शाम का वक्त था | और पुरे मौहल्ले की लाईट कटी हुई थी |
मौहल्ले के सभी लोग अपने घर के बाहर बैठे हुए थे |
ठंडी ठंडी हवा चल रही थी |
बच्चे लोग रोड में खेल रहे थे |
मै एक कोनें में बैठे हुए उस पल का आनंद ले रहा था |
मै बाहर काफि देर तक बैठा रहा | पर लाईट आने का नाम ही नही ले रहा था |
मेरे आँखो में काफि निंद भी थी | मै वहीं बैठे बैठे सो रहा था | पर चाह के भी नही सोना चाहता था | लाईट न आने की वजह से मै काफि गुस्से में था | थोड़ी ही देर में बाहर की औरतो में यह बात होना शुरु हो गई की आज रात भर लाईट नही आएगी |
ये सुन के मै काफी नाराज हो गया | और अंदर ही अंदर मुझे काफि गुस्सा आ रहा था | फिर मैनें अपना टाईम कुछ बच्चों को दिया | मै उन सभी से यहाँ वहाँ की बातें करनें लगा | फिर मुझे ध्यान आया की चलों | वैसे भी लाईट आनें वाली नहीं है तो | कयुँ ना ईन बच्चों से कुछ डरावनी कहानियाँ सुना जाए | और एैसे वक्त में जब लाईट ना हो तब तो ईस तरह की कहानियों को सुन्नें का अलग ही मजा आता है | यह सोच के मैं उन बच्चों को अपनें साथ घटी कुछ भुतिया या डरावनी कहानी सुनानें को बोला और सभी बच्चों नें अपनी अपनी कहानियाँ सुनानें लगे | उन सब की कहानियों को सुन्ने के बाद मुझे खुद ही अपना सर पीटनें का मन करनें लगा | कयुँकी उन सभी बच्चों में किसी की भी कहानी सही नही थी | मुझे सुननें भर से ही पता लग गया की यह सब Fake कहानी बता रहें है |
मैं उन बच्चों की भीड़ से निकल कर फिर एक साईड अकेले बैठे बैठे बोर होनें लगा |
तब रात के 10 बजे के आस पास का टाईम था | मेरे मोबाईल का डाटा भी खतम हो गया था | ईस लिए मैं युट्युब तो नहीं देख सकता था पर एक काम जरुर कर सकता था और वह था गुगल में कुछ सर्च करके देखना या कुछ पढ़ना ईस लिए मैनें गुगल में भुतिया कहानियों को सर्च करके पढ़नें लगा |
कहानियों को मैं एक कोनें में अकेले बैठे हुए पढ़ रहा था | डरना तो लाजमी ही था | तो मुझे थोड़ा डर भी लग रहा था | पर लाईट न होंनें की वजह से साँत और अंधेरे में कहानियों को पढ़ने का मजा भी आ रहा था |
मैं कच्चा कलुआ की कहानी सर्च किया और पढ़नें लगा | उसी कहानी में एक कच्चा कलुआ साधना मंत्र भी लिखा हुआ था जिसे मैं कहानी के साथ ही पढ़ लिया था |
फिर निचें यह भी लिखा हुआ था की अगर आप ईस मंत्र का जाप करतें है तो यह आपकी रिस्क है | और भी बहुत सी डरानें वाली बातें भी लिखी हुई थी | की कच्चा कलुआ एक नटखट बच्चे की आत्मा होती है | जो भी ईसके चपेट में आता है तो वह उसें हँसा हँसा के ही मार देता है | कयुँकी ये बच्चे की आत्मा होती है जो बहुत ही नटखट होतें है | और यह भी लिखा हुआ था के कच्चा कलुआ जिसे आमतौर पर लोग मशान कहतें है | उस मंत्र को पढ़नें के बाद से ही मेरा बदन ठंडा पड़नें और एैसा लग रहा था | की मेरे आस पास की सभी चीजें घुम रही हो | मुझें अंदर ही अंदर यह लगना शुरु हो गया की मैंनें कोई गलती तो नहीं करदी ईस साधना को पढ़कें
मेरे मन में डर हावी होंनें लगा और अजीब सी बेचैंनी भी होनी लगी |
घर तक जानें के लिए हमें एक गली से गुजरना पढ़ता है जो काफि अंधेरा था मैं बहुत ही तेज भागा और गली को पार करके घर आ गया |
ये गली घर का ही हिस्सा फिर भी अंधेरे में बहुत ही डरावना लग रहा था चल के आनें में तो और भी हालत खराब हो जाती ईस लिए मैं भागना ही सही समझा | घर आया और कुर्सी में बैठ गया मेरे दिमाग में वहीं साधना वाली मंत्र घुम रही थी काफि भुलनें या दिमाग से हटानें की कोशिश कर रहा था पर कोई फायदा नही हो रहा था | मेरे बदन में अलग तरह की ठंड और सर चकरा रहा था | मैं जैसे ही कुर्सी से उठ के सोने के लिए पलंग में जाना चाहता था पर कुर्सी से उठतें ही एैसा लगा की मैं गिर जाऊँगा पुरा सर चकरा रहा था | रात भर नींद नहीं आई
मै कब सोया मुझे तो पता नहीं |
अंधेरा रोड है | और मैं वहाँ से अकेले चला जा रहा था | सुनसान रोड होनें की वजह से मुझे डर भी लग रहा था | पर मैं क्या कर सकता था वापस तो जा नही सकता था | ईस लिए मै ये सब को सोचे बीना आगे चले जा रहा था | अपनें मन में डर हावी नही होने दे रहा था | मैं अपना ध्यान अच्छी चीजों पें लगा रहा था | ताकी मन में डर हावी न हो सके | फिर मंजर एकदम से बदल जाता है | मुझे आगे एक बच्चा सड़क के साईट में बैठा रोता हुआ दिख रहा था | मे़ैं उस के तरफ बढ़हा और पुछनें लगा के बाबु आप कहाँ रहतें हो और यहाँ किसनें आप को छोड़ दिया वह कोई जवाब नही दिया | ईस लिए मैंनें उसका घर पुछा के कहाँ है | वो कुछ बोला नही पर ऊँगली से ईशारा किया मैं उसे अपनें गोद में उठा के बढ़हे जा रहा था | मैं उसे लेकर काफि आगे तक चला गया था फिर मुझे धीरे धीरे महशुस होने लगा की वह भारी होता जा रहा है | मेरी नजर जब उस पर पड़ी तो उसका आँख एक दम लाल और उसका हाईट भी काफी बड़ गया था | मैं एकदम डर गया मेरा दिमाग काम करना बंद कर दिया था | मै चिल्लाना चाहता था पर मुँह से आवाज ही नही निकल रहा था | फिर एक जोर की चिख के साथ मेरी नींद खुली तो मुझे पता चला के यह सपना था | घर के सभी लोग मेरी चीख की वजह से जाग चुके थे | मैंने सबको ईस बारे में बताया जो मैंनें सपना में देखा | उसके बाद मैं फिर सोनें की कोशिश करनें लगा अपनें भाई से पुरा चिपक कर सोनें की कोशिश करनें लगा पर नींद ही नही आ रहा था मेरा नींद फट चुका था उस रात मैं जैसे तैसे करके पार किया जब सुबह के पाँच बजा तब मै सोया और पुरा दिन भर मै सोया ही रहा | शाम को हल्का सा बुखार भी हो गया था | उसके बाद से मै कभी भी भुतिया कहानी नही पढ़ना चाहा ये बीते 14 अगस्त की बात है | बस यही थी मेरी कहानी अभी भी मुझे हल्का हल्का बुखार है