पागल - भाग 19 Kamini Trivedi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

पागल - भाग 19

भाग–१९

राजीव को सामान्य होने में दो–तीन दिन लग गए थे ।शुरू के दो दिन मैने उसे अकेला नहीं छोड़ा , मैं रात को भी रोहिणी आंटी के यही रुकती थी और राजीव का खयाल रखती थी । हां मैं दूसरे कमरे में सोती थी। रोहिणी आंटी और सम्राट अंकल दोनों को पता चल चुका था कि राजीव किसी परेशानी में है लेकिन उसका कारण अभी उन्हे पता नही था।

"राजीव के साथ क्या हुआ है बेटा?"
सम्राट अंकल ने चिंतित स्वर में मुझसे पूछा था ।
"अंकल ,वो,,"
मैं उन्हे क्या बताती।
"बेटा , प्लीज बताओ , हम उस बीन मां बाप के बच्चे को इस हालत में नही देख सकते। " रोहिणी आंटी की आंखों में आंसू थे ।

"आंटी , वो राजीव को एक लड़की से प्यार हो गया था । सबकुछ अच्छा था लेकिन वो लड़की अच्छी नहीं थी उसने राजीव को धोखा दिया है । इसलिए राजीव टूट गया है । पर आप चिंता ना करे मैं उसे संभाल लूंगी ।" मैने कहा लेकिन मेरी भी आंख भर आई थी । इतना कहकर मैं राजीव के रूम मे उसे देखने चली गई।
राजीव को तेज बुखार था । मैं उसे लेकर हॉस्पिटल जाने लगी "हम भी आते है" अंकल ने कहा।
"नहीं अंकल, अगर डॉक्टर ने कुछ कहा तो आपको बुला लूंगी आप यही इंतजार कीजिए"

मैं राजीव को ऑटो रिक्शा में बैठा कर ले गई।
"ये लड़की राजीव से बहुत प्यार करती है" सम्राट जी ने आंटी से कहा ।
"हां लेकिन राजीव इसके प्यार को समझ नही पाता"
"मीशा ने मुझे बताया था कि राजीव के लिए बेस्ट लड़की कीर्ति होगी । मेरे दिल में भी ये बात पहले से थी। आप क्या कहती है?"
"मैं भी यही सोचती थी कि अगर मेरा कोई बेटा होता तो मैं कीर्ति से उसकी शादी करवा देती "
"तो राजीव आपका बेटा नहीं है?"
"कैसी बात कर रहे है आप , वो भी मेरा ही बेटा है।"
"लेकिन पहले में मीशा के साथ मिलकर कीर्ति से इस बारे में बात करना चाहूंगा ।"
"जी आपको जो सही लगे कीजिए , पर अभी राजीव को थोड़ा वक्त देना होगा । कीर्ति ही उसे इस दुख से निकाल सकती है ।
"हां" अबकी बार मीशा आयेगी तब मैं उसके साथ मिलकर कीर्ति से बात करूंगा और यदि कीर्ति ने हां कह दिया तो उसके माता पिता से भी बात कर लूंगा ।"
"जी ठीक है" रोहिणी आंटी ने कहा ।

मैं राजीव को हॉस्पिटल से घर लाई।
"क्या हुआ बेटा सब ठीक है ना?"
"हां अंकल , इसे वायरल हुआ है , जल्दी ठीक हो जायेगा " मैने उनसे कहा।
मैं उसे उसके कमरे में सुलाकर उसके लिए दवाइया लेने स्टोर पर गई।
उसी समय अंकल राजीव के कमरे में गए ।

"राजीव बेटा, ऐसे छोटे छोटे हादसे जिंदगी में होते रहते है । बेटा जो तुम्हारा है वो कहीं जायेगा नही , और जो तुम्हारा नही उसे तुम कभी पा नही सकोगे, कभी कभी हम अपने आसपास की चीज़ों को नकार देते है अनदेखा कर देते है । छोटी छोटी खुशियों को बड़ी खुशी के लिए त्याग देते है । लेकिन जीवन छोटी छोटी खुशियों से ही खुशहाल बनता है ।बेटा जल्दी ठीक हो जाओ । वरना मैं अपने भाई विराट (राजीव के पापा) को क्या मुंह दिखाऊंगा "
"अंकल मैं ठीक हूं आप चिंता न करे " राजीव ने बड़ी मुश्किल से कुछ शब्दों में कहा।

मैं दवाइया लेकर आई और राजीव को दवाई दी । सम्राट अंकल ने बड़े ही प्यार से मेरे सर पर हाथ फेरा ।
धीरे धीरे राजीव की तबीयत में सुधार आने लगा। वह एक बार मुझसे बोला कि वो वैशाली से बात करना चाहता है।

"देख , उससे बात करेगा तो वो मगरमच्छ के आंसू बहाएगी माफी मांगेगी। और तू कमजोर पड़ गया तो समझ सब खत्म, ।" मैने उसे समझाया।

"तुझे साथ लेकर जाऊंगा चलेगी?"
"ठीक है चलेंगे " मैने हामी भर दी।

क्या सही फैसला था उसे वैशाली से मिलवाने का ? या ये मेरी भूल थी?