में और मेरे अहसास - 108 Darshita Babubhai Shah द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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में और मेरे अहसास - 108

श्रद्धा भाव से जीवन जीना आसान हो जाता हैं l

दुःख के दिनों में हंसने का हौसला लाता हैं ll

 

यकीन रख ख़ुदा देगा छप्पड़ फाड़ कर देगा l

सुख, समृद्धि, चैन औ सुकून की साँसें पाता हैं ll

 

सुन कर्म किये जा फ़ल की तमन्ना किये बग़ैर l

विश्वास करके जो भी काम कर उसमें फाता हैं ll 

 

उभरा हर एक बार इक नया इंसान बनकर l

तन की मिट्टी का अलौकिक शक्ति से नाता हैं ll

 

अपने आप में जीने का ज़ज्बा ए जुनून बढ़ा l

क़ायनात में तो हर कोई पवित्र होकर आता हैं ll

१-८-२०२४ 

 

किसी खास के लिए रंगोली सजा रहा है कोई l

जरासी बात पे रूठे हुए को मना रहा है कोई ll

 

जान से बढ़कर चाहत की रिस्तों की दुहाई दे l

सालों से लम्बी दूरियों को मिटा रहा है कोई ll 

 

ढ़ेर सारी ख्वाइशे अरमान है जिनसे आज वो l

जाने की वजह बिना बताएँ जा रहा है कोई ll

 

मिलना मिलाना इत्तफाक है शायद इसलिए l

चुपचाप खामोशी रिश्ते को निभा रहा है कोई ll

 

महफ़िल में जाम पर जाम पिये जा रहे हैं कि l

दिल जलाने के लिए तेवर दिखा रहा है कोई ll

२-८-२०२४ 

 

 

महफिल में सब से कमसिन कली हैं ll

दिल की तमन्नाएं सुहागन हो चली हैं ll

 

मांग में सिंदूर की जगह खुशियां भरी l

दुनिया वालों को यह बात खली हैं ll

 

इक हक तक इंतजार करने के बाद l

अच्छे से हमराज़ की इच्छा पली हैं ll

 

जहा से चलते चलते हाथ छोड़ा l

जानेजा रहती है ये वही गली हैं ll

 

मुहब्बत को निभाने के लिए अब l

फ़िर मिलने की आशा फली हैं ll

३-८-२०२४ 

 

ज़िंदगी की अमूल्य इनायत है दोस्ती l

रसीली नटखट शरारत है दोस्ती ll

 

निस्वार्थ प्यार का झरना बहेता l

दो रूहों की अमानत है दोस्ती ll

 

एक बार लग जाए तो छूटती नहीं है l

जाम सी नशीली आदत है दोस्ती ll

 

हसीं के पीछे का दर्द पहचान ले l

धड़कनों की हिफाज़त है दोस्ती ll

 

अपने और अपनों की खुशी को l

अपनों से ही शिकायत है दोस्ती ll

 

दोस्तों से मिलने वाला प्यार l

खुद से ही मोहब्बत है दोस्ती ll

 

मतलबी लोगों की दुनिया में l

मुनाफ़े की तिजारत है दोस्ती ll

४-८-२०२४ 

 

अजनबी से दोस्ती कर ली l

ज़िंदगी में खुशियाँ भर ली ll

 

बिना मतलब के प्यार से ही l

भीनी सी अनुभूति तर ली ll

 

दिलों के प्यारभरे रिश्ते ने l

क़ायनात की नीद हर ली ll

 

सूना सूना जा रहा था लम्हा l

आज दुनिया ही सँवर ली ll

 

उम्र से लंबी सड़कों पर l

साथ दोस्त के सफर ली ll

५-८-२०२४

 

 

दिले नादां ने दिल का करार लूट लिया l

तड़पने को उम्रभर का रोग लगा दिया ll

 

जल्द ही लौटकर आएँगे ये कह चले गये l

रोज दर्द भरे आंसुओ का जाम पिया ll

 

बेवफाई बेदर्दीके जुलामत भूले से भी कहीं l

जुबां पे न आए दर्दे हाल होठों को सिया ll

 

साथ बिताएं वो सुहाने रसीले हर लम्हें l

ना चाहते हुए भी बार बार याद किया ll

 

जो भी है यही ज़िंदगी है उसे स्वीकार के l

बारहा चाहतों औ यादों के साथ जिया ll

६-८-२०२४ 

 

ये बेहद क़ीमती अमूल्य आँखों के झरते मोती 

यूँ न बहने दो l

शिकायत है तो कह भी दो दिल ही दिल में ना रहने दो ll 

 

खुश रहो उनके लिए जो आपको खुश देखना चाहते हैं l

खामोशी सही नहीं जाती हाल ए जिगर आज कहने दो ll

 

प्यार की एक खूबी है कि इन्सां को डूबने नहीं देती l

ताक़त औ साहस का पता करने को दुःख सहने दो ll

 

दौलत, रिश्ता, वस्तु औ जिन्दगी कोई मोह न रहा अब l

दुनिया को दिखाने के लिए हसीं का गहना पहने दो ll

 

चाहने वालों की कोई क़ीमत ही नहीं बेदर्द ज़माने में l

रोक मत जहाँ जरूरत नहीं वहाँ से तुरंत ही टहने दो ll

७-८-२०२४ 

 

बूँदें बरसात की यादें ताजा कर गई l

यादें आँखों में अश्कों को भर गई ll

 

न भरनेवाले ज़ख्म देकर गया ज़ालिम l

एकाएक निगाहों की सुराही सर गई ll

 

ख्वाइशों के काफ़िले कितने अजीब है l

वादे के भरोसे दिल की नैया तर गई ll

 

दीदार की तमन्ना इस तरह बढ़ी कि l

मिलन की चाह रातों की नींदे हर गई ll

 

सुना इसी शहर में बसेरा होगा उनका l

सुकून की बात से उम्मीद सँवर गई ll

८-८-२०२४ 

 

अपनों की खुशी की ख़ातिर हसते हसते उम्र गुज़ार ली l

दर्दों ग़म छुपाकर आख़िर हसते हसते उम्र गुज़ार ली ll

 

दिन महिने सालों यूँही गुज़र जाएंगें खेल ही खेल में l

खामोशी समझकर लाजिम हसते हसते उम्र गुज़ार ली ll

 

जो भी है बस यही है कुछ न बदलेगा कभी भी संभल जा l

परिस्थितियों को वाज़िब हसते हसते उम्र गुज़ार ली ll

 

शोर दुनिया वाले सुन ना ले कहीं तो ख़ुद ही 

सिमटकर l

आज भीतर ही रहकर हाजिर हसते हसते उम्र गुज़ार ली ll

 

वक्त एसे भी दिन दिखायेगा ये ना था मालूम तो सखी l

जिंदगी से होकर वाकिफ़ हसते हसते उम्र गुज़ार ली ll

 

सरहद के पार सपने सुहाने देख रहा है कोई l

अपनों के फोटोग्राफ पुराने देख रहा है कोई ll

 

शर्म में दिन बीते इश्क़ की इतनी कहानी l

आसपास अपने बुलाने देख रहा है कोई ll 

 

हुस्न को देखने तरसती रहती है निगाहें l

दिल ए नादान को चुराने देख रहा है कोई ll

 

कुछ छुपे रिश्ते एहसास बनके रहे जाते है l

होठों से तबस्सुम लुटाने देख रहा है कोई ll

 

दुनिया गई भाड़ में किसीकी परवाह नहीं l

लम्बी दूरियों को मिटाने देख रहा है कोई ll

१०-८-२०२४ 

 

जिंदगी संवार ने में वक्त ही बीत गया l

भूल को सुधार ने में वक्त ही बीत गया ll

 

ख़ामोश रखकर मोहब्बत किए गये तो l

दिल से पुकार ने में वक्त ही बीत गया ll

 

मन के गूगल में किताबें जिन्दगी पढ़ते हुए l

रात लम्बी गुजार ने में वक्त ही बीत गया ll

 

रोज मिलना मिलाना जारी रहे इस लिए l

जीती बाजी हार ने में वक्त ही बीत गया ll

 

आँखों की कश्तियों में बैठकर जा रहे थे l

पलकों में कतार ने में वक्त ही बीत गया ll 

११-८-२०२४ 

 

कब्र पर शब्द पुष्प चढ़ाने आए हैं l

जाने के बाद प्यार जताने आए हैं ll

 

बड़े तहज़ीब औ संस्कार वाले हैं कि l

मोहब्बत दुनिया को दिखाने आए हैं ll

 

दिन में खुले आम आ नहीं सकते तो l

रात में आखरी रस्म निभाने आए हैं ll

 

आखरी बार ख़ुदा हाफीज कहकर l 

सखी करने खुदा के हवाले आए हैं ll

 

फ़िर ना कभी भी मिल सकेंगे अब l

रास्ते अलग है वही बताने आए हैं ll

१२-८-२०२४ 

 

रूह जिसकी दिवानी है वहीं इश्क़ मिरा प्रहरी हैं l

उसके प्यार से दिल की दुनिया मिरी हरी भरी हैं ll

 

बार बार ज़िंदगी दस्तक दे देकर लौट जाती थी l

बड़े सूनेपन के दिनों के बाद जाके आज सँवरी हैं ll 

 

इत्तिफाकन वफादारी की कसमें जोरौ से खाई थी l

फुर्सद में बैठकर सोचा तो लगाके कोशिशें खरी हैं ll

 

ग़लत न होकर भी ग़लत रहना सही लगा कि अब l

खामोश रखकर जो अल्फ़ाज़ न कहे वो बात धरी हैं ll

 

मजबूर थे तो जाने की वजह बताकर जाते देखो l

जहाँ छोड़कर गये थे रात वहीं की वहीं ठहरी हैं ll

१३-८-२०२४ 

 

हर खुशी हो वहां तू जहां भी रहे l

जिंदगी हो वहां तू जहां भी रहे ll

 

सदा प्यारकी बरसात बरसती रहे l

आशिकी हो वहां तू जहां भी रहे ll 

 

अँधेरे के बादल कभी ना छाए l

रोशनी हो वहां तू जहां भी रहे ll

 

फिझाएं खुशबु से महकती रहे l

ताजगी हो वहां तू जहां भी रहे ll

 

हर तमन्ना और ख्वाइशे पूरी हो l

सादगी हो वहां तू जहां भी रहे ll

१४-८-२०२४

 

कृष्णप्रिया बाँसुरी कृष्णा को पुकारे हैं l

जमना तट पर मिलने को बुलाये हैं ll

 

दिलों हचमचानेवाले सुरों को छेड़ l

रसीले नशीले रागिनी से झुलाये हैं ll

 

शब्दपुष्प को खामोश सुरों से ही l

दर्दे दिल की दास्तान सुनाये हैं ll

 

निगाहों से कौसो दूर रहकर भी l

मोहब्बतों का रिश्ता निभाये हैं ll

 

रास लीला में राधा के साथ खेले l

दो प्यार भरे दिलों को मिलाये हैं ll

१४-८-२०२४ 

 

त्यौहार जिन्दगी में ताजगी भर देते हैं l

तन मन को उत्साह से रंगी कर देते हैं ll

 

दिनों को नवप्रफुल्लित करके सभी के l

जीवन से आलस औ ग़म हर देते हैं ll

 

भेदभाव, क्लेश औ उच्च नीच मिटा के l

प्रेम संदेश को मुकम्मल सर देते हैं ll

 

स्फूर्ति,उमंग और जोश को सींचकर l

सदा जीवन के हर पहलु को पर देते हैं ll

 

संसार रूपी महासागर को प्यार से l

खुशियों के संग से लोग तर देते हैं ll

१५-८-२०२४