भाग–२१
"पुराना किला "
"ओके,एक घंटे में मैं वहां पहुंच रहा हूं"
"राजीव मुझे थोड़ा वक्त लगेगा , ट्रैफिक की वजह से।"
"नो प्रोब्लम, आई विल वैट"
"ओके, आई एम कमिंग"
कहकर उसने फोन काट दिया ।
"साली , कमिनी, कितनी घटिया है यार ये , तू मुझे मत ले जा मेरे हाथों इसका खून हो जायेगा " मैने गुस्से में दांत पीसते और मुट्ठियां भींचते हुए कहा।
राजीव मेरे एक्सप्रेशन और हरकतें देख के हंसने लगा, काफी दिनों बाद उसको हंसते हुए देखा था।
"बहुत दिनों बाद आज चांद निकला है"
"दिन में?" राजीव ने पूछा।
"मैने उसे कांच दिखा दिया " उसने फिर से मुस्कुरा कर मेरे सिर पर चपत लगाई ।
"राजीव कितने दिनों बाद तू हंस रहा है यार, तू हंसता हुआ अच्छा लगता है यार, अब बस कर , मुझे मेरा पहले वाला राजीव चाहिए , मस्ती करता था जो मेरे साथ , जो मेरे पीछे भागा करता था । जो हंसता था । जो मुझे झल्ली कहता था जो मुझे पागल कहता था।"
"तू भी तो कितनी बदल गई है , अब कहां तू वो पागलपन करती है । बहुत मैच्योर हो गई है यार"
"मैच्योर और मैं? हा हा हा हा हा" कहकर मे हंसने लगी ।
राजीव को हंसाने के लिए मैं कुछ भी कर सकती थी।
"चल हम चलते है , उस कमिनी से मिलने " राजीव ने कहा।
राजीव अपनी भड़ास निकालना चाहता था ।और मैं उस वक्त उसके साथ रहना चाहती थी। क्योंकि मैं मेरे राजीव को वापिस चाहती थी जैसा वो था ।
हम लोग पुराना किला वैशाली से पहले पहुंच गए । हम वहां घूमने लगे और वहां की खूबसूरती निहारने लगे।
वैशाली करीब आधे घंटे बाद वहां आई । वो अकेली ही थी।
"हाई राजीव" उसने उसे हग करने के लिए अपनी बाहें फैलाई। लेकिन राजीव ने उसे हाथ से रोक दिया।
मुझे देखकर उसने पूछा " तुम इसे क्यों लाए हो?"
"क्योंकि तुम्हारे दिए गम से मुझे आजाद करने वाली यही तो है"
"थैंक यू कीर्ति" वैशाली ने मुझे कहा और राजीव से कहने लगी "आई एम सॉरी राजीव , मैं बहक गई थी । मुझे माफ करदो एक मौका दे दो प्लीज "
मैं उसके नाटक देख कर मन ही मन जल रही थी । एक चांटा मार ना राजीव क्यों इतना आराम से बात कर रहा है मैने मन ही मन कहा ।
"तू समझती क्या है अपने आप को? जानती है एक से ज्यादा मर्दों के साथ घूमने वाली औरत को क्या कहते है?"राजीव ने कहा।
"राजीव" वो चिल्लाई।
"बुरा लग रहा है सुनने में ? लेकिन करने में बुरा नही लगता ? किसी की भावनाओं के साथ खेलने में बुरा नही लगता ? मिहिर? मिहिर का भी ऐसे ही दिल तोड़ा था ना तूने? वो भी तुझे सच्चा प्यार करता था।"
"तुम मिहिर के बारे में कैसे जानते हो?" वैशाली ने पूछा।
"बिल्ली भी ७ घर छोड़ देती है मगर तू तो ,, उससे भी गई गुजरी है।"
"राजीव बस करो, मैं सच में बहुत पछता रही हूं और मैंने वो सब छोड़ दिया है । मैं तुमसे प्यार करती हूं उसने राजीव के करीब आकर उसकी शर्ट की कॉलर पकड़ते हुए उसके होठों के पास अपने होठ लाते हुए कहा। "
राजीव ने उसे जोरदार धक्का मार दिया ।जिससे वो जमीन पर गिर गई।
मैं शॉक्ड थी ।उम्मीद नहीं थी कि राजीव ऐसा कुछ करेगा ।
वो खुद को संभालते हुए खड़ी होकर, आंसुओं से लबालब भरी लाल आंखो से राजीव को देख रही थी और फिर मुझे देखकर बोली " इसी ने भड़काया है ना तुम्हे राजीव?"
" इसे बीच में मत ला"
"हां,यही है जिसने तेरे दिल में जहर घोला है मेरे खिलाफ "
" कीर्ति को कुछ मत कहना वैशाली नही तो,, "
"नहीं तो क्या ? कहूंगी हजार बार कहूंगी दोस्ती की आड़ में ये अपना उल्लू सीधा कर रही है । तेरे करीब रहने के लिए और किसी को तेरे करीब नही आने देती है। प्यार जो करती है तुझे।"
मैं ये सब सुनकर रोने लगी थी उसने मेरी दुखती रग पर हाथ रख दिया था। मैने जो बात कभी राजीव से नहीं कही , वो कीर्ति भी जानती थी। राजीव के लिए मेरा प्यार हर कोई देख सकता था। इसका मतलब है राजीव भी जानता ही होगा ।
राजीव ने मुझे रोते हुए देखा , वैशाली अब भी जहर उगले जा रही थी ।
"चटाक$$$$" एक चांटा वैशाली के गाल पर पड़ा। और वो चुप हो गई।वो गुस्से में जल रही थी ।
क्या होगा राजीव का रिएक्शन ये सब सुनकर जो वैशाली ने कहा? क्या वो यकीन कर लेगा वैशाली पर? क्या इन दोनो का वापिस मिलना उनके बीच सब दूरियां मिटा देगा?