रमा घर का सारा काम निपटा कर कमरे में सोने आई। रोहित पहले ही आ चुका था, और लेटे-लेटे कब उसकी, आँख लग गई पता ही नहीं चला। रमा भी सोने ही वाली थी, कि अचानक उसका का फोन बजा। रात के 10.30 बजे को कौन कर सकता है, इसी असमंजस में रामा ने फोन उठाया। फोन किसी नये नंबर से आया था। बात करें या नहीं, इसी उधेड़बुन में थी कि, रोहित नींद में ही कहता है-" बात कर लो, क्यूँ मेरी नींद खराब कर रही हो।"
रमा ने फोन उठाया। उधर से -"माँ", कह के किसी ने पुकारा। रामा चौंक गई। बोली- "अजय.... तुम? इस वक़्त? और ये नंबर किसका है? तुम्हारे hostel warden का तो नहीं है? सब ठीक है ना बेटा? बताओ?"- "अरे, रोहित उठिए, अजय का फोन है!" खुशी और डर का भाव दोनों एक साथ दिखे। स्वर में अचानक एक कंपन सी आ गई। आख़िर माँ थी। भय और भावुकता दोनो साथ रहता है इनके दिल में।
दरअसल अजय एक bording school में पढ़ता है। वहाँ से अचानक कॉल करना मुमकिन ही नहीं है। एक schedule के तहत ही सब अपने-अपने घर पे कॅल कर सकते है, और आज अजय का schedule नहीं था। परेशान करने वाली बात ये भी थी, कि इतनी रात को उसने एक अजनबी नंबर से फोन किया। ये स्कूल के किसी भी कर्मचारी का नहीं था।
खैर माँ को शान्त करते हुए, अजय ने बोला- "आप की बहुत याद आ रही थी तो सोचा कि बात कर लूँ। Hostel में एक भैया है, जिनके पास फोन है। उन्होंने ही दिया है बात करने के लिए।" माँ बेटे में कुछ देर वार्तालाप के उपरांत, अजय ने good night बोल कर फोन रख दिया। इधर रमा भी भगवान का शुक्रियादा करती है, कि उन्होंने बेटे से बात करवा दिया। रमा मन ही मन सोच रही थी, कि आज सारा दिन उसे अजय याद आता रहा। और वो भगवान से प्रार्थना करती रही कि काश आज अजय का फोन का schedule होता तो वो बात कर पाती। मगर देखो भगवान ने उसकी विनती सुन ली और अजय से बात करवा दिया। भगवान भी अपने होने के क्या क्या सबूत देता है, यही सोचते हुए रमा हो गई।
इधर अजय ने उस लड़के को, जिसका फोन था, 50 रूपए दिए और अपने बेड पे जा के हो गया।
सुबह घर पे नाश्ता करते हुए रोहित ने रमा से पूछा- "क्यों किया था फोन अजय ने? वो ठीक तो है ना?" रमा ने मुस्कुरा कर जवाब दिया- "क्यों? जलन हो रही है आप को। बेटे को माँ की याद आ गई सो कर लिया फोन।" रोहित थोड़ा गम्भीर होकर- "इतनी रात को, उसको फोन किसने दिया करने केलिए?" फिर रमा ने फोन के बाबत, वो सारी बातें बता दी, जो अजय ने बताया था। रोहित अपने office चला गया और रमा घर के काम में लग गई।
रोहित, office पहुंच कर भी विचलित था। अजय के school में बाहर से कोई भी चीज़ लाना वर्जित है, तो ये फोन कैसे आया। क्या और कोई चीज़ बच्चों के पास होती है? क्या सभी बच्चों के पास फोन है और मैं ने ही नहीं दी है। और न जाने क्या क्या ख्याल उसके दिमाग में घूम रहे थे। आखिरकार रोहित ने school में बात करना ही उचित समझा।
Lunch break के बाद, रोहित ने school में फोन कर होस्टल प्रमुख से बात की। उनको कल की धटना से अवगत कराया। होस्टल प्रमुख अचंभित हो गये और रोहित की बात पर यकीन ही नहीं कर रहे थे। वो रोहित को अपना तर्क दे रहे थे कि कैसे किसी का भी बिना schedule फोन करना ना मुमकिन है और ये भी कि भी विद्यार्थी सुरक्षा चांच का उल्लंघन कर होस्टल में कुछ ले ही नहीं जा सकता। मोबाइल तो बड़ी चीज़ हो गई।
रोहित ने समझाने कि बहुत कोशिश की, कि ऐसा हुआ है। परन्तु होस्टल प्रमुख अपनी जिद पर थे कि उनकी निगरानी में ऐसा हो ही नहीं सकता। अतः रोहित अपना धैर्य को खोते हुए, वो मोबाइल नंबर दिया जिससे फोन आया था और जांच की अनुरोध किया। फोन बंद हो ने के बाद, रोहित ने सारा का सारा ब्योरा प्रधानाचार्य को ई-मेल कर, जांच का अनुरोध किया।
ई-मेल के मिलते ही स्कूल में मानो भगधर मचगया। समस्त होस्टल कर्मचारी की मीटिंग ली गई और होस्टल की तलाशी शुरू हूई। इधर होस्टल में जिस बच्चे ने अजय को फोन दिया था, वो सतर्क हो गया। पहले तो उसने फोन बंद करके होस्टल के वाशरूम की टंकी के पास पड़े कबाड़ में छुपा दिया। फिर उसने उन सभी बच्चों को पहले धमकाया और बाद में फ्री फोन की लालच दी, नाम न बताने के एवज में। जब स्कूल प्रबंधकों को कुछ हाथ नहीं आया तो उन्होंने रोहित के ई-मेल को जवाब दिया कि आरोप गलत है इत्यादि।
रोहित को जब ई-मेल मिला तो वो हैरान हो गया। ऐसे कैसे मुमकिन है कि कोई मोबाइल न मिले। जब की खुद उसके बेटे अजय ने उस मोबाइल से फोन किया था। रोहित शाम को जब घर लौटा तो रमा से बोला कि हम कल अजय को मिलने चलेंगे। रमा खुश हो गई, मगर इस अचानक जाने की बात से चौंकी भी। रमा बोली- " क्या बात है, अचानक अजय को मिलने का प्लान? स्कूल में सब ठीक है ना? " रोहित हाँ में जवाब देते हुए अपने काम में लग गया।
अगले दिन सुबह, रोहित और रमा अजय के स्कूल पहुंचते है। Classes चल रहे थे। रोहित प्रधानाचार्य से मिलने रमा के साथ ही गया। कुछ औपचारिक बातचीत के बाद, रोहित ने प्रधानाचार्य को विनती की, कि अजय को बुलाया जाये। अजय को बुलाया गया। अजय के आते ही रोहित ने उससे रुद्र स्वर में पूछा वो फोन किसका है और अब कहाँ है। अजय घबराते हुए बोला- "फोन class 12 के मुकेश भैया का है और फोन बंद करके होस्टल के वाशरूम की टंकी के पास पड़े कबाड़ में पड़ा है।
प्रधानाचार्य ने, एक तरफ तो मुकेश को बुलाया और एक तरफ फोन ढूंढने को बोला। फोन और मुकेश दोनों इकट्ठे ही प्रधानाचार्य के समक्ष पहुंचे। फोन को खोलकर, उसका का मालिक मुकेश है, इसकी पुष्टि की, और हो गई। अब मुकेश से प्रधानाचार्य ने गुस्से में पूछा यह सब क्या है? मुकेश ने बड़े ही शांत किन्तु गम्भीर स्वर में बोला - "Entrepreneurship Skill! पिछले ४ सालों से स्कूल में इसी बात पे तो जोर दिया गया है। घंटों classes ली गई है, Guest Speakers बुलाये गये, workshops ली गई। मैं तो बस जो सीखा उसको अमल में ले आया।"
मुकेश आगे बताते हुए, - Entrepreneurship Skill में हमें जरूरत का विश्लेषण करने को बताया गया, फिर उस जरूरत को पूरा करने की प्रक्रिया को व्यापार कैसे बना सकते हैं। मैं ने भी यही किया। स्कूल में सब चाहते थे कि schedule के उपरांत भी वो अपने परिजनों से बात कर पाये। अतः में ने मोबाइल फोन और एक सिम कार्ड ले आया। यह मेरा निवेश था अपने व्यापार में। पहले मैं ने हर class के कुछ बच्चों को फ्री फोन करने दिया, यह थी मार्केटिंग रणनीति (strategy). जब सब को सुविधा का पता चल गया तब मैं ने मूल्य लेना प्रारंभ किया। यह थी मेरी आय।
वहांँ बैठे सभी सुनकर अच्म्भित हो उठे। अपनी और से दी गई शिक्षा का प्रभाव देखे या परिणाम।
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