डेविल सीईओ की मोहब्बत - भाग 3 Saloni Agarwal द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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डेविल सीईओ की मोहब्बत - भाग 3

अब आगे,

 

जानवी ने जब सुना तो वह पीछे की तरफ मुड़ कर देखने लगी, जानवी ने जब पीछे मुड़ का देखा तो पाया कि उस के ही क्लास में पढ़ने वाली एक लड़की अपने कुछ दोस्तो कम चमचियो के साथ खड़ी होकर उस का मजाक बना रही थी और साथ में अब उस को देख कर मुस्करा भी रही थी..!

 

जानवी का उस लड़की को देख कर, उस का अच्छा खासा मूड खराब हो गया और जानवी ने, बेमन से उस लड़की को देख कर उस से कहा, "देखो हिमानी, अगर तुम हमेशा की तरह तुम मुझ से लड़ने आई हो तो सॉरी, क्योंकि आज मेरे पास तुम से लड़ने का बिलकुल भी समय नही है क्योंकि मुझे कॉलेज के लिए लेट हो रहा है..!"

 

अब जानवी ने, हिमानी का मजाक बनाते हुए उस से कहा, "और हमें शांति से ब्रेकफास्ट करने दो और तुम भी जाकर कर लो, नही तो पता चले तुम्हे ही ब्रेकफास्ट नही मिला..!"

 

और अपनी बात कह कर, जानवी वहा से हंसते हुए अपनी और अपनी दोस्त अरु के ब्रेकफास्ट की प्लेट लेकर चली गई..!

 

जानवी की बात सुन कर, हिमानी ने एक टेढ़ी नजर से जानवी को देखा और उस से कहने लगी, "लड़ाई करने का मूड तो आज हमारा भी नही है और क्या तुम्हे हम लड़ाकू नजर आते है और हम तो बस ये देख के थोड़े हैरान है कि आज दासी अपनी महारानी की बिना ही आई हुई हैं और हम बस पूछने आए थे कही तुम्हारी महारानी को कुछ हो तो नही गया न..!"

 

और अपनी बात कह कर हिमानी हसने लगी और उस के साथ खड़ी बाकी लड़किया भी हसने लगी..!

 

हिमानी की बात सुन कर, जानवी ने अजीब सा मुंह बना लिया और उस की तरफ देखते हुए उस से कहा, " वो क्या है ना तुझे, मेरी और मेरी दोस्त अरु की दोस्ती हजम नही होती और शायद किसी के सही ही कहा है कि कुत्तों को घी हजम नही होता है और क्योंकि तुम भी चाहती हो कि इस कॉलेज की सबसे खूबसूरत लड़की अरु तुम्हारी भी दोस्त बने पर तुम्हारे नसीब में ये सब कहा इसलिए तुम, बस इसलिए ही हम दोनो की दोस्ती से जलन महसूस करती हो और तुम्हे क्या लगता है कि एक दोस्त, दूसरे दोस्त के लिए कुछ करता है तो वो उस का नौकर बन जाता है जबकि ऐसा बिलकुल भी नही होता है और तुम कभी ये समझ ही नही सकती हो कि दोस्ती मे ऐसा कुछ नहीं होता है बल्कि दोस्ती में कोई छोटा और बड़ा नही होता है, दोस्ती में सब बराबर होते है और अगर आप का दोस्त कोई काम नही कर सकता है तो उस का मजाक नही उड़ना चाहिए बल्कि उस का हौसला बढ़ाना चाहिए और अगर उस से वह काम नही हो रहा हो तो खुद कर लेना चाहिए और मै मानती हूं कि मेरी दोस्त अरु थोड़ी आलसी है साथ में उस से सुबह जल्दी नही उठा जाता है इसलिए ज्यादातर उस का ब्रेकफास्ट उस से छूट जाता है या फिर खतम ही हो जाता है, और अगर मै जल्दी उठ कर उस के लिए ब्रेकफास्ट की प्लेट ले लूं तो इतनी सी बात के लिए मै उस की दासी नही बन जाती या फिर वो मेरी महारानी नही हो जाती..!"

 

अपनी बात पूरी करने के बाद, अब जानवी ने हिमानी को धमकाते हुए उस से कहने लगी, "और हां अगली बार मेरी और मेरी दोस्त अरु की दोस्ती पर सवाल उठाने की कोशिश भी मत करना क्योंकि इस बार तो कुछ नही कर रही हूं पर अगली बार मैने, तुझे तेरी औकात न दिखा दी न तो मेरा नाम भी जानवी नही..!"

 

अपनी बात कह कर जानवी वहा से अपनी और अपनी दोस्त अरु की ब्रेकफास्ट की प्लेट लेकर चली गई..!

 

To be Continued......

 

हेलो रीडर्स, यह मेरी दूसरी नोवेल है। कृपया इसे अपनी लाइब्रेरी में जोड़ें, मेरी प्रोफाइल को फॉलो करे और कमेंट्स, रिव्यू और रेटिंग के साथ मुझे अपना सपोर्ट दे। अधिक जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी दूसरी नोवेल "डेविल सीईओ की मोहब्बत" और अगला भाग केवल "मातृभारती" पर।