फिर शाम को रिचा के मम्मी पापा आ गए।।
बिमल ने हाथ मिलाते हुए कहा आइए बैठिए।।
रिचा ने कहा मम्मी पापा ये है मेरे प्यारे अंकल।
रिचा की मम्मी मोहिनी ने कहा अरे भाई सहाब ये मेरी बेटी आपकी इतनी तारीफ कि है कि हमसे और रहा नहीं गया।
बिमल ने हंसते हुए कहा अरे रिचा बेटा खुद इतनी प्यारी है कि मेरे पागल बेटे को सही रास्ते पर ले आई।
यश ने कहा हां, हां करो उसकी तारीफ और मैं तो बस।।
मोहिनी ने कहा हमने अगले महीने की १३ तारिख को शादी की शुभ मुहूर्त निकाला है।
रिचा के पापा कमलेश ने कहा हां चलिए मुंह मीठा किजिए।
कुछ देर बाद ही खाना बनाने वाली ममता मिठाई,चाय, समोसे सब लेकर आ गई और फिर सबको दे कर चली गई।
यश और रिचा अपने रिश्ते को लेकर खुश थे और कई सारे सपने बुन रहे थे।
बिमल ने कहा excuse me..
अन्दर से अलमारी में से चांदनी का दिया हुआ वो हार ले आया और फिर रिचा को दिया और कहा कि यह तेरी मां का आखिरी निशानी है वो बोली थी कि मेरी बेटी को दे देना।
यश और रिचा की आंखों से आंसु बहने लगा और फिर रिचा ने पैर छुए और बोली जी पापा, ये मैं हमेशा सीने से लगा कर रखूंगी ताकि मम्मी का एहसास मुझे हो।
फिर सब एक साथ खाना खाया और फिर रिचा अपने मम्मी पापा के साथ घर चली गई।
बिमल ने रात को अपने मम्मी पापा को विडियो कालिंग किया और सारी बातें बताईं।
यश ने कहा दादी मां ने टिकट बुकिंग करा देता हूं।
दादा जी ने कहा हां, जरूर।
फिर एक हफ्ते बाद ही बिमल के मम्मी पापा आ गए।
सारी खरीदारी यश और रिचा मिलकर कर रहे थे।
खरीदारी में कोई कसर नहीं छोड़ सकती हुं यह बात रिचा ने कहा।
यश ने कहा हां, मैं कब मना किया है लो ना।
रिचा ने कहा तुम कंजूस हो बस युही नहीं चल सकता है पाप से सीखों।
यश ने कहा अरे बाबा कितना बोलोगी और चलो ना।
फिर दोनों लड़ते हुए साड़ी की दुकान पर जाकर साड़ियां देखने लगे।
यश अब एक भी पसंद नहीं कर पाई हो।
रिचा ने चार साड़ियां पसंद कर लिया।
फिर यश ने पैसे दे दिए और फिर वहां से दोनों एक रेस्टोरेंट में जाकर खाना खाने बैठ गए।
वहां पर भी दोनों की नोक झोंक शुरू हो गई।
दोनों ने ही बिमल को फोन लगाया।
एक मोबाइल पर तो दूसरी लेड लाइन पर।
बिमल ने हंसते हुए दोनों से पूछा क्या हो रहा है।
मेरी शायरी सुनो।
कोई नाम नहीं इस रिश्ते का.....
जो तेरे मेरे बीच है.
बस कुछ एहसास हैं...!!#
*
जो हम समझते हैं कुछ जज़्बात हैं ,
जो तुम से मुझ तक पहुँचते हैं....!!
~★~
कुछ अनकही सी बातें हैं.,
जो बस हम सुन पाते हैं...!!
*
नहीं बँधे हम.,
दुनिया की रस्मों में तो क्या..?
दिल की धड़कनें तो बंधी हैं एक दूसरे से...!!
~★~
नहीं समझता ये जहां.,
इस बेनाम रिश्ते को तो जाने दो....!!
*
बस तुम हो मैं हूँ.,
एक दूसरे के लिए.....!!
बस यही काफ़ी है.....
हाँ यही काफ़ी है .......!!
✍️💕💕💕💕
क्रमशः