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पागल - भाग 20

भाग–२०

कुछ दिनों में मीशा घर आने वाली थी ,सम्राट अंकल उसके आने के बाद मुझसे राजीव के बारे में बात करने वाले थे ।

लेकिन अचानक मीशा का फोन आया कि वो नहीं आ रही है , क्योंकि वो मां बनने वाली है और डॉक्टर ने उसे तीन महीने तक ट्रेवलिंग का मना किया है।
राजीव जॉब करने लगा था । अंकल अब और वक्त गंवाना नहीं चाहते थे । उन्होंने मुझे एक दिन बुलाया, जब राजीव घर नही था ।

"जी अंकल"
"यहां बैठो" सामने सोफे पर उन्होंने मुझे बैठने का इशारा किया।
मैं बैठ गई। "बेटा तुम राजीव को पसंद करती हो?" उनकी इस बात से मेरे हाथ पैर फूलने लगे थे। पसीने छूटने लगे थे। क्या कहती उन्हे मैं?
"शादी करोगी राजीव से?"अंकल ने कोई जवाब ना पाकर सीधा ही पूछ लिया।
मेरी धड़कने तेज हो गई थी मैं एसी किसी सिचुएशन के लिए तैयार ही नहीं थी। मुझे नहीं पता था अंकल अचानक मुझसे ऐसा कुछ कह देंगे । तभी रोहिणी आंटी ने मुझे असहज देखकर मीशा को वीडियो कॉल कर दिया। और मुझे दे दिया।
"कीर्ति , पापा मम्मी तुझे पहले से राजीव के लिए पसंद करते है मेरी जान , बस तेरी हां की देर है। हां कर दे ना?"

"ले,,,,लेकिन,,, रा,,,,राजीव"
"उसकी चिंता मत करो बेटा उससे मैं बात करूंगा" अंकल ने कहा।
"मैं,,, मैं,, उससे बात किए बिना कोई फैसला नहीं ले सकती ।सॉरी अंकल " मैने कहा और रोते हुए वहां से निकल गई।

"पापा प्लीज कुछ कीजिए ना , मुझे कीर्ति के लिए बहुत बुरा लगता है , बहुत प्यार करती है ये राजीव से । आप समझाइए ना राजीव को" मीशा ने अपने पापा को कहा वो रुआंसी हो गई थी।

"ठीक है बेटा , मैं राजीव से बात करूंगा ,तुम अपना खयाल रखना"

इधर मैं घर आकर कमरे में खुद को बंद कर चुकी थी । आखिर मेरी किस्मत मुझे क्या दिखा रही थी? राजीव मुझसे प्यार नही करता तो मैं उससे शादी कैसे कर लूं? जब मुझे राजीव चाहिए था वो मुझसे दूर हो गया अब जब मैंने खुद को जैसे तैसे समझाया और उसे दूर किया तो राजीव से मेरी शादी की बातें? मैं इतनी भी सेलफिश नही हूं मैं राजीव के मन की बात जाने बिना हां नहीं कह सकती।
सोचते सोचते में दिन में ही सो गई।

"ये लड़की राजीव के चक्कर में अपने प्राण ही त्याग देगी" मेरी मां ने मेरे सिर पर हाथ से सहलाते हुए कहा । वो कैसे जानती थी पता नही मैने उन्हे कभी नहीं बताया कि मैं राजीव से प्यार करती हूं । पर मां से कुछ नही छुपाया जा सकता सोने से पहले मैने कमरा खोल दिया था ।इसलिए मम्मी मेरे पास आकर बैठी थी।
सिवाय राजीव के उसके लिए मेरे प्यार को सबने महसूस किया । ना जाने क्यों उसने नही किया , या फिर वो अनजान बनता आया है अब तक।

जो भी हो अगर राजीव मुझसे कहेगा कि वो मुझसे शादी करना चाहता है तभी मैं हां कहूंगी। ये ही मेरा फैसला था।

जिंदगी बहुत अजीब मोड़ से गुजर रही थी । अक्सर मां बाप प्रेम विवाह के खिलाफ होते है । यहां दोनों परिवारों को ऐतराज नहीं था तो मेरा प्रेम ही मेरे खिलाफ खड़ा हो गया । आखिर इतनी अड़चन क्यों होती है प्रेम विवाह में ।

मैं और राजीव , शहर से बाहर वैशाली के शहर दिल्ली उससे मिलने गए थे । स्वाभाविक था कि हम उसी दिन वापिस नही आ सकते थे । इसलिए हमने एक होटल बुक की । मेरे घर वाले और राजीव के घरवाले जानते थे कि हम लोग साथ में दिल्ली जा रहे है। पापा थोड़े नाराज हो रहे थे ।लेकिन मम्मी ने मना लिया था।
"अकेली लड़की को भेज रही हो लड़के के साथ"
"राजीव बहुत अच्छा लड़का है मुझे पूरा विश्वास है उसपर" मम्मी ने कहा था ।
"कीर्ति, दो रूम नही मिले " राजीव ने मुझे मेसेज किया।
"कोई बात नही राजीव एक रूम ले लो एक रात ही तो बितानी है" मैं कई बार राजीव के साथ रोहिणी आंटी के घर या मेरे घर रात रुक चुकी थी। हम पूरी रात साथ पढ़ा करते थे और मुझे पूरा भरोसा था कि हम दोनों साथ में रात बिता सकते है, पूरी ईमानदारी के साथ।

राजीव ने एक रूम बुक करवा लिया था । हम लोग सुबह 10:45 बजे दिल्ली की होटल में चेक इन करते है। और फ्रेश होकर हम वैशाली से मिलने के लिए उसे कॉल करते है ।
वैशाली ने राजीव का कॉल तुरंत उठा लिया "हेलो राजीव क्या हो गया था तुम्हे , पता है मैं तुमसे बात करना चाहती थी कितने कॉल किए, मगर तुमने उठाया ही नही । मैं बहुत पछता रही हूं राजीव और तुमसे बहुत प्यार करती हूं । मुझे तुम्हारी तरह प्यार करने वाला कोई नहीं मिला राजीव , वापिस आ जाओ मेरी जिंदगी में"
उसकी बातें मुझे राजीव ने स्पीकर पर सुनाई। मुझे उस पर इतना गुस्सा आ रहा था कि मैं उसका सिर ही फोड़ दूं। इतनी कमिनि और नीच लड़कियां भी इस दुनिया में भगवान बना कर भेज देते है। पता नही क्यों।
"इसलिए मैं तुमसे मिलने दिल्ली आया हूं ।"
"सच?"
"हां, बोलो कहां मिल रही हो?"

क्या होगा अब आगे ? क्या वैशाली अपनी बातों में फंसा लेगी राजीव को? या फिर राजीव उसे छोड़ देगा ?


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