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बेहतर.. बेहतरीन....

मुसकुराते रहना बेहतर है
लेकिन किसी कि मुस्कुराहट की वजह बनना बेहतरीन है......
माफी मागना बेहतर है
लेकिन माफ कर देना बेहतरीन है 🙏🙏

दान प्रदान करना बेहतर है
लेकिन दान प्रकट न करना बेहतरीन है 👍👍

रिश्त बनाना बेहतर है लेकिन
रिश्त निभाना बेहतरीन है 🤝🤝
प्यार करना बेहतर है लेकिन प्यार पाना बेहतरीन है 🤱

जाग जाना बेहतर है लेकिन जाग्रत रहना बेहतरीन है

सिखाना समझाना बेहतर है लेकिन सिखना समझाना बेहतरीन है🤼‍♂️🤼‍♂️

ध्यान रखना बेहतर है लेकिन ध्यान करना बेहतरीन है....

कल को सोनकर जीना बेहतर है लेकिन आज को जीना बेहतरीन है........

गलती का प्राश्चित बेहतर है लेकिन गलती सुधरना बेहतरीन है

जिम्मदारी बांटना बेहतर है लेकिन जिम्मेदारीया निभाना बेहतरीन है

बच्च पर गर्व करना बेहतर है लेकिन मा बाप के गर्व बनना बेहतरीन है

नाम करना बेहतर है लेकिन नाम कर जाना बेहतरीन है

प्रकृति से लगाव बेहतर है लेकिन प्रकृति का बचाव बेहतरीन है

साथ रहना बेहतर है लेकिन बुरा न होन बेहतरीन है

उम्मीद से जीना बेहतर है लेकिन उम्मीद पे न जीना बेहतरीन है

दर्द समझना बेहतर है लेकिन दर्द दूर करना बेहतरीन है

खुद के लिए दुआ मागना बेहतर है लेकिन किसी की दुआ करना बेहतरीन है....

सोचना बेहतर है लेकिन सोच बेहतरीन है ...
कल्पना बेहतर है लेकिन कलप ना बेहतरीन है....

कुछ करना बेहतर है लेकिन कुछ कर दिखाना बेहतरीन है

खुशिया मनाना बेहतर है लेकिन खुशिय बांटना बेहतरीन है

साधना बेहतर है लेकिन कुछ साध। ना बेहतरीन है

विश्वास होना बेहतर है लेकिन विश्वास जीतना बेहतरीन है
मनुष्य होना बेहतर है लेकिन मनुष्य बनना बेहतरीन है .....

मोहब्बत होना बेहतर है लेकिन मोहब्बत निभाना बेहतरीन है ...

...... साथ बेहतर है लेकिन साथ देना बेहतरीन है .....

....बेहतर से बेहतरीन की तलाश करो
मिल जाए नदी तो समन्दर की तलाश करो...
टूट जाते है शीशे पत्थर की चोट से
तोड दे पत्थर ऐसे शीशे की तलाश करो................
बेहतर जिन्दगी....के लिए........!!!

कही उम्दा कही बेहतर है कही कमाल है जिन्दगी
उनके मुताबिक आबाद ओ बे मिसाल है जिन्दगी

कुछ दिखता नही या देखकर अंजान बनते है
कहते वहम ओ गुमान मे मह जमाल है जिन्दगी

मशवरा है कभी देखे जहा घरसे वो निकला करे
गफलत ओ शहवत फरीसती मे बडी बेहाल है जिन्दगी

बीती है कई सदीया किसी की राह ए तसव्वुर मे
झूठ फरैब ओ सितम मे जर्रा ए पमाल है जिन्दगी

बिकते है जमीर यहा चंद दौलत ओ जागीर के खातिर
चलते नफरतो के हर तरफ जी का जंजाल है जिन्दगी

हो हमबिस्तर इक रात के मेहमा उसी को इश्क कहते है
जिस्म ओ हवस की आग मे जलती हुई मशाल है जिन्दगी

और कही अंजाम टुकडे पैतीस कभी धमकी बहातर की
कहते हो कीस बिना पर तुम बाखूब खुशहाल है जिन्दगी

किए थे वार चालीस बार और पत्थर से फिर कुचला
हाल ही का वाक्या देखा लगा बडी बदनाम है जिन्दगी...

हटे पर्दा झुटी फरेब ओ शान का मुझको भी बता देना...
जरा देखने वाली नजर मे कितनी तजईन ए जमाल है जिन्दगी...
लास्ट की लाइन हाल ही घटना का है शायद आप लोग समझ जाएगे ......यह इक सच है.....
.🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏✍️✍️✍️🖤🖤🖤🖤


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