जंगल का पिशाच ( वीर विवान और वैम्पायर का युद्ध ) HDR Creations द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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जंगल का पिशाच ( वीर विवान और वैम्पायर का युद्ध )

पहाड़ों की छाया में बसा था गांव, 'शांतवन'. नाम के उल्टा, गांव में पिछले कुछ हफ्तों से दहशत का साया था. अचानक से, ग्रामीण लापता होने लगे. सबसे भयानक बात ये थी कि लापता होने से पहले, हर किसी को एक खौफनाक सपना आता था - एक घने जंगल और उसके बीचोंबीच जलता हुआ, रहस्यमय दीपक.

अफवाहों का बाजार गर्म था. कुछ का कहना था कि जंगल में कोई भूत रहता है, कुछ मानते थे कि ये किसी की साजिश है. इसी उलझन में गांव में दाखिल हुए विवान और मीरा, दो युवा Archeologist उन्हें पता चला था कि शांतवन के जंगल में एक प्राचीन मंदिर के अवशेष हैं. उसी मंदिर की खोज में वो निकल पड़े.

जंगल घना था, पेड़ों की काली छायाएं हर तरफ फैली थीं. जैसे-जैसे वो मंदिर के करीब जाते, सपने जैसा ही माहौल बनता गया. अचानक, मीरा चीखी. वहीं, जमीन पर एक टूटा हुआ दीपक पड़ा था, बिल्कुल वैसा ही जैसा सपने में दिखता था.

पता नहीं कैसे, शाम ढल चुकी थी. घबराहट के मारे वो एक पेड़ के नीचे शरण लेने लगे. तभी, अंधेरे से एक भयानक हंसी गूंजी. वो हंसी दूर ना हुई, बल्कि उनके चारो तरफ गूंजने लगी. अचानक, आग का एक गोला उनके सामने प्रकट हुआ. उसके अंदर एक धुंधली सी आकृति दिखाई दे रही थी.

डर के मारे विवान बेहोश हो गए. जब उन्हें होश आया तो मीरा गायब थी. सिर्फ जमीन पर खून का एक धब्बा था. गुस्से और डर से भरकर, विवान जंगल में मीरा को ढूंढने निकल पड़े. घंटों चलने के बाद वो प्राचीन मंदिर के पास पहुंचे.

मंदिर जर्जर था, लेकिन उसकी दीवारों पर चित्र बने हुए थे. उन चित्रों में वही रहस्यमयी दीपक बना हुआ था और उसके नीचे अजीब सी भाषा में कुछ लिखा था. विवान को संस्कृत की अच्छी जानकारी थी. उन्होंने लिखे हुए को पढ़ा - "अनंत ज्योति, अनादि शक्ति, बलि मांगे रक्तपात." (अनंत ज्योति, अनादि शक्ति, रक्त मांगती है बलि.)

अब उन्हें समझ में आया. ये कोई भूत नहीं, बल्कि कोई पंथ था जो जंगल में छिपकर, इस मंदिर में रहस्यमय अनुष्ठान करता था. उन्होंने मीरा को बचाने के लिए मंदिर के अंदर जाने का फैसला किया.

अंदर का नज़ारा खौफनाक था. दीवारों पर खून के छींटे थे और बीचोंबीच एक वेदी बनी हुई थी, जिसपर मीरा बेहोश पड़ी थी. तभी, अंधेरे से आकृतियां निकलीं. उनके हाथों में खंजर थे. विवान समझ गए थे कि अब लड़ाई ही एक रास्ता है.


विवान ने पुराने मंदिर की एक टूटी मूर्ति को उठाकर उन पंथिक आकृतियों की तरफ फेंका. वे बचने के लिए किनारे हुए, जिससे विवान को मीरा के पास पहुंचने का मौका मिल गया. उन्होंने उसे उठाया और मंदिर के पीछे के एक गुप्त दरवाजे की तरफ भागे, जो चित्रों में छुपा हुआ दिखा था.

दौड़ते हुए विवान ने मीरा को बताया कि ये कोई भूत नहीं, बल्कि एक खतरनाक पंथ है जो यहां रहस्यमय अनुष्ठान करता है. वेदी पर खून के छींटे और उनका इतिहास बताता है कि ये लोग बलि देते हैं.

गुप्त दरवाजे से वे एक संकीर्ण सुरंग में घुसे. सुरंग घुटन देने वाली थी और न जाने कहां तक जाती थी. मशाल की रोशनी मंदिर के बाहर निकलते ही बुझ गई. अंधेरे में टटोलते हुए वे आगे बढ़ते रहे.

कुछ देर बाद, सुरंग एक कब्रिस्तान में खुल गई. हर तरफ कब्रें थीं और उन पर अजीब निशान बने हुए थे. सन्नाटे को चीरती हुई एक भेड़िये की चीख सुनाई दी.

अचानक, पीछे से किसी ने विवान को पकड़ लिया. वह चीखा और घुमा – सामने वही खंजर लिए हुए पंथिक खड़े थे. आगे भी आकृतियां दिखाई दे रहीं थीं. विवान और मीरा फंस चुके थे.


मगर हार मानने को तैयार नहीं थे. उन्होंने मीरा को अपने पीछे छिपा लिया और फिर पास पड़ी एक टूटी हुई खोपड़ी उठा ली. उसी वक्त, उन्होंने संस्कृत के उस श्लोक को याद किया जो मंदिर की दीवार पर पढ़ा था - "अनंत ज्योति, अनादि शक्ति, बलि मांगे रक्तपात." (अनंत ज्योति, अनादि शक्ति, रक्त मांगती है बलि.)

एक शातिर दिमाग से, विवान ने खोपड़ी को हवा में उछाल दिया और चिल्लाए, "ये लो तुम्हारी बलि!" पंथिक एक पल के लिए चौंक गए. उसी मौके का फायदा उठाकर विवान और मीरा कब्रिस्तान के उस पार भाग निकले.

वे दौड़ते रहे, ना जाने कितनी देर. उनके पीछे पंथिकों के चिल्लाने की आवाजें धीरे-धीरे कम होती जा रही थीं. आखिरकार, हांफते हुए वे एक पहाड़ी की चोटी पर पहुंचे. वहां से गांव की रोशनी दूर जगमगा रही थी.

गांव पहुंचकर, उन्होंने पूरी घटना की जानकारी ग्रामीणों और पुलिस को दी. पुलिस ने जंगल में छापा मारा, लेकिन उन्हें वहां कुछ नहीं मिला. मंदिर भी गायब हो चुका था, जमीन पर सिर्फ खंडहर ही बचे थे.

कुछ समय बाद, विवान और मीरा को पता चला कि जंगल में कभी एक तांत्रिकों का समूह रहता था. उन्हें ग्रामीणों द्वारा भगा दिया गया था. लेकिन क्या वाकई वे चले गए थे, या फिर वे अब भी कहीं छिपकर रह रहे थे? ये सवाल विवान और मीरा के जेहन में कहीं न कहीं बना हुआ था.

पुलिस जांच जारी रही, लेकिन मंदिर और पंथ का रहस्य अनसुलझा ही रह गया. शांतवन गांव में कभी-कभी अभी भी रात में अजीब सी आहटें सुनाई देती हैं, जो ग्रामीणों को उस खौफनाक रात की याद दिला देती हैं.


सालों बीत गए. शांतवन गांव अब जंगल के रहस्य को सुलझाने वाले वीरों की कहानियों को याद करता था. जंगल शांत था, ग्रामीण प्रकृति के साथ सद्भाव में रहते थे. परन्तु अज्ञात में, एक नया खतरा पनप रहा था.

एक रात, गांव के बाहरी इलाके में रहने वाले एक बूढ़े किसान की झोपड़ी से चीखें सुनाई दीं. सुबह ग्रामीणों को झोपड़ी खाली मिली और किसान गायब. कुछ दिनों बाद, गांव के किनारे एक जवान चरवाहे का शव मिला, उसका चेहरा सफेद पड़ा हुआ था और गर्दन पर दो छोटे-छोटे जख्म के निशान थे.

अफवाहों का बाजार गर्म हो गया. कुछ का कहना था कि जंगल का पिशाच वापस आ गया है, तो कुछ का मानना था कि कोई जंगली जानवर का काम है. लेकिन विवान, जो अब एक प्रसिद्ध Archeologist बन चुका था, इन कहानियों को सुनकर चौकन्ना हो गया. उसे उन खंजरों और जंगल में देखी गई रहस्यमयी आकृतियों की याद आ गई.

वह शांतवन गांव पहुंचा और ग्रामीणों से सारी घटनाओं की जानकारी ली. उसे उन जख्मों के निशानों के बारे में पता चला और गांव के बुजुर्गों से उसने जाना कि सालों पहले भी ऐसे ही हमले हुए थे, जिनके पीछे कोई वजह नहीं मिली.

विवान को शक होने लगा कि ये कोई जंगली जानवर या पिशाच नहीं, बल्कि एक खतरनाक ख़ूनी है. उसने ग्रामीणों को सतर्क रहने की चेतावनी दी और खुद भी गांव में रहकर रात में पहरा देने लगा.

कुछ रातों बाद, जब चांद की रोशनी जंगल को चांदी की चादर ओढ़ा रही थी, विवान को एक काली आकृति दरों से छुपकर गांव में घुसते हुए दिखाई दी. वह चुपके से उसका पीछा करने लगा.

आकृति जंगल के किनारे एक सुनसान हवेली में घुसी. हवेली जर्जर थी, उसकी खिड़कियों से हल्की रोशनी बाहर आ रही थी. विवान को अचानक वह भूतिया हवेली याद आ गई, जिसका जिक्र बचपन में सुना था.

विवान सावधानी से हवेली के अंदर घुसा. हवा में एक अजीब सी गंध फैली हुई थी. वह अंधेरे में टटोलता हुआ आगे बढ़ा. तभी, सामने से एक भयानक आवाज गूंजी.

"मुझे पता था, कोई आएगा."

विवान ने देखा, एक लंबा-चौड़ा आदमी टूटे हुए फर्नीचर के पीछे खड़ा है. उसकी आंखें लाल थीं, चेहरा पीला पड़ा हुआ था और मुंह से खून टपक रहा था.

विवान को समझ में आ गया ये कोई ख़ूनी नहीं, बल्कि एक खौफनाक Vampire है!


विवान दंग रह गया. उसने तो सिर्फ किताबों में ही वैम्पायरों के बारे में पढ़ा था. लेकिन अब उसके सामने एक खड़ा था, उसकी प्यासी निगाहें विवान को निगलने को आतुर थीं.

विवान को होश संभालना था. वह पीछे हटने लगा, लेकिन अचानक उसका पैर एक टूटी हुई मेज से टकराया और आवाज हो गई. वैम्पायर दहाड़ते हुए उसकी तरफ झपटा.

विवान के पास बचने का कोई रास्ता नहीं था. उसने अचानक अपने बैग से टॉर्च निकाली और सीधे वैम्पायर की आंखों में रोशनी डाली. वैम्पायर चीख उठा और पीछे हट गया. कहते हैं वैम्पायरों को रोशनी से सख्त नफरत होती है.

विवान ने मौके का फायदा उठाया और हवेली से बाहर भागने लगा. वैम्पायर भी उसके पीछे दौड़ा. विवान को पता था कि रात भर वह वैम्पायर से नहीं बच सकता. उसे किसी रणनीति की जरूरत थी.

वह गांव की तरफ नहीं भाग सकता था, नहीं तो वैम्पायर ग्रामीणों को अपना शिकार बना लेता. उसने जंगल की तरफ दौड़ लगा दी. वह अंधेरे में पेड़ों के बीच छिपता हुआ आगे बढ़ता रहा.

कुछ देर बाद, वैम्पायर उसे ढूंढने में असफल रहा और गुस्से में वापस हवेली की तरफ चला गया. विवान पेड़ के पीछे छिपकर सांस ले रहा था. उसे याद आया कि अरुणा ने उसे जंगल की शक्तियों के बारे में बताया था.

शायद जंगल की किसी शक्ति की मदद से वह इस वैम्पायर को खत्म कर सकता था. वह जंगल के बीच गहराई में गया, जहां उसने पहले अरुणा को मंत्र जप करते हुए देखा था.

वह पेड़ों के नीचे घुटने टेककर संस्कृत के उन शक्तिशाली मंत्रों को जप करने लगा, जो अरुणा ने उसे सिखाए थे. धीरे-धीरे जंगल की हवा में एक खास तरह की ऊर्जा भर गई. पेड़ हिलने लगे और जंगल की आवाजें गूंजने लगीं.

अचानक, विवान के सामने जंगल का एक विशालकाय सर्प प्रकट हुआ, वही सर्प जिसे जंगल का पिशाच कहा जाता था. लेकिन इस बार उसकी आंखें लाल नहीं थीं, बल्कि नीली थीं.

विवान समझ गया कि जंगल की रक्षक शक्ति ने उसकी पुकार सुन ली है. उसने सर्प को सारी कहानी बताई और वैम्पायर के खतरे से जंगल को बचाने में मदद मांगी.

सर्प ने फुफकारते हुए सिर हिलाया, मानो विवान की बात मान रहा हो. विवान जानता था कि अब वैम्पायर का अंत निश्चित है.


विवान सर्प के पीछे जंगल के घने भागों में घुसा. हवेली की टूटी खिड़कियों से निकलती मद्धिम रोशनी अब दूर एक धब्बे की तरह दिख रही थी. जंगल की हवा सर्प के गुजरने से सिहर रही थी और पेड़ों की पत्तियां उसके विशाल शरीर से रास्ते बना दे रही थीं.

हवेली के पास पहुंचते ही, सर्प ने एक तीखी फुफकार छोड़ी. हवेली का दरवाजा अचानक से खुल गया और वैम्पायर लाल आंखों से बाहर निकला. उसकी प्यास और गुस्सा दोगुना हो चुका था.

वह सर्प को देखकर दंग रह गया, लेकिन जल्द ही चीखता हुआ उस पर हमला करने के लिए लपका. सर्प फुर्ती से पीछे हटा और वैम्पायर जमीन पर गिर गया. उसने उठकर फिर से हमला किया, लेकिन इस बार सर्प ने अपनी लंबी पूंछ से उसे कसकर जकड़ लिया.

वैम्पायर तड़पने लगा. उसकी चीखें जंगल में गूंजने लगीं. वह अपने नुकीले दांतों से सर्प को काटने की कोशिश कर रहा था,

कुछ ही देर में, वैम्पायर की चीखें कमजोर पड़ने लगीं और उसका शरीर धीरे-धीरे सिकुड़ने लगा. जैसे ही सूर्य की पहली किरणें जंगल से होकर निकलीं, वैम्पायर राख का ढेर बनकर रह गया.

सर्प ने विवान की तरफ देखा और फुफकारते हुए धीरे-धीरे जंगल की गहराई में चला गया. विवान जानता था कि जंगल की रक्षक शक्ति ने एक बार फिर से जंगल की रक्षा की है.

वह सूर्योदय की रोशनी में हवेली की तरफ गया. हवेली अब जर्जर खंडहरों से ज्यादा कुछ नहीं लग रही थी. वैम्पायर के खत्म होने के साथ ही हवेली का अंधेरा राज भी खत्म हो गया था.

विवान वापस गांव की तरफ लौट पड़ा. ग्रामीण उसे देखकर खुश हो गए. उन्होंने रातभर की घटनाओं के बारे में पूछा, लेकिन विवान ने उन्हें सिर्फ इतना बताया कि खतरा टल चुका है.

कुछ समय बाद, विवान शांतवन गांव से चला गया. वह जानता था कि जंगल हमेशा रहस्यों से भरा रहेगा, लेकिन अब उसे ये भरोसा था कि जंगल की रक्षा करने वाली शक्तियां भी मौजूद हैं.

शांतवन गांव में शांति लौट आई थी