बिमल ने कहा हां सब ठीक हो जाएगा।
चांदनी ने कहा मुझे कुछ महसूस नहीं होता है कि मैं मां बनने वाली हुं।
बिमल ने कहा अरे बाबा अब क्या हुआ सब ठीक हो जाएगा।।
तुम मां जरूर बनोगी भले ही अपने गर्भ में नहीं पर वो तुम्हारा अपना होगा।
चांदनी ने कहा ये क्या कह रहे हो मैं तो अपनी सन्तान चाहती हुं।
बिमल ने कहा हां ठीक है सब कुछ ठीक हो जाएगा।
फिर धीरे, धीरे नौ महीने हो गए थे।
बिमल ने जो कुछ किया वो सब चांदनी , मम्मी पापा के लिए किया वरना जिंदगी में चांदनी के सिवा किसी की जरूरत नहीं थी।
पर लोगों का मुंह बंद रखने के लिए ये सब कुछ करना पड़ा।।
चांदनी ने तो साफ मना कर दिया था अगर किसी को थोड़ी सी खुशी देकर उसकी जिंदगी सवर जाएं तो क्या बुरा है। कौन अपना और कौन पराया ये सब देख कर क्या फायदा हमें तो बस सन्तान सुख चाहिए था वो जैसे भी हो।
आज चांदनी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
मैं भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि सब कुछ ठीक हो जाएं कोई तो चमत्कार हो जिसके लिए पुरी दुनिया उस देवता को याद करता है।
पापा मम्मी लोग भी आ गए थे और फिर उनका फोन भी आ रहा था कि क्या हुआ? डाक्टर ने मुझे बुलाया और फिर जो कुछ हुआ उसका अंदाजा कोई भी नहीं लगा सकता था।
फिर सच में एक चमत्कार ही हुआ जैसे मैंने सोचा था। चांदनी के पास जब मैं गया तो देखा कि एक नन्हा सा राजकुमार लेटा हुआ था।
उसकी रोने की आवाज से चांदनी के हाथ हिलने लगे। चांदनी होश में नहीं थी।
मैं बाहर आकर घर में फोन करके मां को सब कुछ बताया तो मम्मी भी खुश हो गई पोता जो हुआ था।
अब मैं भी एक लम्बी सांस लेकर वहां बैठ गया।
खुश तो था पर ऐसा होगा सोचा नहीं था।
डाक्टर ने कहा सब कुछ ठीक है दो दिन बाद घर ले जा सकते हैं।
वो चमत्कार था या भगवान की कृपा मुझे नहीं पता पर लगता था कि भगवान ने दुआ कबूल कर लिया था।
फिर दोनों दिन बाद हम तीनों घर वापस आ गए।
मम्मी पापा ने बहुत ही अच्छे से हमारा स्वागत किया।
चांदनी और बच्चे को देख कर बोली कि अब लगता है कि तुम सम्पूर्ण हो गई हो।।
बिमल ने कहा हां ठीक है पहले अन्दर जाकर आराम करो।
मम्मी ने कहा बिमल मालिश वाली मौसी को बुला लो।बहु और बच्चे को मालिश कर देंगी।
बिमल ने कहा हां मम्मी पर चांदनी को डाक्टर ने मना किया है।
मम्मी ने कहा अच्छा ठीक है।। घर में बहुत खुशी का माहौल था। मम्मी ने तो महाराजा को बुलाया और बहुत तरह की मिठाई और पकवान बन रहें थे।
सारे रिश्तेदार को और पड़ोसियों को मिठाईयां बांटी जाएगी।
बच्चे का छः दिन में पुजा होता है।बच्चे को नया कपड़ा पहनाना पड़ता है।
यश ने कहा पापा क्या ये बच्चा मैं हुं? क्या आप कुछ छुपा रहें हैं?
बिमल ने कहा हां, बेटा तुम ही हो।।
नहीं ऐसा कुछ नहीं है।
फिर आगे क्या हुआ अंकल ये रिचा ने कहा इतना दर्द इतना प्यार और इतना त्याग कहीं देखने को नहीं मिल पाता है।
बिमल ने कहा बेटा तुम तो समझ रही हो पर बहुत कोई नहीं समझता है।
यश ने कहा अरे बाबा अब क्या हुआ कहानी खत्म।।।
बिमल ने कहा अरे नहीं ,नहीं।
फिर सब मिलकर खुशी से रहने लगे।
चांदनी की तबीयत धीरे ,धीरे खराब होने लगी थी उसे कमजोरी होने लगी थी और फिर वो बेबी को लेकर ज्यादा देर तक नहीं रह पाती।
कमजोरी की वजह से वो तुम्हे अपना दुध तक नहीं पिला पाती थी।
इस तरह से छः महीने बीत गए और फिर हमने एक आया रख दिया तुम्हारी और मां की देखभाल के लिए।।
फिर इसी तरह एक साल के हो गए तुम उस दिन तुम्हारा जन्मदिन था।
तुम्हारी मां सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले मंदिर जाकर तुम्हारे लिए पुजा चढ़ा कर आई।
फिर घर में ही हमने एक पार्टी रखी थी। सभी रिश्तेदारों को बुलाया गया था।उस दिन तुम्हारा अन्नप्राशन संस्कार भी रखा था।
अस्पताल के कुछ डाक्टर और नर्स को भी हमने बुलाया था।
यश ने कहा हां,पर क्यों पापा??
बिमल ने कहा क्योंकि तुम्हारी मां
क्रमशः