अब आगे,
अब अर्जुन ने आराध्या के माथे पर किस करा और वहा से उठ कर चला गया..!
दूसरी तरफ,
जानवी अपने कॉलेज से निकल कर, सीधा अब वही उस एड्रेस पर जाने के लिए ऑटो रिक्शा ले लिया जहा उस लड़के ने कॉल पर बताया था...!
करीब 15 मिनट बाद,
जानवी ठीक उस जगह पर पहुंच गई जहा उस लड़के ने बोला था फिर वो ऑटो रिक्शा वाले भैया को रुपए देकर वहा किसी लड़के को देखने लगी..!
और फिर जब जानवी को वहा कोई नही दिखा तो वो, दुबारा से आराध्या के नंबर पर कॉल करने लगी तो उस को आराध्या के फोन की रिंग अपने आस पास ही सुनाई पड़ी..!
अब जानवी, उस रिंग की आवाज का पीछा करते हुए थोड़े आगे बढ़ने लगी तभी उस लड़के ने जानवी का कॉल रिसीव कर लिया तो जानवी उस लड़के से पूछने लगी, "कहां पर हो तुम...?"
जानवी की बात सुन कर, जिस पर वो लड़का किसी पत्थर के सहारे बैठा हुआ था वो उठ खड़ा हो गया और शायद वो जानवी का इंतजार करते करते थक गया होगा..!
वही जब वो लड़का खड़ा हुआ तो अब उस ने जानवी को आता हुआ देख लिया और अपना हाथ हिलाते हुए उस से कहने लगा, "इधर देखो, मै यहां हु..! "
और जब जानवी ने उस लड़के की बात सुन कर वहा देखा तो उस को वो लड़का खड़ा दिख गया तो जानवी अब उस लड़के की ओर बढ़ गई और उस से अपनी दोस्त आराध्या की फिकर जताते हुए पूछने लगी, "जब आप को मेरी दोस्त अराध्या का फोन मिला था तो क्या कोई लड़की भी आस पास दिखाई दी थी क्या..?"
जानवी की बात सुन कर, वो लड़का अपनी जींस की पॉकेट से आराध्या का फोन निकल कर जानवी को देते हुए कहने लगा, "दरअसल जब मैं यहां से जा रहा था तो मैंने किसी फोन के बजने की आवाज सुनी और जब मैने आस पास देखा तो मुझे कोई भी नजर नही आया और फिर बहुत सोचने के बाद मैंने आप का कॉल रिसीव कर लिया..!"
उस लड़के की बात सुन कर, जानवी ने उस लड़के से आराध्या का फोन ले लिया और उस को थैंक भी कहा और फिर वो लड़का, जानवी को वही छोड़ कर अपने रास्ते चला गया..!
आराध्या का फोन मिलने के बाद,
जानवी ने आराध्या को वहा पर ही आस पास बहुत ढूंढा पर आराध्या उस को कही नही मिली और अब जानवी को आराध्या की बहुत ज्यादा फिकर हो रही थी..!
जब जानवी के बहुत देर तक ढूढने तक आराध्या उस को नही मिली तो वो, अपनी हॉस्टल की तरफ जाने लगी क्युकी उस को लग रहा था कि शायद आराध्या का फोन गिर गया होगा और वो अब तक हॉस्टल पहुंच भी गई होगी..!
और यही सोच कर जानवी, अपने हॉस्टल जाने के लिए वहा ऑटो रिक्शा ढूंढने लगी..!
वही दूसरी तरफ, अर्जुन का विला,
आराध्या को अपने बेड पर अच्छे से लिटा देने के बाद, अर्जुन अपने कमरे से बाहर निकल गया और सीढ़ियों से नीचे शेखावत विला के हॉल में जाने लगा, जहा अर्जुन का दोस्त समीर और उस का पर्सनल बॉडीगार्ड तन्मय पहले से ही मौजूद थे..!
अब अर्जुन अपने किंग साइज कुर्सी पर आकर बैठ गया तो वही समीर उस की कुर्सी के साइड वाले सोफे पर ही बैठा हुआ था जो अर्जुन के आने के बाद उस से पूछने लगा, "अर्जुन, ये सब क्या है और तुम ने उस लड़की (आराध्या) जिस का जिक्र तुम ने पहले किया था मुझे लगा था कि तुम उस को अपनी फीलिंग्स बताओगे पर तुम तो बिना उस से पूछे उस को अपने विला में ले कर आ गए हो और क्यू...?"
अपने दोस्त समीर की बात सुन कर अब अर्जुन उस से बिना किसी भाव के थोड़ी तेज आवाज में उस से कहने लगा, "समीर, अब आराध्या यही रहेगी मेरे पास वो भी हमेशा के लिए और रही बात उस की मर्जी कि तो उस ने मुझे खुद से अपने पास आने दिया था और "अर्जुन सिंह शेखावत" ने उस को छुआ है तो अब कोई उस को छू तो क्या देख भी नही सकता है..!"
अर्जुन की बात सुन कर, उस का दोस्त समीर थोड़ा हैरान हो गया और अर्जुन से पूछने लगा, "आराध्या यही रहेगी जबकि मैने तो उस को पहले कभी तेरे साथ देखा तक नहीं है तो ये अराध्या, तेरी ज़िदगी से कब जुड़ गई...?"
To be Continued......
हेलो रीडर्स, यह मेरी दूसरी नोवेल है। कृपया इसे अपनी लाइब्रेरी में जोड़ें, मेरी प्रोफाइल को फॉलो करे और कमेंट्स, रिव्यू और रेटिंग के साथ मुझे अपना सपोर्ट दे। अधिक जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी दूसरी नोवेल "डेविल सीईओ की मोहब्बत" और अगला भाग केवल "मातृभारती" पर।