Itra Banni Aafat (True Haunting Story) books and stories free download online pdf in Hindi

ईत्र बनी आफत (सच्ची भुतिया कहानी )

मै घर से बाहर की तरफ चला गया | आज का मौसम बहुत ही सुहाना था | मैं ऱोड के एक साईड खड़ा ठंडी ठंडी और दिल को सुकुन कर देने वाली हल्की हवा चल रही थी | रोड में आज रोज के मुकाबले ज्यादा भीड़ थी | सब लोग अपनें अपनें घर के बाहर बैठे हुए थे |
मेरी नजर नीचें रोड पर पड़ी 2 रुपये का सिक्का रोड पर गिरा हुआ था | मैं तुरंत उठा के अपनी पौकेट में रख लिया |
फिर उसी पैसे से मैनें दुकान से कुछ खरीद कर खा लिया | उस टाईम 11 बज रहा था | जब शाम हुई तो मै अपने कुछ देस्तों के साथ मौहल्ले में घुमनें लगा | हम लोग थोड़ी देर घुम फिर के एक जगह बैठ गए | और आनें जानें वालें लोगो को देख रहे थे | वजह ये नही की हम सब को देख रहे थे | हमारा ज्यादा ध्यान लड़कियों पर था | बीच बीच में कोई लड़की आ जाती तो हम सभी दोस्त उन्हें घुरनें लगतें |
ईसी तरह हम सब का टाईम पार हो रहा था |

फिर अचानक एक दिन....

मेरा एक दोस्त लापता हो गया | मौहल्ले में हड़कंप मच गया | मौहल्ले में काफी भीड़ ईकट्ठी थी | शुरु शुरु मुझे समझ नही आया की | की क्या हो रहा है | ईसिलिए मैं भी भीड़ में शामिल हो गया | तब मुझे पता चला की मेरा ही एक दोस्त लापता है | जो हर वक्त मेरे ही साथ रहता था | पीछले दिन भी वह मेरे ही साथ था | शाम को भी मैंनें उसे देखा था | पर उसके बाद से मुझे कुछ नही पता | क्योंकी मैं घर चला गया था |

जब मुझे ये बात पता चली की कल शाम से ही वह लापता है | तो मैं बहुत हैरान हो गया क्योंकी मैंनें उसे कल शाम को भी देखा था |

मै चाह रहा था की उन्हें बता दुँ की कल शाम को मैंनें उसे देखा था | पर ये भीड़ थी कई तरह के सवाल पैदा हो जाते और बात भी बड़ सकती थी | ईसिलिए मैं चुप रहा | और चुपचाप घर आके अपनें दोस्त की हिफाजत के लिए दुआँए माँगनें लगा | और उसके साथ बिताए हुए उन सभी पलों को याद कर रहा था | और अंदर से मेरा मन बेचैन भी था | दिमाग में गलत गलत चीजें आ रही थी | जो मै सोचना भी नही चाह रहा था पर वह आए जा रही थी | ईसी तरह कब टाईम पार हुआ पता नही चला |

अपनी माँ से छुप कर जल्दी मैं नल की तरफ गया | और अपनें मुँह में पानी मारनें लगा | मुँह धोकर मैं बाहर निकल गया | मेरे दोस्त के घर के बाहर अभी भी कुछ लोग खड़े हुए थे | मैं भी वहाँ जाके देखना चाहा की क्या हो रहा है | और उधर जाके खड़ा हो गया | जब मेरे दोस्त की माँ की नजर मुझपे पड़ी तो वह भी मुझसे कई तरह की बातें पुछने लगी की | पर मैंनें ईतना ही कहा की कल शाम को देखा था | पर उसके बाद मुझे नही पता की वह कहाँ गया क्योंकी मै घर चल गया था |

उसकी माँ काफी रो रही थी | उनकी हालत मुझे देखी नही जा रही थी | मुझसे जब बर्दाश्त नही हुआ तो मै वहाँ से साईड हट गया |

रात भर उसी के बारे में सोचता रहा | मुझे कब नींद आई मुझे खुद नही पता |

दुसरे दिन | शाम हुई तो पता चला की वह मिल गया है | मै जल्दी से उसके घर गया तो देखा वह खटीया में सोया हुआ था |

मेरे अंदर खुशी का कोई ठिकाना नही था | मैं खुशी से पागल हुए जा रहा था |

मैं एक साईड दिवार में टेक के बैठा उसको ही देखे जा रहा था | कुछ देर बाद वह सभी लोग जानें लगे | देखते ही देखते सभी चले गए | बस मै ही वहाँ अकेले खड़ा था | उसकी अम्मी उसके पास बैठी हुई थी | मुझे भी लग रहा था | अब घर चले जाना चाहिए | मैं यही सोच ही रहा था की असकी अम्मी नें कहा के बेटा चाय पियोगे मैनें न में सर हिलाया |

मैंने उनसे पुछा की ये कहाँ गया था | और तब से कहाँ था |

उसकी अम्मी बताती है की | रात के करीब 9: 30 बजे के आस-पास का टाईम था | तभी मौहल्ले के ही कुछ लड़के इसे घर लाए | मै उस वक्त बगल वाली आँटी के घर में बैठी हुई थी | जब मुझे खबर हुई तो मै जल्दी भाग के आ गई |

जल्दी से घर का दरवाजा खोला और उसे खटीया में लिटा दिया |

उसकी हालत बहुत खराब थी | और वह कुछ बोल भी नही रहा था | पुरा बदन किचड़ से लिपटा हुआ था | उन्हीं लड़को से कह कर ईसका कपड़ा चेंज करवाए |

पुलिस वाले भी आए थे | और उन लड़को से पुछताछ करनें लगे की आपको ये कहाँ मिला | उन लड़को नें पुरी बात बता दी की कैसे ईसे उन्होनें देखा और घर लाए | पुलिस वाले पुछताछ करके चले गए |

मै अपनें दोस्त की अम्मी को ये कहकर बाहर आ गया | कि

आँटी अब मैं जा रहा हुँ | जब ये उठेगा तो बता दिजिएगा मैं आ जाऊँगा |

फिर मैं वहाँ से निकल गया |

अपने घर की तरफ | घर आकर खाना पीना करने के बाद सो गया |

रात के करीब 2:30 बजे के आस पास मेरी नींद खुलती है | तो मैं देखता हुँ लाईट गया हुआ | ये सब आम बात थी | यहाँ ज्यादातर लाईट नही रहती है | पर फिर भी शायद गलत टाईम में मैं उठ गया था | लाईट न होनें की वजह से नींद भी नही आ रही थी | और रात की खामोशी अलग ही डरा रही थी | मेंढक और भी कई तरह के कीड़ो की आवाज की आवाज रही थी | जो उस पल को और भी डरावना बना रही थी | मुझे प्यास भी लग रही थी | पर अँधेरे की वजह से मुझे उठनें का दिल भी नही कर रहा था | फिर मैं थोड़ी देर बाद सोनें की कोशिश करता हुँ | पर जैसे ही आँखें बंद करता हुँ | बहुत ही डरावनें डरावनें सपनें आ रहें थें | मैं सपनें में देख रहा था | की अंधेरे में कोई मेरी तरफ ही बड़ रहा हो |

मैं जागे जागे ही पुरा टाईम पार कर लिया | और 4 बजे के आस पास फिर सो गया | जब मेरी नींद खुली तो पता चला के दोपहर के 1 बजनें वाला था | मैं जल्दी से मुँह हाथ धो कर बाहर की तरफ चला गया | मेरी अम्मी मुझे रोक रही थी की नाश्ता करके जानें पर मैं वैसे ही निकल गया |

अपनें दोस्त के घर गया तो बगल वाली आँटी से पता चला | की वह उसे किसी बाबा के पास लेकर गई है | मैंने आँटी से पुछा के किस लिए उसे बाबा के पास लेकर गई | आँटी बताती है की वह जब उठा तो थोड़ी देर ठिक था पर फिर वो | बहुत ही जोर की चीखें मारे जा रहा था | और अपना बीसतर भी गीला कर दिया उसनें | उसकी अम्मी उसके पास गई तो | उनकों भी वह ठेलकर गीरा दिया | बहुत मुश्किल से उसे ले जाया गया | बार बार यही बोले जा रहा था | की मुझे बहुत भुख लगी खाना दो | भुख लगी है खाना दो | यह कहकर वह चींखे जा रहा था | वह बहुत ही अजीब तरह की आवाजें निकाल रहा था | उसे कोई संभाल नही पा रहा था | उसके अंदर ईतनी ताकत थी की वह अकेले सबको फेक रहा था 7-8 आदमा भी उसे नही संभाल पा रहे थे | जैसे तैसे करके उसे ले जाया गया
मै घर वापस आ गया | अपनी माँ को सारी बात बताई | मेरी माँ कहनें लगी की सानु के घर मत जाना | मुझे पता चला तो तेरे पापा को बोल दुँगी | खाना खाके फिर बाहर चला गया | और एक टेंमपु (Auto Rickshaw ) में बैठ गया |

बस्ती के कुछ लड़के मुझसे पुछनें लगे की | सानु किधर है | मैंनें बता दिया की उसकी अम्मी उसको बाबा के पास लेकर गई है | सानु वही मेरा दोस्त जो लापता था | वह लोग पुछने लगे किस लिए ले गए सानु को बाबा के पास | मैंने कह दिया नही पता |

आज सानु के तबीयत खराब के तीन दिन हो गए थे |

शाम के करीब 9 बजे के आस पास सानु आता है | बाबा के पास से | उसकी अम्मी के आँखो में डर था | पता नहीं कयुँ पर वह खुश थी | की उसका बेटा ठिक हो गया | सानु मेरे गले लगके रोनें लगा | मेरे आँखों में भी आँसु आ गए | मैंनें उसे कहा की तुम बहुत थक गए होगे ईसिलिए अभी जाके आराम करलो | फिर वो अपनी अम्मी के साथ घर चला गया | और मैं भी |

उसके बाद से उसे बहुत दिनों तक मामुली बुखार थी | क्युँकी कितना कुछ झेला था | वह खुद ही जानता था |

करीब 8-9 दिनों तक उसे बुखार था | उस बीच मैं छुपछुप के उस्से मिल लेता था | क्युँकी मेरी अम्मी को पता चलती तो वह पापा को बोल देती |

अब कहानी सुनिये खुद सानु की जुबानी | ईस्से पहले मै अपनें दुसरे दोस्त का नाम बता देता हुँ | उसका नाम अमन है |

तो होता ये है की सानु और अमन उस दिन शाम को एक साथ थे | मैंनें तो आपको पहले ही बता दिया की मैं घर में था | बस उसे आखरी बार शाम को देखा था |

दोस्तों मेरा नाम सानु है और समीर मेरा बहुत ही पुराना दोस्त है | अमन से मेरी नई नई दोस्ती हुई थी | हुआ युँ था की मैं अमन को उसके घर छोड़नें गया हुआ था | पर आतें वक्त काफी लेट हो गया था | थोड़ी ही दुर चला था की मेरे आस पास पुरा अंधेरा हो जाता है | उपर पोल को देखा तो पता चला की लाईट चल गया है | अब मेरा मुड खराब हो गया था | और चलते चलते डर भी लग रहा था | कुछ ही समय बीता था की मेरे अंदर डर सा हावी होनें लगा | एैसा लग रहा था | कोई मेरे साथ साथ चल रहा हो | बदन भी ठंडा हुए जा रहा था | चलते चलते एक दो बार मैं पीछे मुड़ कर भी देखा पर कोई नही था | ये सब तभी हो रहा था | जब मै चल रहा था | रुकने पर सब साँत | मै जैसे चलता तो एैसा लगता कोई मेरे पीछे पीछे चल रहा हो पर | रुकते ही सब साँत अचानक मेरी नजर झाड़ी पर पड़ी | जो मुझे देखने पर लग रहा था की कोई झाड़ी के पास कोई है | मेरा पुरा बदन डरके मारे कपकपा रहा था | थोड़ी थोड़ी देर में ठंड भी महसुश हो रहा था | जबकी वह गर्मी का मौसम था |

एक बात और बता दुँ उस दिन मैं ईत्तर ( Perfume ) भी लगाया हुआ था |

मेरा बदन भारी होनें लगा | उसके बाद से मुझे कुछ भी याद नही

फिर एक दिन सानु की अम्मी बताती है की | जब मै बाबा के पास ईसे लेकर गई मेरे साथ बस्ती के कुछ और लोग भी थे जो सानु को पकड़़े हुए थे |

जैसे ही हमलोग | दरगाह में घुसनें लगे तो सानु पटकानें लगा मानों वह अंदर जाना ही नही चाह रहा था | पर वहाँ भी जैसे तैसे करके पकड़ा गया | वह अंदर जानें माँग ही नही रहा था | तो बाबा खुद बाहर आ गए | और देखते साथ समझ गए के क्या हुआ है | बाबा उसके सर में हाथ रखके कुछ पड़नें लगे | जिस्से सानु और भी पटकानें लगा | ईसी बीच बाबा कहनें लगे की आपलोग कैसे भी करके ईसे सिर्फ अंदर ले आईए | बहुत मुश्किल से उसे अंदर लाया गया | वहाँ और भी बहुत से लोग थे | जिनकी हालत सानु जैसी थी | मै समझ गई की ईनलोगों के अंदर भी भुत पिशाच है | दरगाह भी उन सबकी चीखों से गुँज रहा था जो उसपल को और भी डरावना बना रही थी |

बाबा पुछनें लगे की तुम कौन हो | और ईस बच्चे के ऊपर क्युँ आई हो | वह बस यही कहे जा रहा था | की मुझे भुख लगी है | बाबा उस्से बार बार यही कहे जा रहे थे | पर वह एक ही बात को बार बार दोहराए जा रहा था |

की मुझे भुख लगी है | खाना तो | बाबा का गुस्सा सातवे आसमान में था | वह कहनें लगे आप लोग ईसे छोड़ दिजिए और दुर हट जाए मै ईसे संभाल लुगा | देखता हुँ कैसे नही जाएगी ये | बाबा कहनें लगे अगर तुमनें ईसे नही छोड़ा तो मै तुम्हें ईसी वक्त कैद कर लुगा | यह कहकर वो बहुत ही जोर जोर से कुछ पडे़ जा रहें थे | वह चिखनें लगी | सानु ही चीख रहा था | पर उसके अंदर लड़की की आत्मा थी | बाबा बीना रुके लगातार कुछ पड़े जा रहे थे | सानु बुरी तरह चीखे जा रहा था | बाबा कहनें लगे मैं तुम्हें थोड़ दुगा पर बताव की तुम कोन हो वह अपनें बारे में सारी बातें बताती है | फिर बाबा पुछते है की ईस बच्चे को क्युँ पकड़ा तो वह कहती है की ईसके ईत्तर ( Perfume ) की खुश्बु की वजह से खींची चली आई | बाबा कहनें लगे अब तुम ईस बच्चें को छोड़ दो | पर वह अभी भी चीख रही थी की नही छोड़ुँगी पर | बाबा ने कहा अगर तुम ईसे नही छोडोगी तो मै तुम्हें कैद कर दुँगा ईस बोतल में | ईसी तरह होते होते अचानक सानु जमीन में गीर जाता है | बाबा कहते है वह आत्मा चली गई है पर बीच में ईसे एकबार और लाईगा | मै आपको तावीज दे दुँगा |

उस दिन के बाद से सानु बिल्कुल ठीक हो गया | पर बाबा उसे दुबारा बुलाए थे ईसिलिए वह अपनी अम्मी के साथ एकबार फिर दरगाह जाता है | बाबा उसे एक तावीज देते है | और कहते है | ईसे कभी भी नही उतारना |

उस दिन के बाद से सानु पहले की तरह हम सब के साथ रहनें लगा पर उसकी अम्मी नें उसे कही घुमनें या ईधर ऊधर जानें को मना की थी | ईसिलिए वह अपनें बस्ती में ही रहता था | बस्ती के बाहर नही जाता था |

ये कहानी 2009 की है |

उस समय 2 रुपया आराम से चलता था | चाँकलेट तो आराम से मिल जाता | अभी भी 2 रुपया चलता है | पर उस समय की बात कुछ और थी |

कहाँ गए वह दिन

बस यही थी सानु की कहानी

The End

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