उपन्यास-गूंगा गांव -राज वोहरे ramgopal bhavuk द्वारा पुस्तक समीक्षाएं में हिंदी पीडीएफ

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उपन्यास-गूंगा गांव -राज वोहरे

भारत के हरगांव की कथा है गूंगा गांव ।

पुस्तक समीक्षा

पुस्तक का नाम उपन्यास गूंगा गांव

लेखक रामगोपाल भावुक

प्रकाशक ममता प्रकाशन दिल्ली

मूल्य ₹125

समीक्षक राजनारायण वोहरे

भारत के हरगांव की कथा है गूंगा गांव ।

डबरा ग्वालियर के आंचलिक कथा लेखक रामगोपाल भावुक का उपन्यास गूंगा गांव एक ऐसे गांव की कहानी है जिसमें किसी भी भ्रष्टाचार के विरुद्ध कोई ग्रामवासी कुछ नहीं बोलता । इस तरह कमोवेश यह कथा भारतवर्ष के हर गांव की कथा है ।

अधेड़ मौजी राम की अपनी पत्नी संपतिया के साथ होली खेलने से प्रारंभ इस उपन्यास में मोदी के विस्तारित हो रहे परिवार उसके सामने आ रहे संकटों संघर्षों जो प्राणियों की कथा है । मौजी राम के साथ-साथ इसमें दूसरे दलित पात्रों की भी कथा है जो गांव के असरदार पात्रों सरपंच लालू सिंह लालू तिवारी का भी जिक्र है । मौजी राम जैसा विनम्र व्यक्ति समय आने पर अपने वर्ग के लोगों का नेता बन जाता है और अपने हक हकूक के लिए लड़ने भिड़ने में जुट जाता है । ग्राम खोड का पूर्व निवासी मौजी राम दरअसल खोड के राजा की गलत नजरों से अपनी पत्नी को बचाने के लिए ग्राम सालवी में आ गया था । वहां पहले पहल उसे खरगा चरवाहे ने रहने काट दिया था और तिवारी जी ने पहला पहला भोजन । इन दोनों का एहसान वह कभी नहीं भूलेगा ।

गांव में होली के हुड़दंगयों का समूह जिसे इस अंचल में दान आज कहते हैं ,हर बार जाटों के मोहल्ले से जाता है, पर इस बार विवाद हो जाने की वजह से दानिश का पथ बदल दिया जाता है । लेकिन गाने बजाने की अतिरिक्त योग्यता के कारण मौजी राम अपने मोहल्ले के अलग बना रहकर भी डांस के साथ घूमता रहता है । मौजी का बेटा और दामाद लोग गांव के किसी न किसी बड़े आदमी के यहां बंधुआ होकर किसी तरह जीवन यापन करते हैं और बदले में पशु बत जीवन जीने के साधन ही ले पाते हैं ।

उपन्यास में मौजी के अतिरिक्त जिस चरित्र ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया वह कुन्दन मास्टर है । जो न्याय की बात कहता है और बदले में गांव के सवर्णों के उलाहनों से लेकर 1 दिन की पुलिस हिरासत में भी झेलता है । मौजी राम पर किराए के गुंडों से किया गया हमला अचानक प्रकट होकर कुंदन की विफल करता है । उपन्यास के अन्य पात्र कथा के निर्वहन और विस्तार के लिए ही आते हैं ।

मुख्य कथानक के समानांतर तो नहीं पर टुकड़ों टुकड़ों में कुछ दूसरी कथाएं भी चलती है, जिनमें से कुछ अधूरी कुछ निरर्थक भी हैं । जय जय मोदी की नातिन शांति से छेड़छाड़ हो जाने पर शांति बीमार तो होती है पर उसका हाथ क्या होता है । यह कथा अधूरी है कुंदन के भाई जय और उसकी सराती पत्नी का जिक्र भी निरर्थक लगता है ।

इस उपन्यास की भाषा पर लेखक के इस संकल्प का पूरा असर है की पंच बहरी बोली की प्रतिष्ठित करना है । लेखक ने कथा से ज्यादा से ज्यादा संवाद पंचवेली क्षेत्र के आंचलिक बोली के रखे हैं, जो पराया कठिन है और संवाद लेखन के पात्रा अनुरूप संवाद बाला गुण तो इनमें है पर इसी गुण के इसी गुण के कारण इनका संचार क्षेत्र सीमित भी रह गया है ।

एक ही पैराग्राफ में प्रश्नोत्तरी यानी कि संवाद संवाद लिखने की उपन्यासकार की पुरानी आदत यहां भी मौजूद है । इसी प्रस्तुति के कारण लेखक के पूर्व उपन्यास कलात्मकता से दूर रहे हैं । इस उपन्यास में कथा का विस्तार बड़ी ही कल्पनाशीलता और सूझबूझ के साथ किया गया है पर लेखक भाषा शैली और शिल्प के स्तर पर इस उपलब्धि को संभाल नहीं पाया है । इस कारण अनेक स्थानों पर उपन्यास में पठन इयत्ता शेष नहीं रह जाती । उद्देश्यों के निर्माण में प्रस्तुति से लेकर संभागों के निर्वहन तक यह कभी पाठक को खलती है ।

इस किताब में अंतर्द्वंद खूब आए हैं यह अंतर्द्वंद उपन्यास के प्राण तत्व हैं । उपन्यास से यह प्रकट नहीं होता कि यह किस काल खंड की रचना है पर मात्र एक ही जगह पर ऐसे संकेत मिलते हैं कि यह उपन्यास साठ के दशक में आरंभ होकर वर्तमान युग तक चलता है ।

शुरुआत में बिखरे और बटे हुए श्रमिक और दलित वर्ग के संगठित और नाम और लामबंद दिखाई देते हैं । इस संगठन के मूल में डबरा की कम्युनिस्ट पार्टी का स्थानीय इकाई का सहयोग है ,जो कुंदन की गिरफ्तारी के आदेश के कारण शहर गए मौजी और उनके साथियों को अनायास मिल जाता है ।

जगह जगह डबरा को भवभूति नगर लिखना या पात्रों के मुंह से कहला कहलाया जाना यह सिद्ध करता है कि लेखक इसका नामकरण करवाने के लिए कटिबद्ध है या यूं कहें कि पूर्वाग्रह ही है । यह इस किताब की कमजोरी भी है । कमजोरी तो विनीत वाक्य स्थिति विशेषण वाक्य और कथन भी हैं जो पराया हर एक अध्याय में आरंभ करते हुए लेखक ने अकारण ही उनसे हैं और जो कथा का हिस्सा नहीं लगते । बे कथा का हिस्सा हो सकते थे वसंत यदि किसी पात्र के मानसिक द्वंद में शामिल होते ।

सारांशत यह उपन्यास भावुक जी की कथा यात्रा के इस सोपान पर यह स्पष्ट करता है कि वह अगला उपन्यास दोष रहित धूम दूषण सहित लिखेंगे ।