हॉंटेल होन्टेड - भाग - 64 Prem Rathod द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 64

ट्रिश की बात सुनकर सब हैरान होकर मेरे सामने देख रहे थे,मानो बहते हुए वक्त का एक लम्हा उनकी आँखो के सामने से निकल गया हो,सबके मन मैबस एक ही सवाल चल रहा था कि आखिर कौन हो सकता है वो इंसान? अभी सब उसी के बारे में सोच रहे थे कि ट्रिश ने फिर एक झटका हर्ष को दे दिया,"और तुम हर्ष श्रेयस से इतने सवाल कर रहे हो,तुम्हारा अतीत भी इस रिजॉर्ट से कही जुड़ा हुआ है जिसका तुम्हे पता नहीं है।" ट्रिश की बात सुनकर हर्ष हैरान होते हुए श्रेयस के पास आया वो अपनी नजरे झुकाए खड़ा था।
"श्रेयस ये क्या कह रही है,कौन सा सच और कौन है वो इंसान?" भाई की बात सुनकर मैने कुछ नहीं कहा क्योंकि मैं इस बात को वही खत्म कर देना चाहता था पर ट्रिश ने फिर उन्हीं सब बातो को सबके सामने लाकर खड़ा कर दिया था।
"जाने से भाई......अभी यह सब बातें करने का कोई फायदा नहीं है,वो सब बीत चुका है अब आने वाले वक्त पर ध्यान देते है" मैने फिर बात को टालने की कोशिश की।
"नहीं श्रेयस मुझे जानना है..... तुझे आंशिका की कसम" उसकी बात सुनकर मैं कुछ पल उसे देखता रहा क्योंकि भाई ने मुझे मजबूर कर दिया था आखिर मैने कहना शुरू किया।

"जब मैं उनसे मिलने के लिए तब मैने उनसे पूछा था कि यह सब कैसे शुरू हुआ,किसने किया और कौन है वो जो उस जगह को अपने कब्जे में कर रखा है?" इतना कहते हुए श्रेयस फिर उन्हीं यादों मैं चला गया।
"फ़िलहाल तो मैने तुझे वो रास्ता दिखा दिया है पर उससे ज्यादा इंसान अपने लालच उर स्वार्थ मैं इतना खो जाता है जिसमें उसे अपने अलावा और कुछ नहीं दिखाई देता, हर्षित की वजह से उस कहानी पर पहले ही विराम लग चुका था,सब सही भी चलता अगर राजीव वापस नहीं आता पर एक बार फिर इस कहानी ने अपने आप को दोहराया है।"
"क्या मतलब है आपका? जो भी कहना कई साफ-साफ कहिए" उस खुले मैदान में ढलते सूरज की रोशनी में बस हम दोनों खड़े थे,हमारे चारो ओर एक खामोशी फैली हुई थी और ठंडी बहती हवाओ के साथ जमीन पर खिले पौधें हिल रहे थे।

"मतलब यही कि उस जगह पर जो भी रूका एक रात नहीं बिता पाया, वहां जाने अनजाने जो भी गया उस आत्मा ने उसे मौत के घाट उतार दिया" उनकी बात सुनकर मैं कुछ सोचने लगा।
"तो फिर हम लोग अभी तक वहां कैसे जिंदा बचे हुए है?" मेरी ये बात सुनकर इनके चेहरे पर मुस्कान आ गई जैसे उन्हें पता था कि मेरा यही सवाल होगा।
"क्योंकि तुम लोग यह अपनी मर्जी से नहीं आए हो बल्कि तुम्हे यह लाया गया है,अपने आसपास ढूंढो कोई तुम्हारे बीच ही है जिसे सब सच पता होने के बावजूद वो तुम सबको यह लेकर आया है।" उनसे यह बातें होने के बाद मैं रिजॉर्ट वापस आ गया,कई बार मैने सोचा आखिर थोड़ी देर पहले जब मैं कमरे मैं बैठा हुआ था तब इस सन्नाटे में दिमाग़ पर जोर डाला,उस हॉल में जलती लकड़ियों की गर्मी की वजह से गर्म खून पूरे शरीर में तेज़ी से दौड़ रहा था, दिमाग़ में यह आने से लेकर अभी तक सारी बातें घूमने लगी और दिमाग़ में एक ही नाम आया,"मिस जेनी....."

यह नाम सुनकर सब लोगो को जैसे बड़ा झटका लगा हो,सब मिस जेनी की ओर देखने लगे,यह सुनकर मिस का चेहरा सफेद पड़ गया जैसे शरीर का सारा खून सूख गया हो,उन्होंने अपनी जगह से खड़े होते हुए कहा,"क्या मैं....तुम्हे जरूर कोई गलतफहमी हुई है."
हर्ष ने श्रेयस को बीच में रोकते हुए पूछा,"मिस से क्या मतलब है तुम्हारा? हम कुछ समझें नहीं....तुम क्या कहना चाहते हो?"

"हम सब को नहीं पता था कि हम कहाँ किस जा रहे हैं,उसका नाम क्या है, इवन हम कौनसी सिटी मैं जा रहे है ये तक पता नहीं था,वो सब सिर्फ एक इंसान जानता था और वो थी मिस।वो मिस ही है जिन्हें सब पता था कि जिन्हें पता था इस जगह के बारे में, इस जगह के नाम के बारे मे, शायद कुछ और भी......" मेरी बात सुनते ही सभी की नज़र मिस की तरफ़ चली गई और सब उनकी तरफ़ घूरने लगे, मिस मेरी तरफ़ देखते हुए अपनी बात रखने लगी,"हां....श्रेयस मुझे इस जगह के बारे में पता था पर ये मालूम नहीं था कि इस जगह पर ऐसा कुछ होगा"
"हां मिस आप ठीक कह रही हो आप को इस जगह की पूरी जानकारी नही थी इसलिए इस बात का पूरा blame आप पर डालना ठीक नहीं होगा,आप के अलावा कोई और भी है जो सब कुछ जानते हुए भी चुप रहा।"
"अगर तेरे कहने के मुताबिक़ मिस इन सब मैं एक तरह से शामिल है तो क्या मिस की जान को खतरा है?" मिलन ने जेनी की ओर देखकर कहा।
"यह क्या कह रहे थी मिलन....यानी मैं....मैं अब नहीं बचूंगी" मिस ने हकलाते हुए अपनी बात कही। वो इस कदर डर गई थी कि उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या कहे, साथ में खड़ी निशा का हाथ उन्होंने कस के पकड़ लिया था।
"नहीं मिस आपको कुछ नहीं होगा....हम सब आपको कुछ नहीं होने देंगे" मैं कुछ कहता उससे पहले भाई ने अपनी बात कही और फिर सभी मिस को दिलासा देने लगे।
"श्रेयस तू कुछ भी कर, उस बाबा को यहाँ बुला लेकिन मिस को कुछ नहीं होना चाहिए, हम मिस को कुछ नहीं होने देंगे" श्रुति चिल्लाते हुए बोली।
"लेकिन......" मेंने अभी इतना ही कहा था कि रिज़ॉर्ट का main gate तेज़ आवाज़ करते हुए खुल गया और हम सभी का ध्यान उस तरफ़ चला गया। गेट खुलते ही आर्यन और विवेक दोनों अंदर घुस आए जो अभी तक बाहर थे, बाहर अंधेरा हो चुका था और बाहर से आती ठंडी हवाई ने 'साएं-साएं' आवाज करते हुए अंदर की गर्माहट को नष्ट कर दिया।
"चलो सब.....होटल मिल गया है हमें और वह तक जाने के इंतेज़ाम भी हो गया है" सुखे गले से हंसते हुए विवेक ने अपनी बात कही लेकिन जब उसने अंदर का नजारा देखा तो वो दंग रह गया,सब तरफ बिखरे कांच,टूटा झूमर और सभी के मायूस चेहरे, उसने सबको ऐसी हालत देखकर आर्यन की तरफ़ देखा और फिर सभी की तरफ़, "क्या हुआ आप सभ ऐसे क्यूँ खड़े हैं, चलिए जल्दी, यहाँ रहना एक मिनट के लिए भी खतरनाक है, जल्दी चलिए......"
अभी उसने इतना कहा था कि उसका ध्यान वहां निशा के शरीर के टुकड़ों पर पड़ा,ये नजारा देखकर वो कुछ कदम पीछे हट गया,"यह सब कैसे हुआ?" पर सब लोग शांत खड़े थे किसी ने कुछ नहीं कहा सबके चेहरों पर गंभीर भाव बने हुए थे।

श्रेयस विवेक के पास पहुँचा और उसके सामने जाके खड़ा हो गया और उससे घुरने लगा,"तुम तो ऐसे चौंक रहे हो जैसे यह सब तुमने पहली बार देखा है,सब कुछ जानने के बाद भी अंजान क्यों बन रहे हो।"
"क्या....क्या मतलब है तुम्हारा!!?"
"खैर वो सब छोड़ो कोई मदद नहीं लाए आंशिका को बचाने के लिए, मिस ने कहा था कि तुम मदद लेने के लिए गए हो" मेंने उसे घुरते हुए पूछा तो कुछ पल को मुझे देखता रहा और फिर मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए बोला।
"सॉरी दोस्त....मेंने कोशिश तो की लेकिन यहाँ आने के लिए कोई राज़ी नहीं हुआ.....सॉरी....काश में तुम्हारी कोई मदद कर पाता।"
"ठीक वैसे ही जैसे तुम अपने पापा की भी नहीं कर पाए....." मेरी बात सुनते ही विवेक की आँखें पूरी खुल गई और उसने अपना हाथ मेरे कंधे से हटा लिया और कुछ पल मुझे घूरता रहा।
"क्या मतलब....." एक पल के लिए उसकी जबान लड़खड़ाई लेकिन उसने खुद को जल्द संभाल लिया।
"तुम्हारे पापा, मिस्टर शर्मा......." मेरी बात सुनते ही विवेक के चेहरे का रंग उड़ गया, वो एक कदम पीछे हट गया, जितना शॉक्ड वो हुआ था उसी तरह बाकी सभी भी शॉक्ड हुए थे,लोगों के चीखों से भरे रहते रिज़ॉर्ट में शांति की हवा फैल गई,इस सन्नाटे को देखकर कोई नहीं कह सकता था कि थोड़ी देर पहले यहाँ एक जिंदगी ने दर्दभरी मौत का सामना किया था।

विवेक की हालत ऐसी थी मानी मैने उसकी बहुत बड़ी चोरी पकड़ ली हो,वो कभी मुझे देखता तो कभी बाकी सबको,पसीने से भीगा उसका चेहरा बता रहा था कि वो कितने tension में है,मैने फिर एक बार अपनी बात को दोहराया,"मैं सही कह रहा हूं न मिस्टर शर्मा ही तुम्हारे पापा है ना?"
"ये क्या बकवास है,मतलब तू कुछ भी बोलेगा तो हम सब मान लेंगे" इतना कहते हुए विवेक ने श्रेयस को धक्का दे दिया,जब कोई अपनी बात को छुपाना चाहता है तो अक्सर वो इंसान अपनी बात को साबित करने के लिए गुस्सा दिखाता है पर वो यह नहीं जानता कि उसकी इस हरकत से वो सही नहीं हो जाएगा।
"आंटी यह तो ऐसे ही बकवास करता रहेगा आप सब को नहीं आना है क्या? हम हो सके इतनी जल्दी से इस जगह से निकल जाते है।"विवेक की यह बात सुनकर मैं गुस्से में उसकी ओर बढ़ा और उसका हाथ पकड़ कर प्राची की लाश के पास ले जाकर कहा,"देख ध्यान से....क्या यह सब तुझे बकवास लगता है?आज तेरी खुदगर्ज़ी की वजह से एक मासूम लड़की ने अपनी जिंदगी खो दी है।" इतना कहकर मैने उसका हाथ झटक दिया,प्राची के शरीर की ऐसी हालत देखकर उसके चेहरे के भाव बदलने लगे, उसका शरीर कांपने लगा और उसने तुरंत अपना चेहरा घुमा लिया,उसका खड़ा रहना मुश्किल होने लगा तो वो कुर्सी का सहारा लेकर बैठ गया।मैं अभी भी उसकी ओर गुस्से से देख रहा था।विवेक अपना सर झुकाए कुछ देर सोचता रहा फिर उसने जमीन की ओर देखकर कहना शुरू किया,"तुमने ठीक कहा मिस्टर शर्मा ही मेरे पापा है।"
"पापा को Architect और Ancient Structure Designs की अच्छी knowledge थी इसलिए वो AASL (Association of Architecture School & Library) में काम करते थे, दरअसल 2 महीने पहले AASL के Founder का ध्यान उस रिजॉर्ट पर गया,वो Antique चीजों मैं interested होने की वजह से उस रिजॉर्ट की चीजों को अपने Collection में रखना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने Government से भी permission ले ली हालांकि रिजॉर्ट बंध होने उन्हें भी कोई problem नहीं हुई,तब पापा को उस रिजॉर्ट को study करके वहां से unique चीज़े collect करने के लिए भेजा गया,उनका शायद दो हफ्तों का काम था और काम के सिलसिले में घर से बाहर रहना उनके लिए भी कोई बड़ी बात नहीं थी पर तभी मुझे और आर्यन को भी एक केस के सिलसिले में out of town जाना पड़ा।"
"केस से क्या मतलब है तुम्हारा? आखिर तुम दोनों क्या काम करते हो?" मेरी ये बात सुनकर विवेक ने निशा और आर्यन की ओर देखकर कहा,"हम तीनों की एक small agency है और हम तीनों detective है,हमे अक्सर बड़े बिजनेसमैन और Authority through कोई information निकालने या personal काम के लिए Hire किया जाता है।" विवेक की ये बात सुनकर सब उसे देखने लगे क्योंकि हम में से किसी को भी इस बात का अंदाजा नहीं था।

To be Continued.......