अधुरी मोहब्बत Lotus द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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अधुरी मोहब्बत

Mr.. रोहित....

इश्क की गली से मिलो मिल बचकर निकलने लगे हैं
जब से खाई है चोट इश्क के नाम से डरने लगे है

कभी सजाएं थे हसीन सपने इन आंखों में
एक शक्स के बैवफा हो जानें से सारे सपने टूट कर बिखरने लगे है

आदत लगा कर छोड़ देते है लोग अक्सर
बस उसी कारण तन्हाई की गहराई में उतरने लगे हैं...

आज बहुत दिनों बाद एक कहानी लिख रहा हूं
मन तो नही था लिखने का यहाँ पर लिख रहा हूं

अधूरी मोहब्बत...!!!!!!!!!!! By रोहित.....!!!!

एक थी दिवानी जो प्यार मोहब्बत के नाम से कोसो दूर थी
फिर उसको किसी से प्यार और दोस्ती हो गई
बन गया जमाना उसके प्यार और दोस्ती का दुश्मन
और जुदा वो दोनों हो गए और चल पढ़े अपने अपने राह पर

दर्द अपनो से ही मिल गए उसे बेशुमार
तन्हा दिल और तन्हा हम रह गए
वो दिवानी फिर ये सोचने लगी काश हम मिले ही न होते
तो दर्द अपनो से मिले न होते
तन्हा दिल तन्हा हम न होते

पर ये बंधन तो दिलो के होते है एक बार जुड़ जाए तो कभी नही टुटते नहीं
जब तक वो समझ पाता इस सच्चाई को बहुत देर हो गई
प्यार की कहानियां तो रहती ही अधूरी और ये तो ईश्वर की मर्जी है कोई चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता

ये रोहित तेरी कहानी भी तो मेने लिखी अधूरी थी
जब में अपनी कहानी न पुरी लिख पाया तो तेरी कैसे लिख पाता में ये बार बार कृष्ण ने मुझे जवाब दिया

कृष्ण ने जवाब दिया मोहब्बत तुम्हारी चाहे अधूरी रह गई हो लेकीन दोस्ती तुम्हारी रही पुरी इस बात की खुशी तुम्हे हमेशा रहेगी
मोहब्बत मजबूरियों दूसरा नाम हो सकता हैं मगर दोस्ती मजबूर नही हो सकती
मोहब्बत से अच्छी दोस्ती है जो हर वक्त साथ निभाती हैं

में उसके बारे में कुछ नही जानता न उसका नाम न उसका पता न वो मेरे बारे कुछ जानती हैं लेकिन
दिल बहुत कुछ सोचता है उसके बारे में शायद सोचती तो वो भी है
मगर मोहब्बत अधूरी रह जायेगी ये सच है
टूटे दिल की आवाज़ किस किस को सुनाऊं में
जो है नही मेरा फिर उसे क्यो भूल न पाऊं मैं
जिनकी मोहब्बत में हमने ख़ुद को मिटा दिया
जिन्हे चाहने की चाहत में हमने ख़ुद को भूला दिया
वो तो मेरे ना रहे
मेरी अधूरी मोहब्बत बन कर रह गए
जो हर जगह नज़र आता है
जिनकी खुबसूरती से चांद भी घबराता है
जिनके चेहरे को देख कर मन शांत हो जाता हैं
जिनकी मुस्कान से तूफ़ान भी थम जाता हैं
वो मेरे न रहे
मेरी अधूरी मोहब्बत बन कर रह गए
टूट गए सारे सपने मेरे
वो न रही पास मेरे अब किसे बनाऊं में अपना
जो में ही नहीं रहा पास अपने
जिन्हे आज भी ढूंढती है आखें मेरी
जिनके इंतजार में टिकी है आज भी आखें मेरी
वो मेरे न रहे
मेरी अधूरी मोहब्बत बन कर रह गए
अधूरे हम अधूरे तुम
अब यही कारण है जो हम कभी नही मिल पाए आज तक