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भेद...

पुरूष..
नारी को समझ क्यो नही पाता ...
क्य इतना कठीन होता है
नारी को समझना...
क्या होता है ना पुरूष और नारी दोनो का स्ट्रक्चर अलग अलग होता है ....
कोई भी प्रॉब्लम का जाती है life मे तो
इक पुरूष आपकी प्रॉब्लम मिनटो मे साॅल्व कर देता है
वो आपसे पुछेगा की आपकी प्रॉब्लम क्या है

और तुरन्त ही उसके सोल्यूशन पर फोकस करेगा
ओर मिनटो मे प्रॉब्लम साॅल्व कर लेगा...
प्रॉब्लम तो साॅल्व हो गई....
पर यही प्रॉब्लम है कि प्रॉब्लम साॅल्व हो गई..
बीना नारी की पूरी रागिनी सुने
यही तो दुविधा है
मे मानते हू कि शार्फ पुरुषो मे
किसी भी परेशानी को साॅल्व करने की काबिलियत होती है
पर आप थोड़ रुकिए
आप जिस तरह इजी होते है
नारी नही होती
वो ऊलझी होती है विचारो मे खुद मे परिश्तियो मे
जरा इसे ड्रामेटिक अंदाज मे लिजिए...
उसके समक्ष बैठ
उनकी पुरी बात सुनकर लिजिए
उन्ह पुरा हक लेने दिजिए...
और बाद मे उन्ह शोलयूशन दिजिए
वो आपकी कायल हो जाएगी..
इक बात होत है नारियो मे
वो चाहती है उन्हे सुना जाए समझा जाए सराहा जाए
कोई भी रिलेशनशिप मे इमोशनल डिपेंडेसी होती है
दोनो को एक दूसरे का आधार चाहिए होता है
पुरूष यही गलती कर देता है
वो बीना जाने समझे सुने
मीनटो मे प्रॉब्लम खतम कर देता है
नारी मन ऐसा ही होता है
वो जिस पुरूष को पसंद करती है वो चाहती है की वो उनकी छोटी छोटी बातो को नोटिस करे...
एक प्रेमी के रुप मे.
वो उसे ढूढता हुआ जब उसके पास जाता है
तो उन्हे अचछा लगता है...
उनकी गलियो के चक्कर मारता है उनकी सिर्फ इक झलक पाने के लिए...यकीन मानि ए
उन्हे ये सब पसंद आता है..

भरी महफिल मै गर
आपकी नजरे जब उन्हे ढूंढने लगती है ..
तो मन मे .my men ki feelings उनके चेहरे पर मुस्कान ला देती है..
अब ये बाते क्यो नारी होती ही ऐसी
वो पुरूषो की तरह स्टेट्स पासवर्ड नही हो सकती..
वो तो जितना आपको करीब पाएगी आपसे उम्मीदे भी उतना ही रखेगी..
कुछ लोग सोच सकते है .कि कितनी किरीटिकल होती है नारी...वो पुरूष वर्ग की तरह बात को सीधे तरीके से क्यो नही लेती...नारी भावनात्मक रूप से हर बात से जुड़ी होती है उनके मन मे क्या चल रहा है वो चाहती क्या है वो सोचती किस तरह है उनकी अपने पती प्रेमी से क्या उम्मीद है ये जानने के लिए उनकी तरह उस पहलू से जुडना आवश्यक हो जाता है..जिस तरह वो जुडी होती है.....

...भेद...

औरतो के दिलो पर राज कोन सा पुरूष कर सकता है
क्या यह प्रश्न रूचिकार हो सकता है..
हाॅ..
अगर पुरूष ये बात जान ले
तो क्या पुरूषो के महिलाओ के दिलो पर राज करने का हुनर सिखने पर आसानी नही होगी...
अक्सर औरतो को लडकियो को...
वो पुरूष दिल को छू जाता है
जो उनसे अदब मे पेश आता है
पुरूषो के लहजे मे विनम्रता उन्हे जयादा आकर्षित करती है.
ग्रेट ऑब्जर्वर होती है महिलाए
वो हमेशा से ही पुरूषो को नोटिस करती है
कि उनका व्यवहार दूसरी स्त्री- के प्रती कैसा है
बात यहा...
फेमिनेसीम की नही है..
कि यदी तुम्हे महिलाओ के दिल पर राज करना है तो तुम्ह
लम्बे चौडे भाषण स्त्री शक्ति पर दैना आना चाहिए ...
जो नही...
ऐसा बिल्कुल नही है
आपकी भाषा शैली ऐसी हो
कि वो आप पर बिना प्रभावित हुए रह न पाए
शारीरिक बनावट पुरूष को आकर्षित बना सकती है
लेकिन एक प्रभावशाली व्यक्तित्व बनाने मे आपको करीब कई
हद तक आपका बात करने का लहजा कैसा है यह बात मददगार हो सकती है...
इतिहास गवाह है
सल्तनत छोड...
अदद गुलाम से मोहब्बत करने मे स्त्रिया पीछे नही रही..
पैसो के तराजू मे औरतो को तोलने वाले ये जान ले
पैसा ठुकराकर झोपड़ी मे भी निर्वाह कर लेती है
बस आप उनकी रूह को छू ले....

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