डेविल सीईओ की मोहब्बत - भाग 40 Saloni Agarwal द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

डेविल सीईओ की मोहब्बत - भाग 40

अब आगे,

और अब अर्जुन अपने आप से ही कहता है, 

" लगता है तुम्हे मेरी द्वारा प्यार से समझाई गई बाते समझ में नही आती हैं तो अब जो भी तुम्हारे साथ होगा उस की तुम खुद ही जिमेदार होगी, माय अरु बेबी..!" 

अब आराध्या को अपने कमरे से भागता देख कर, कुछ देर अर्जुन ने अपने कमरे के बाहर देखा और फिर अपनी चेहरे पर एक डेविल स्माइल लाते हुए फिर से अपने बाल को सेट करने लगता है और फिर चेंजिंग रूम में जाकर अपने आप को अपनी कंपनी जाने के लिए तैयार करने लगता है..! 

वही दूसरी तरफ,

आराध्या, अर्जुन के कमरे से तो बाहर आ गई होती हैं पर वो इधर उधर देखने लगती है क्योंकि उस को नीचे जाने के लिए सीढ़ियां नही मिल रही होती है तो उस को जो भी रास्ता ठीक लगता है वो उसी तरफ मुड़ जाती हैं और सीढ़ियों को ढूंढने लगती हैं..! 

कुछ देर तक चलने पर उस को कोने के एक साइड में नीचे जाने के लिए सीढ़ियां मिल ही जाती हैं जिन्हे देख आराध्या बहुत ही खुश हो जाती हैं और जल्दी से नीचे की तरफ बढ़ जाती हैं..! 

अब आराध्या नीचे यानी अर्जुन के विला के हॉल मे तो पहुंच गई थी मगर उस को वहा पर भी बाहर जाने का रास्ता नही मिल रहा होता है और साथ आराध्या इतनी घबराई हुई होती है कि रास्ता ढूंढने के चक्कर मे वो, बार बार अर्जुन के विला के हॉल मे रखी हुई चीजों से टकरा रही होती हैं..! 

और आराध्या के टकराने से चीजे जमीन पर गिर रही होती हैं और इन्ही चीज़ों के गिरने की आवाज से अब समीर भी जो अपने कमरे में कंपनी जाने के लिए तैयार ही हो रहा होता है वो भी जल्दी से भाग कर अपने कमरे से हॉल मे आ जाता हैं क्योंकि उस का कमरा फर्स्ट फ्लोर पर न होकर ग्राउंड फ्लोर पर ही होता है..! 

जब समीर अपने कमरे से बाहर आ जाता है तो वो, अराध्या को पहली बार देखता है और देखने के साथ देखता ही रह जाता है क्योंकि हमारी आराध्या बहुत ही खूबसूरत है साथ में आज तक जिस किसी ने भी हमारी आराध्या को देखा है वो बस उस को देखता ही रह जाता था साथ में उस की खूबसूरती मे खो सा जाता था और वही हाल अर्जुन के इकलौते दोस्त समीर का हुआ होता है..! 

समीर तो आराध्या को अपनी जगह पर खड़े होकर एक तक निहार रहा होता है पर जब आराध्या ने अर्जुन के विला में उस के अलावा भी किसी और को देखा तो वो थोड़ा घबराते हुए अब समीर के पास पहुंच जाती हैं और अपनी घबराई हुई आवाज में, अब समीर से कहती हैं, 

" प्लीज मेरी मदद करो, मुझे यहां नही रहना है, मुझे यहां से बाहर जाना है, प्लीज मेरी मदद कीजिए..!" 

आराध्या ने जब अपनी बात कही होती हैं तो उस की आंखो से अंशु बहने लगते है वही आराध्या की आवाज सुन कर समीर अपने होश में वापस आ जाता है और अब बस आराध्या के आंखो से निकल रहे अंशू को देख रहा होता है..! 

आराध्या को ऐसे रोता हुआ देख कर समीर को बिलकुल भी अच्छा नही लगता है पर वो, अराध्या के लिए कुछ कर भी नही सकता था क्योंकि वो, अपने दोस्त अर्जुन के खिलाफ नही जा सकता है..! 

समीर कुछ देर तक आराध्या को रोते हुए देखता है और फिर उस को समझाते हुए उस से कहता है, 

" प्लीज पहले आप शांत हो जाइए और मेरी बात को समझने की कोशिश करिए कि आप जितना जल्दी अर्जुन को अपना लेंगी आप के लिए उतना ही अच्छा होगा..!" 

समीर ये सब आराध्या से इसलिए भी कह रहा होता है क्योंकि वो जानता है कि आराध्या की इस हरकत पर ही अर्जुन को बहुत गुस्सा आ रहा होगा और ऐसे में अगर आराध्या ने उस को कुछ कह दिया ना तो वो आग में घी डालने वाली बात हो जायेगी..! 

समीर की बात सुन कर, अब आराध्या उस से अपने भरे हुए गले से कहती हैं, 

" न तो मुझे उस इंसान (अर्जुन) के बारे मे कुछ सुना और समझना है और न ही मुझे उस को अपना बनाना है और मुझे तो बस यहां से बाहर निकलना है वो भी जल्दी से जल्दी क्योंकि अगर वो इंसान (अर्जुन) अपने कमरे से नीचे आ गया न तो वो, मुझे फिर से अपने कमरे में कैद कर देगा और मुझे दुबारा से उस के कमरे में कैद नही होना है तो इसलिए प्लीज मेरी मदद कीजिए और मुझे यहां से बाहर निकलवा दीजिए..!" 

To be Continued......❤️✍️

इस चैप्टर पर अपने लाइक करे और कमेंट करके बताए कि आप को चैप्टर कैसा लगा और साथ में इस नॉवेल पर अपने रिव्यू और रेटिंग देना न भूले और आगे जानने के लिए पड़ते रहे मेरी नॉवेल "डेविल सीईओ की मोहब्बत" अगला चैप्टर सिर्फ मातृभारती पर।