भाग–१७
हेलो दोस्तों तो कहानी में अब तक राजीव और मेरी बहुत नोक झोंक हुई । लेकिन मैं ये जान चुकी थी कि भले राजीव की जिंदगी में मेरा कोई अस्तित्व हो चाहे ना हो लेकिन मेरी जिंदगी उसके होने से ही है । इसलिए मैं ने उससे लड़ना बंद कर दिया ।
मैं अब सोशल मीडिया से भी कोसो दूर थी। मैं व्हाट्सएप भी नही देखती थी। उसे काम होता तो वो मुझे कॉल कर देता था । मेरी एग्जाम भी हो चुकी थी अभी वेकेशन चल रहे थे और मीशा आई हुई थी। वो मुझे मिलने बुलाती थी लेकिन मैं जाती ही नही थी।
आज मीशा का कॉल आया "सुन यार कीर्ति, पापा मम्मी तुझे बहुत याद करते है , और मैं भी 10 दिन बाद चली जाऊंगी । मुझे आए हुए डेढ़ महीना हो गया है। प्लीज आ जा न मिलने"
"तू आजा ना घर मेरे प्लीज"
मीशा समझ गई थी कि कोई बात तो है जो मेरा व्यवहार बदल गया है।
"ओके मैं आज आती हूं उसने कहा "
राजीव और वैशाली को साथ में 6 महीने हो चुके थे । इस बीच राजीव दो बार उससे मिलने भी गया था । अब उसकी मेरी बातें कम होती थी ।
मीशा मेरे घर आई थी । " मैं उसके गले लग कर रोने लगी।"
"इतना मिस कर रही थी तो आई क्यों नहीं मिलने?"
"बस यूं ही"
"राजीव के साथ कुछ इश्यू है? वो दो दिन से उदास है । अब उसका फोन भी चुप रहता है"
"लेकिन मैं तो राजीव से बात ही नही करती मीशा ,चार पांच महीने हो गए।"
"मुझे डाउट था ही , तो फिर राजीव किससे बातें करता है रोज"
"वो,,"
"मुझे तो बता ,कीर्ति"
"वैशाली"
"कौन वैशाली?"
"तुम्हारे ससुराल पक्ष में है ना जो शादी में आई थी वो"
"राजीव से उसकी दोस्ती कब हुई?"
"तेरी शादी में ही"
"तो तबसे तुम दोनों अलग हो गए?"
"हां "
"तू प्यार करती है उससे?"
"ऐसा कुछ नही है यार"
"देख कीर्ति , तेरा प्यार तो मैंने बहुत पहले ही देख लिया था उसके लिए , वो ही गधा है , वैशाली जैसी लड़कियों के पीछे भाग रहा है"
"क्यों? वैशाली के बारे में ऐसा क्यों बोल रही है तू?"
"दो साल पहले , वो मिहिर को एक फंक्शन में मिली थी। जैसे राजीव को फसाया उसे भी फसाया था। उसकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ करके वो एक साल में ही उसे छोड़ गई , दिक्कत ये है कि वो इतना झूठा प्यार दिखाती है कि सामने वाला उसका आदि हो जाता फिर उसका छोड़ना वो बर्दाश्त नहीं कर पाता। मिहिर भी टूट चुका था , उस समय मैं वही थी । मिहिर को भयंकर डिप्रेशन हो रखा था , मैं उसे बहुत समझाती मूव ऑन करने के लिए , फिर एक दिन उसकी लाइफ में निशी आई । उसे पाकर वो बहुत जल्दी ठीक हो गया।"
"ओह माय गॉड,मतलब वैशाली राजीव को भी छोड़ देगी?"
"हां"
"बस उस दिन का वेट कर उस वक्त तू उसे अपने प्यार से भर देना" मैं मीशा के गले से लग गई । पता नही क्यों मुझे ये सुनकर खुशी हो रही थी। हां थोड़ी सेलफिश हो रही थी मैं , राजीव के ब्रेक अप की दुआएं करने लगी थी पर क्या करूं। इसलिए मिहिर ने कहा था वो तेरे पास आयेगा लौट के।
मीशा शादी के बाद पहली बार घर आई थी । मम्मी ने उसे खाना खिलाकर और उसे साड़ी देकर ही घर भेजा ।
मीशा ने घर जाकर राजीव को समझाने की कोशिश भी की लेकिन प्यार में पड़ा इंसान सबको अपना दुश्मन बना लेता है। मीशा ने सोचा खाने दो ठोकर।
समय बीतने लगा । मैं अब उम्मीद खो चुकी थी कि राजीव मेरा होगा । क्योंकि दो साल बीत चुके थे राजीव को वैशाली के साथ । और वो दोनों खुश थे।
मेरी अब आदत हो चुकी थी इस सबकी। इंसान परिस्थितियों को बदल नही पाता तो उसके साथ रहना सीख जाता है।
क्या वैशाली ही है उसकी सोलमेट? या फिर जो मीशा और मिहिर ने कहा वो होगा?