हँसी की तह में छिपा राज़ HDR Creations द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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हँसी की तह में छिपा राज़

ठंडी हवा का झोंका कमरे में घुसा, जैसे कोई अदृश्य मेहमान का स्वागत कर रहा हो। मोहिनी मिट्टी के तेल का दीपक जला रही थी, घर के कोने-कोने को रोशन करने के लिए संघर्ष कर रही थी। गाँव में बिजली कम ही आती थी, खासकर उस ज़माने में तो बिल्कुल ही दुर्लभ थी। अचानक, हवा का झोंका तेज हुआ, दीपक बुझ गया और कमरा अंधकार में डूब गया।

"दादी, बिजली चली गई क्या?" अँधेरे में आवाज़ आई, मोहिनी के नौ साल के पोते आर्यन की।

"नहीं, बेटा," मोहिनी ने जवाब दिया, थोडी घबराई हुई सी। "दीपक बुझ गया है।"

जैसे ही उसने जवाब दिया, एक ठंडी हँसी गूँजी, जो इतनी परिचित थी कि मोहिनी की रूह काँप उठी। यह उसकी बेटी, गायत्री की हँसी थी, जो दो साल पहले लापता हो गई थी।

"माँ, तू कहाँ है?" आर्यन ने डरते हुए पूछा।

हँसी ज़ोर हो गई, जैसे गायत्री कमरे में ही कहीं छिपी हो। मोहिनी ने चारों ओर देखा, लेकिन कुछ भी नहीं दिखा। सिर्फ ठंडी हवा का एहसास था, जो उसकी रीढ़ की हड्डियों को सहला रहा था।

"मैं तुम्हारे पास हूँ, माँ," आवाज़ कमरे के कोने से आई, जहाँ दीपक रखा था।

मोहिनी झपट कर उस तरफ गई, हाथ में दिया तेल ले कर। उसने रोशनी डाली, लेकिन वहाँ सिर्फ दीपक ही था। कोई नहीं था।

यह घटना बार-बार होने लगी। घर में रोशनी कम होते ही गायत्री की हँसी गूँजने लगती। कभी दीवारों से बात करती, कभी मोहिनी को छूने की कोशिश करती। एक रात, जब आर्यन सो रहा था, हँसी ज़ोर शोर से गूँजी और मोहिनी ने कमरे में कुछ सफेद आकृति देखी। आकृति उसके सामने लहराई और गायत्री की हँसी के साथ गायब हो गई।

मोहिनी अब सह नहीं पा रही थी। उसने गाँव के पंडित को बुलाया। पंडित ने बताया कि कोई आत्मा गायत्री का रूप धर कर उन्हें परेशान कर रही है। उन्होंने मंत्र जप और पूजा-पाठ के उपाय बताए।

पूजा के दौरान, जब पंडित मंत्र उच्चारण कर रहे थे, गायत्री की हँसी गूँजी लेकिन इस बार अलग थी। हँसी में दर्द झलक रहा था। जैसे ही हँसी बंद हुई, हवा में आवाज़ गूँजी, "माँ, मदद करो।"

मोहिनी स्तब्ध रह गई। वह आवाज़ गायत्री की बिल्कुल वैसी ही थी। अचानक उसे याद आया कि गाँव में कुछ लोग गायत्री को बुरे नज़र से देखते थे। क्या किसी ने उसे नुकसान पहुँचाया था?

पंडित ने मोहिनी के संदेह की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि कोई आत्मा तभी किसी का रूप धर सकती है जब उसके मन में अधूरा काम या अत्यधिक लगाव हो। गायत्री की आत्मा शायद इसलिए भटक रही थी क्योंकि उसकी मौत का रहस्य छिपा था।

मोहिनी ने गाँव वालों से पूछताछ शुरू की। कई लोगों ने अलग-अलग कहानियाँ सुनाईं। किसी ने आखिरी बार गायत्री को जंगल की तरफ जाते हुए देखा था, तो किसी ने नदी के पास रोते हुए। धीरे-धीरे गांव में कई पुराने रहस्य खुलने लगे।

अंत में मोहिनी को सच्चाई का पता चला। गाँव का ठाकुर गायत्री को छेड़ता था और जब उसने विरोध किया तो उसे जंगल में मारकर नदी में फेंक दिया था। पुलिस ने ठाकुर को गिरफ्तार किया

गिरफ्तारी के बाद गाँव में राहत की साँस ली गई, जैसे एक भारी बोझ हट गया हो। गायत्री की हँसी और सफेद आकृति अब नहीं दिखीं, मानो उसका आत्मा शांत हो गई हो। मोहिनी हर रात दीपक जलाकर गायत्री की तस्वीर के सामने बैठती और प्रार्थना करती। उसे गर्व था कि उसने अपनी बेटी को न्याय दिलाया।

एक रात, जब मोहिनी गायत्री की तस्वीर को निहार रही थी, अचानक तस्वीर से गायत्री की आवाज़ आई, "माँ, मुझे माफ़ कर दो।"

मोहिनी चौंक गई। उसकी साँसे थम गईं। "गायत्री, तू है?"

"हाँ, माँ," आवाज़ आई। "मैं अब भी परेशान हूँ। ठाकुर को तो सज़ा मिल गई, लेकिन जिसने उसकी मदद की, वो खुला घूम रहा है।"

मोहिनी का दिल दहल गया। उसने पूछा, "कौन? किसने उसकी मदद की?"

लेकिन तस्वीर से कोई जवाब नहीं आया। सिर्फ एक ठंडी हवा का झोंका कमरे में घुसा, मानो कोई अदृश्य मेहमान चला गया हो।

अगले दिन, मोहिनी ने पुलिस अधीक्षक से मुलाकात की और गायत्री की बात बताई। अधीक्षक ने पहले तो इसे विश्वास नहीं किया, लेकिन मोहिनी की दबी हुई जिद को देखकर जाँच शुरू की।

गाँव वालों से पूछताछ हुई। धीरे-धीरे एक नाम उभर कर आया - सुनीता, ठाकुर की चाची। सुनीता गायत्री से जलती थी और उसने ठाकुर को गायत्री को खत्म करने के लिए उकसाया था। पुलिस ने सुनीता को गिरफ्तार कर लिया।

गायत्री की आत्मा अब शांत थी। गाँव में शांति लौट आई थी। लेकिन मोहिनी के लिए लड़ाई खत्म नहीं हुई थी। उसने अपनी बेटी की मौत की कहानी को गाँव-गाँव में बताया, महिलाओं को आत्मरक्षा के लिए जागरूक किया और लड़कियों की शिक्षा के लिए अभियान चलाया।

गायत्री की मौत ने एक अंधेरे रहस्य को उजागर किया था, लेकिन इसने एक जागृति भी ला दी थी। मोहिनी अपनी बेटी की मौत से दुखी थी, लेकिन वह गर्व भी महसूस करती थी कि उसने अपनी आवाज़ उठाई, न्याय दिलाया और दूसरों के लिए राह आसान बनाई। और रात को जब हवा का झोंका आता, तो उसे लगता है, मानो गायत्री उसे मुस्कुरा कर देख रही है।