम , गन्ना चुराना ,

पापा की डाँट और माँ का बचाओ

के लिए आना....

आँखे नम होना माँ के गोद मे

सर रख कर सोना....

माँ का कहानी सुनाना मेरा बिना

खाना खाए सोना....

बच्चपन की बाते, याद करते ही

रो पड़ना....

मेरी जिंदगी मे मेरी हमसफर का आना

उसका हौसला देना ....

मेरा आगे बढना उसके चेहरे मे

खुशी वाला चेहरा देखना....

कभी मेरा टुटना और उसका समभालना

शुक्रीया के वो मेरी जिन्दगी मे आई ….

हम सब परीवार बहुत खुश है अपनी

छोटी सी दुनिया मे....

बच्चो को आगे बढते हूए देखना

उनकी खुशी हमारी बन गई....

फिर अचानक फोन आया और मै

खामोश हो गया....

मै अब और भी अकेला हो गया....

मेरे पापा भी मुझे छोड़ गए....

मै, और मेरा परिवार अपने गाँव की और चल पडे ।

रास्ते भर ये सोचता रहा के मै

आखिरी वक़्त तक मै अपने

पापा के पास नही था ...

और रो पडा...

मेरी हमसफर ने मेरे आँसू पोछते

हुए कहा, आप नही थे ....

पर दिल दिमाग वही था....

उसका इतने अच्छे अंदाज से

समझाना के मै उसे देखता ही

रह गया....

मै अपने घर गया और जब

अपने पापा को देखा, तो

मै वही उनके पास ही बैठा रह गया....

उनके आँखो की और देखा और

याद आता के मेरी गलती

पे मुझे पापा आँखे दिखाया करते थे,

उनके हाथो को जब अपने

हाथ मे लिया तो लगा , जब पापा मुझे

मारते थे और मुझे अपना हाथ

पकड़ के मेले मे ले जाते, करीब लाकर

गोद मे उठा लेते थे ।

इन्ही हाथो ने मुझे पढना लिखना

सिखाया और आज....

कभी उनकी होठो को देखते तो लगता

के अब पापा कह ना दे

इतनी देर से कहा था ????.....

मै रोते हुए उनके पेशानी को चुमते हुए

गले लग गया....

तभी एक आवाज आई और मै डर गया....

वो आवाज मेरी थी.... और कह

रही थी के तुमने कई साल

बाद अपने पापा के पेशानी को

चुमते हुए गले लगाया....

और मै उस पल सिसकियो मे

रो पड़ा....

जिन्दगी का ना भुलाने वाला पल

अम्मी को खोया तब मै छोटा था

और आज पापा को खोया तो मेरी

ऊम्र आधी गुजर गई....

अफसोस मै अपने पापा के उस

ल्म्हो मे नही था ,

उनकी आखिरी अवाज नही सुन पाया

उनकी यादे याद आती है ।...

मै अकेले उनके पास बैठ कर सोचता

रह गया......

मैंने आज अपने पापा को चुमते हुए

गले लगाया, और सोचा

ये प्यार से चुमते हुए गले लगाना , मैंने

10 साल की उम्र मे किया था

और आज उनकी मौत पर ---- !!!!

‘’अश्क आँखो मे है दिल के ख्वाब टूटने से

हम भवर मे फसे है तेरा साथ छुटने से

रूह तन्हा है, लेकिन शिकवा नही है ,

मेरे पापा आपके रूठने से

अकेले है हम विराने सफर मे,

है बेचैन धडकन , हर कदम टूटने से

हम मज़धार मे है पर शिकवा नही है ,

मेरे पापा आपके रूठने से

ना नापाक हम थे ना की थी बूत परस्ती

है सफेद मे शायद , स्वाभिमान टूटने से

बेवफा हम नही थे, बेवफा हो गए है ।

पापा , वफा जाम फूटने से

ये दुनिया है, क्या एक रंगीला बसंत

और बदरंग है , हम हर रंग छुटने से

हम जिन्दा है लेकिन अफसोस दिल से

पापा आप के मौत के रूठने से’’