रोहित और रमा का इश्क़ भी एक अजीब मुकाम पर था। हर महिने कीसी ना कीसी बहानें वो एक-दूसरे से मिल ही लेते थे। अलग-अलग शहर में रह कर इश्क़ का ये ख़ाम्याजा तो ज़रूर था। मुद्दतों बाद लम्हों के लिए मिलते थे। मगर इश्क़ का खुमार इस कदर था कि मिलते तो ज़रूर थे।
अब के दिसंबर में २० तारीख को मिलने का प्लान बना। तय यह हुआ कि रमा अपने घर में, माता-पिता और बेटी को, ये बोल देगी कि यूनिवर्सिटी ने एक कान्फरेन्स में भाग लेने के लिए उसे चुना है। कान्फरेन्स देल्ही में है। भोपाल शताब्दी की टिकट हुई है।
इधर रोहित को २२ तारीख को सुबह की फ्लाइट से अहमदाबाद जाना था, मगर घरवालों को बताया कि २० की शाम को फ्लाइट है। शाम की फ्लाइट है, बोल कर रोहित घर से तकरीबन 7 बजे निकल गया। रमा की ट्रेन भी रात 10 बजे तक देल्ही पहुंचती। रोहित ने सोचा 2-3 घंटे प्लॅटफॉर्म पर गुजार लेंगे। मिलने के इंतजार में एक अलग ही मज़ा होता है।
दिसंबर का महीना था। रोहित स्टेशन पर रमा को लेने पहुँचा। ठंड काफ़ी थी और ट्रेन लेट। रात को 11 बजे रमा पहुँची। रोहित ने होटेल पहले से ही बुक कर रखा था। रमा को देखते ही रोहित के चेहरे पर चमक आ गई। टैक्सी बुक करके दोनों होटेल के लिए निकल गए। दो महीनों की जुदाई के बाद, कुछ खाने की भूख तो थी ही नहीं। दोनो होटेल में पहुँच कर एक दूसरे में समा गये। अगली सुबह दोनों ने उठ कर नाश्ता किया और फिर होटेल से चेकआउट कर लिय। उनकी आज की बुकिंग एयरपोर्ट के करीब एक होटेल में थी। आज का सारा दिन भी एक दूसरे के आलिंगन में ही व्यतीत हुआ।
रोहित कि सुबह की flight थी और रमा की ट्रेन। दोनों के flight और ट्रेन के रवानगी में करीब 3 घंटे का फर्क था। रमा ने ये कहा कि मैं तुमको एयरपोर्ट ड्राप करके स्टेशन चली जाउंगी।
टैक्सी में दोनों एक-दूसरे से चिपक कर बैठ गये। किसी नवविवाहित जोड़े की तरह हाथ पकड़ कर बातें करते हुए एयरपोर्ट पहुँच गये। फिर जल्द मिलेंगे इस वादे के साथ रमा टैक्सी से उतर कर रोहित को आलिंगन करने आई। एयरपोर्ट पर बहुत भीड़ थी। टैक्सी वाले ने बोला मेमसाब, जल्दी चलिए, भीड़ हो रही है। तभी अचानक रोहित को ना जाने क्या हुआ और उसने रमा के चेहरे को पकड़ कर होंठों पे होंठ रख दिये और Kiss करने लगा। दोनों ही लोक लाज से परे अपने इश्क़ का रसपान करने लगे। मानो कि फिर कभी मिलेंगे ही नहीं।
रमा को फिर भान हुआ कि वो दोनों बाहर हैं। रमा, रोहित के आलिंगन से अलग हुई। रोहित को बाईं बोला, और टैक्सी में बैठ गई। आँख दोनों के ही छलक गई थी। Rear Mirror से driver ने रमा की आँखो में प्रेम के मोती देख लिए। Driver अनायास ही बोल पड़ा, " मैडम, सर आप से बहुत प्यार करते हैं "। रमा ने भी हाँ में सिर हिलाया। तभी driver फिर बोला, " साहब और आप अलग शहरों में रहते हैं ना? एक ही शहर में नौकरी क्यों नहीं कर लेते, थोड़ा कम ज्यादा हो जायेगा मगर साथ तो रहेंगे। "
रमा उसकी बातों पर मुस्कुरा बैठी। एक अफसोस जनक मुस्कुराहट। अब driver को कैसे बताती, कि इश्क़ है जो छुपते-छुपाते निभ रही है, वरना दो परिवारों को तोड़ कर, तीसरा परिवार बनाना कहा मुमकिन है।
---- रमण बे-इल्म ©