हॉंटेल होन्टेड - भाग - 63 Prem Rathod द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 63

अचानक इतनी ताक़त से वार करने की वजह से श्रेयस के हाथ में झटका लगा था जिसकी वजह से उसका दाया हाथ कांप रहा था, घेरे मैं खड़े सब लोग यह देखकर हैरान थे कि कुछ देर पहले आंशिका जो इतनी ताक़तवर थी उसे श्रेयस ने एक ही वार में इतनी दूर कैसे फेंक दिया,सब लोग अपने ख्यालों में खोए हुए थे कि आंशिका दीवार से निकलकर लड़खड़ाते हुए मेरी ओर बढ़ने लगी,वो अपना पूरा जोर लगा रही थी पर उसका शरीर थका हुआ लग रहा था,वो अभी कुछ ही कदम आगे बढ़ी थी कि जमीन पर धड़ाम से गिर पड़ी और उसका शरीर बेहोशी की हालत में चला गया।

आंशिका के गिरते ही मैं दौड़कर उसके पास पहुंच गया और मिलन की ओर देखकर चिल्लाया,'मिलन रस्सी....' मेरी बात सुनते ही मिलन दौड़कर उस घेरे से बाहर निकला और रस्सी लेकर आंशिका की तरफ आया, फिर मेंने आंशिका के हाथ पैर रस्सी से बांधे और उसे ऊपर ले जाने लगे, ऊपर पहुंचते ही मेंने आंशिका को बेड़ पर लिटाया और उसके चेहरे को देखने लगा जिसपे कभी प्यारी सी मुस्कान हुआ करती थी,उस पर आज इस शैतान ने उसकी जगह ले ली थी।

"उसने उस मासूम लड़की के शरीर पर कब्ज़ा तो कर लिया पर उसके शरीर की भी कुछ सीमाएं है" उस बूढ़े बाबा की कही बातें अब मुझे समझ मैं आ रही थी।

"श्रेयस....." कंधे पे हाथ पड़ने पर मैं होश में आया तो देखा कि आंशिका कमरे के बीचों बीच लेटी हुई थी और उसके दोनों हाथ रस्सी से बंधे थे,उसके एक तरफ़ की रस्सी खिड़की की चौखट से बंधी गई थी और दूसरी तरफ़ पलंग के कोने से।

"और कुछ करना है?" उसने मुझसे सवाल किया तो मैंने ना में गरदन हिला दी तभी उसके पीछे ट्रिश भी कमरे तक आ गई,वो सीधे आकर मेरे गले लग और कुछ देर बाद जब वो अलग हुई तो मैने उनकी आंखों में कई सवाल देखे जैसे वो कुछ पूछना चाहते हो।"क्या हुआ तुम दोनों मुझे ऐसे क्यों देख रहे हो?

"पहले तू यह बता तेरे हाथ मैं इतनी ताक़त आई कहा से जो तूने एक ही मुक्के मैं आंशिका को बेहोश कर दिया?"मिलन की बात सुनकर मैने जवाब दिया,"मैं जब बाबा से मिला था तब उन्होंने कहा था कि आंशिका के शरीर पर कब्ज़ा करके उसने अपनी ताकत को कम कर लिया है जिसकी वजह से उसके पास हर समय ताकत नहीं रहती।" मेरी बातो को वो दोनों ध्यान से सुन रहे थे मैने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा,"ये मत भूलो वो आत्मा चाहे कितनी ही ताकतवर हो पर इस वो एक इंसानी शरीर के अंदर है और हम इंसानों को दुख,दर्द,थकान,कमज़ोरी सब महसूस होता है तो बस जैसे ही मेरे दिमाग में यह बात आई तो मैं उसे उस हद तक कमज़ोर कर देना चाहता था कि वो खुद हमारे ज़ाल में फंस जाए।""वो पहले ही बहुत ताक़त आजमा चुकी थी पर आखिर मैं उस झूमर को रोकते वक्त उसने अपनी ज्यादातर ताकत उसमें लगा दी थी पर मुझे नहीं पता था कि इस पवित्र रूद्राक्ष के साथ भस्म का वार इतना असर करेगा,यह मेरा एक अंदाजा था जो काम कर गया।" मेरी बात सुनकर वो दोनों मेरे चेहरे को देखते रहे।

 

 

 

अभी मेरी बात खत्म हुई ही थी कि कमरे का दरवाज़ा धड़ाम से खुल गया,हम सब ने चौकते हुए उस ओर देखा तो हर्ष गुस्से के साथ कमरे मैं enter हुआ था,श्रेयस कुछ बोल पाता उसके पहले ही हर्ष ने श्रेयस का कॉलर पकड़ा और नीचे की ओर ले जाने लगा,श्रेयस को नीचे जाते हुए देखकर मिलन और ट्रिश भी उसके पीछे चलने लगे,जाते वक्त मिलन ने एक नज़र आंशिका पर डाली और कमरे का दरवाज़ा अच्छे से बंद करके हर्ष के पीछे जाने लगा।श्रेयस को नीचे आते हुए देखकर सब लोग खड़े हो गए,नीचे पहुंचकर उसके अपनी पकड़ मेरे गले पर मज़बूत कर दी,"यह क्या किया तूने श्रेयस....तेरी वजह से प्राची आज...." गुस्से में कहते हुए भाई ने बस इतना कहा और वह चुप हो गया और उसने मुझे धक्का देते हुए छोड़ दिया।

"पर भाई, मेरी बात तो सुन....." मैंने इतना कहा कि उसने मुझे फिर रोक दिया।"चुप हो जा, बिल्कुल चुप....." भाई नेऊंची आवाज करके मेरी ओर घूरते हुए कहा,"जानता है तू अभी-अभी हमने क्या किया है तो देख उस तरफ" इतना कहकर भाई ने एक कोने की ओर इशारा करते हुए कहा,जहा अभी भी प्राची के शरीर के टुकड़े पड़े हुए थे और उसके ऊपर एक कपड़ा ढंका हुआ था।उसने मेरी आंखों में देखते हुए कहा,"अभी अभी हम सबने उसके टुकड़े इकट्ठा किए हैं और कुछ तो जलकर राख हो गए, जानता है हमे इस वक्त कैसा लग रहा है?किसके कहने पर तुम सबने यह किया? आज सिर्फ तेरी वजह से Prachi is dead Damm it....." भाई ने उसी गुस्से से भरे लहजे में कहा, उसकी तेज़ आवाज रिजॉर्ट के हर कोने मैं गूंज रही थी जो वहां खड़ा हुआ हर शख्स सुन रहा था।"पर इसमें श्रेयस की क्या गलती, अगर प्राची उस घेरे से बाहर न निकलती तो..." ट्रिश ने अभी इतना ही कहा था कि भाई की आवाज़ ने उसे भी शांत कर दिया।"तू चुप हो जा, हर बार इसकी साइड लेने की जरुरत नहीं है, प्राची तेरी भी क्लासमेट थी तुझे बिल्कुल भी दुःख नहीं है उसके जाने का?"

"लेकिन वो घेरे के बाहर...." मिलन ने फिर से बात को रोकना चाहा पर फिर भाई ने रोक दिया।

 

 

 

"घेरा घेरा....घेरा कब से यही सब सुन रहा हूँ यह किसी की जान चली गई है और तुम सब को घेरे की पड़ी है! किसके कहने पर तुम सबने यह सब नाटक किया था......हां....बताओ?"मैंने कुछ नहीं बोला, बस यूं ही खड़ा रहा, उसकी बात कुछ हद तक सही भी थी क्योंकि आज मेरी वजह से ही प्राची ने इतना दर्द सहा था,मैं यह सब सोच रहा था कि तभी भाई ने मेरा हाथ पकड़ा और प्राची की लाश की ओर ले जाने लगा,सब लोग उसे उस तरफ जाते हुए देख रहे थे,उसने लाश पर से वो कपड़ा हटा दिया तो वो सब जले हुए खून से लथपथ टुकड़े सबके सामने आ गए,जिसकी वजह से वहां खड़े सब लोगो ने अपनी घुमा ली। "देख ले कि किस तरह आज एक जिंदगी का अंत हुआ है" मैने अपनी नजर इन सबकी ओर की तो पाया कि सबकी आंखों में मेरे लिए नफरत और प्राची के लिए दुख भरा हुआ था।मेरी भी हालत अंदर से कुछ ऐसी ही थी पर मैं उसे अपने बर्ताव से जाहिर नहीं करना चाहता था, भाई ने फिर चिल्लाते हुए कहा, "देख ढंग से,प्राची की निशानी के नाम पर बस ये बचा है....सिर्फ ये...." भाई कहते ही मेरी नज़र सामने जहा उसका आधा चबाया हुआ दिल रखा था उस पर पड़ी,उसकी हालत वाकई में इतनी बुरी थी कि मुझसे देखा नहीं गया इसलिए नहीं कि उसके शरीर के टुकड़े हो चुके थे, जल चुके थे पर इसलिए कि मैं जब भी उसे देखता तो बार बार मेरे कानों मैं उसकी दर्द से तड़पती हुई चीखे ही सुनाई देती।

 

"ये सब ठीक नहीं हुआ श्रेयस....तुम चारों इतना नॉर्मल कैसे लग सकते हो, तुम्हारे चेहरों को किसी को देखके नहीं लगता कि तुम में से किसी को प्राची के जाने से कोई फर्क पड़ा हो।" अविनाश ने हम चारों के चेहरे को घूरते हुए कहा।उसकी बात सही भी थी क्योंकि वहां हम चारों ही थे जिसकी आँखों में आंसू नहीं थे बाकी सब का बुरा हाल था, मिस सोफे पे बैठी रो रही थी, श्रुति, निशा सब के सब की आँखें नम थीं।

हर्ष: "इन्हें कैसे कोई फरक पड़ेगा अवि, इन्हें हम सब से कोई मतलब नहीं, मेरी समझ नहीं आता ये चारों क्या चाहते हैं?"

 

"बस बहुत हो गया, कब से देख रही हूँ तुम सब हम लोगों को दोष दे रहे हो, क्या हमने तुमसे यह वापस आने के लिए कहा था....नहीं ना!!?उपर से तुम्हें ये लगता है कि हमे कोई फर्क नहीं पड़ रहा सिर्फ इसलिए कि हमारी आंखों में आंसू नहीं हैं, ये सब जो तुम अब देख रहे हो और जो हो रहा है क्या लगता है सब मामूली चीज़े है,वो आत्मा कितनी ताकतवर है वो अभी तुम सब ने अपनी आंखों से से देखा पर हमारे सामने होने के बावजूद वो हमे क्यों नहीं कुछ कर पाई ये तुम सबने सोचा? ये मत भूलो आज तुम सब जिंदा खड़े हो तो सिर्फ श्रेयस की वजह से वरना प्राची की तरह तुम सब भी....." ट्रिश ने बिना रुके तीखे लफ्ज़ों में अपनी बात कही डाली जिसे सुनने के बाद सब शांत हो गए।

 

"जो कुछ हुआ अभी और उसकी जितनी तकलीफ तुम्हें हुई है उतनी ही हमें भी हुई है लेकिन एक तरह से प्राची खुद अपनी मौत के लिए जिम्मेदार थी रूद्राक्ष गिर गया तो कोई बात नहीं पर उसे घेरे से बाहर नहीं जाना चाहिए था और वैसे भी जब तुम सब वापस आए श्रेयस ने तभी तुम सब से कह दिया था कि तुम्हारी जान को खतरा है ये हमने ऐसे ही नहीं कहा था इसके पीछे बहुत बड़ी वजह है अभी भी कुछ ऐसी बातें है जिनके बारे में हमे कुछ नहीं पता मिस। प्राची हमारी भी दोस्त थी उसके जाने का दुःख हमें भी उतना ही है लेकिन हमने जब यहाँ रहने का सोचा है तभी हमने हमारी मौत को कबूल कर लिया था।" मिलन ने ट्रिश की ही तरह बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, उसकी बात सुनके सभी के चेहरे पे सवाल उठ आये लेकिन मेरे लिए नफरत कम होती हुई नजर नहीं आई।

 

"ऐसा कौनसा राज है जो हमे नहीं पता या फिर तुम लोग सिर्फ हमें पागल बना रहे हो, ये क्यों नहीं कबूल लेते हैं? आंशिका की वजह से तुम सबने औरों की जिंदगी खतरे में डाली है।" भाई ने उसी नफरत को दिखाते हुए कहा।

"सब नहीं, ये सिर्फ इस श्रेयस का किया हुआ है, आज जो कुछ भी हुआ है सिर्फ इसी ने किया है" अनमोल ने भी आगे बढ़कर अपनी बात कही जिसे सुनकर हर्ष उसे घूरने लगा,"और अगर ऐसा कोई सच है तो हम सब को भी बताओ कि आखिर तुमने ये सब किसके कहने पे किया, हमें भी जानने का हक है।" अविनाश ने मिलन को घूरते हुए कहा।"ये क्या जवाब देंगे इनकी वजह से आज प्राची....." श्रुति रोते हुए बोली, "मुझे तुमसे ये उम्मीद नहीं थी मिलन" श्रुति की बात सुनकर मिलन उसे गुस्से से देखने लगा,जिसे देखकर श्रुति ने अपनी नजरे घुमा ली।

"इनके पास कोई जवाब नहीं है, ये सब बस हमारी जिंदगियों से खेल रहे हैं मिस" भाई ने हम चारों को अजीब सी नजरों से घूरा।"चुप हो जाओ सब.....अब मैं ऐसे चुप नहीं बैठ सकती श्रेयस इन्हें भी वो बात पता चलनी चाहिए,बता दे इन सबको कि सब कुछ पता होने के बावजूद हमारे बीच ही रह कर एक इंसान ने हमें धोखा दिया है" ट्रिश के इतना कहते ही सबके कान खड़े हो गए।

 

To be Continued.......