रामगोपाल भावुक जी डबरा वालों की कहानियाँ ramgopal bhavuk द्वारा पुस्तक समीक्षाएं में हिंदी पीडीएफ

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रामगोपाल भावुक जी डबरा वालों की कहानियाँ

 

        आदमी की नब्ज

 

आदमी की नब्ज श्री राम गोपाल भावुक का लिखा कहानी संग्रह है जो वास्तव में उनके अनुभवों के गुलसिता से निकला हुआ महत्वपूर्ण फूलों से तैयार एक गुलदस्ता है। जिसमें न केबल आधुनिक जीवन की एक झलक है वरन समाज की नब्ज भी टटोली गई है । कहानियों की कथावस्तु सामाजिक ताने-बाने से ही ली गई है परंतु उनमें संवेगात्मक फक्ष को बड़ी सावधानी से सम्मिलित किया गया है। संवेदना ओं के कारण कुछ कहानी बहुत मार्मिक हो गई है और पाठक को उद्वेलित करने वाली भी है । प्रस्तुत है कुछ कहानियों की झलक।

१ आदमी की नब्ज -जो प्रथम कहानी हैं , विपदा मारी एक औरत नारी और एक सुंदर बालिका की मार्मिक दास्तान है जो बाद में विधायक तो बन जाती है पर वह जानती है विधायक बनने के लिए उसने क्या-क्या किया? उसकी अनुपम दास्तां है । एक गरीब लड़की किस प्रकार उसकी इज्जत अपने शरण देने वालों के लडके द्वारा लूटी  ली जाती है। सहयोग से उसकी महत्वाकांक्षाओऐं उसे संघर्षों जाने के कारण कारण उसे सफलता वाली हो जाती है । पर उस सफलता के पीछे की कहानी बहुत कारुणिक है ।

इस कहानी में चुनाव में होने वाले अनैतिकता की बड़ी स्पष्ट रूप से बताई गई हैं। क्या ऐसे चुनावच प्रजातंत्र के लिए कलंक नहीं है ।

 

२ चाइना बैंक- बड़े ही मार्मिक ढंग से व्यापार में चीन की चलाकीयों को उजागर करते हुए अपने जमाने के राजनेताओं के भोलेपन की पोल खोलने वाली कहानी जो चाइनीस व्योपार मंडल का खुले हृदय से स्वागत करते हैं तथा अपने देश का धन विदेशों में पहुंचाते हैं और हमारे नवयुवकों को रोजगार देने की जगह उन्हें चीनी कंपनियों के सस्ते कर्मचारी बनने के लिए मजबूर करते हैं ‌।

३ अतीत होती परंपरा- संतोषी माता पिता और केवल परंपरा के वाहक करता हुआ पुत्र और परंपरा हीन बहू की कहानी । पुत्र कुछ-कुछ अर्थों में परंपरा निभाता है परंतु कर्तव्य निभाने की जगह पिता को उपदेश देता है वह भी शालीनता छोड़कर और बहू की तो बात ही अलग है। वर्तमान जीवन की व्यस्त जिंदगी का एक यथार्थ क्षेत्र पड़ोसियों द्वारा उकसाने पर भी मां पुत्र और बहू की व्यवस्थाओं का हवाला देकर लोगों को संतुष्ट करने वाली मां कहानी है। इस कहानी में कहानीकार ने सामाजिक जीवन को पैनी नजर से देखा है।

 ४ रिश्ता- पृष्ठ६६श पर कहानीकार ने अपने जीवन के अनुभव की बड़ी प्यारी बात लिखी है "हम जो कुछ करेंगे देख परख कर ही करेंगे फिर भी भाग्य ने गच्चा दे दिया तो सहन ही करना पड़ेगा जानबूझकर कोई बच्चा नहीं खाता बेटी तेरी बात सच है बच्चा विश्वास में ही मिलता है ।" कभी चुनाव में सत्यता और ईमानदारी की जीत होती है पर कर्तव्य दान करने से प्रतिष्ठा को बहुत बड़ा आघात नहीं मिलता है इस तथ्य को बताने के साथ-साथ नारी जीवन के संघर्षों का कच्चा चिट्ठा कहानी में सम्मिलित है।

५ विजया भी नारी जीवन की संघर्षों की अभिव्यक्ति है और जो सवारियों में ब्लैकमेल में नारी का साहसी साहसी उसे परेशानियों से मुक्ति दिला सकता है इस को प्रमाणित करने वाली सुंदर कहानी

६ बेहतर उम्मीद में स्त्री -" नारी का ढलना ही पारिवारिक जीवन की आधारशिला है ।" का विरोध करने वाली नारी के जज्बातों का सुंदर इतिहास काश कहानी के अंत में विवाह भी दिखाया जाता तो ज्यादा अच्छा लगता फिर भी कहानी अच्छी है।

इस प्रकार कहानियों का कथ्य सामाजिक परिवेश से ही आया है और कहानियां सोचने को मजबूर करती हैं। कहानियों का संग्रह पाठक को कहानी से बांधने के लिए उससे उत्पन्न होने वाली भावनाएं महत्वपूर्ण है। कथ्य और भाषा दोनों में कसावट है । कहानियों में वर्तमान जीवन की समस्याओं को समग्रता से सम्मिलित करने पर ध्यान दिया गया है । कोरोना जैसी समस्या को भी छोड़ा नहीं गया इसलिए कहानी संग्रह पठनीय और संग्रहणीय हो गया है।

ए. एम. सक्सेना

सेवानिवृत्त प्राचार्य