पागल - भाग 16 Kamini Trivedi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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पागल - भाग 16

भाग–१६
राजीव कहीं चला गया था । अब मुझसे रहा नही गया । मैने उसे कॉल कर ही दिया । "कहां है तू?"

"कॉलेज" उसने इतना ही कहा।
मैं बाहर उसका इंतजार करने लगी। लेकिन कॉलेज से थोड़ी दूर बैठी थी।
मुझे लगा वो आयेगा वो मुझे देख लिया होगा । मुझसे बात करेगा । लेकिन शाम के 4 बजे तक मैं उसके कॉलेज से बाहर निकलने का इंतजार कर रही थी । मम्मी के कॉल पर कॉल आ रहे थे लेकिन मैं बहत बेचैन थी मुझे घर नही जाना था मुझे राजीव से मिलना था । मैं पैदल ही कॉलेज तक गई पार्किंग में उसकी बाइक ढूंढी। जब मैंने उसकी बाइक को कहीं ना देखा तो फिर गुस्सा आने लगा।

4:45 pm बजे ,,

मैने उसे फिर कॉल किया , "अभी तक क्या कर रहा है कॉलेज में?"
"मैं घर आ चुका हूं"
"कब?"
"2:30 बजे ही, क्यों?" उसने रूडली ही बात की।
ये सुनकर तो जैसे पैरो से जमीन खिसक गई। मैं यहां उसके लिए पागलों की तरह भटक रही हूं और वो घर चला गया। मुझे महसूस हुआ कि अब उसे मेरी जरूरत नही ।अब मैं उसे कभी परेशान नहीं करूंगी । मैने सोचा ।
और घर जाने लगी तो रास्ते में एक बस दिखी । उस पर बड़े अक्षरों में राजीव लिखा था और उसी एरिया का नाम जहां राजीव रहता था । आखिर आज हर चीज मुझे उसकी याद क्यों दिला रही थी । बहुत दिनों बाद मैं फिर से रोई थी लेकिन थोड़ी देर के लिए ही ।

मैं एक्टिवा तो चला रही थी लेकिन आंखे धुंधला चुकी थी मुझे सामने का कुछ दिख नही रहा था । आज एक्टिवा मुझे घर लेकर जा रही थी पूरी ईमानदारी के साथ क्योंकि मैं अपने होश में नही थी। जैसे तैसे मैं घर पहुंची।
अगले दिन राजीव का पेपर था उसकी परीक्षा थी । वह हर परीक्षा में मुझे वीडियो कॉल करता या अपने साथ बिठा कर पड़ता और तब तक घर नहीं आने देता जब तक उसको अंदर ना जाना हो।

मैने सोचा कल भी मैं जाऊंगी लेकिन दूर से उसे देख लूंगी।

अगले दिन सुबह,,

मैं उसके पहले कॉलेज पहुंच गई । उसकी परीक्षा 11:30 बजे थी और मैं 8:30 बजे से कॉलेज के बाहर बैठी थी । ना जाने कब वो आ जाए सोच कर।

9:30 बजे वो आया । मुझे देख कर मेरे पास आया ।
मैने उसे बेस्ट ऑफ़ लक कहा
"थैंक यू,क्या लाई है मेरे लिए" उसने पूछा वो ऐसे बात कर रहा था जैसे कुछ हुआ ही ना हो।
मैने देखा तो वो भी कुछ बुझा बुझा तो था। ना जाने क्यों?
हंस नही पा रहा था। बीमार भी लग रहा था।
"सुकड़ी" मैने उसे कहा। जब भी उसकी परीक्षा होती थी मैं पहले पेपर में उसके लिए अपने हाथों से कुछ बना कर ले जाती थी जहां तक संभव हो कुछ मीठा। इस बार भी जबकि मैं उससे मिलना नही चाह रही थी , सुकड़ी बनाई थी , सोचा था किसी और को देकर उस तक पहुंचा दूंगी। लेकिन उसने मुझे देख लिया।

वो फीका मुस्कुरा दिया।
"क्या हुआ?"
"कुछ नही ?"
"तुझे पता था मैं आज आऊंगी?"
"हां ,"
"और अगर ना आती तो?"
"तू आती ही" उसने विश्वासपूर्ण लहजे में कहा।
"अगर ना आती तो?"
"तू आती ही , मुझे पता था तू आज आयेगी"
"सोच अगर मैं ना ही आती तो क्या करता तू?"
"तो मैं तुझे वीडियो कॉल करता "
सुनकर मैं मुस्कुरा कर उसके गले से लग गई।
हमारे सारे गीले शिकवे मिट गए थे ।
"तैयारी कैसी है तेरी?"
"नहीं पढ़ पाया इस बार यार" उसका मुंह छोटा सा हो गया था।
"कोई नही पेपर तेरा अच्छा ही जायेगा " मैने कहा

हमने कुछ बातें की,वह पढ़ रहा था तो उसे सुकड़ी मैने अपने हाथों से खिलाई। आखिर बन ही गई मैं भी उसकी मां की तरह ही । लेकिन क्या फायदा वो कहां समझने वाला था ये सब ?
11 बज चुके थे उसे अब कॉलेज के अंदर जाना था ।
मैने उसे फिर से बेस्ट ऑफ़ लक कहा। और साइड से हग किया । वो अब अच्छा महसूस कर रहा था । उसने मेरे पैर छुए तो मैं पीछे हट गई और कहा "ये क्या कर रहा है बे?"
"तेरे पैर छू कर जाऊंगा तो अच्छे नंबर आयेंगे,"
मैने उसे मारा और वो हंसते हुए चला गया।
मैं आज बहुत सुकून महसूस कर रही थी। दुख तो था कि उसकी जिंदगी में मेरी कोई वैल्यू नही पर मेरी जिंदगी में उसका होना बहुत जरूरी था मेरे लिए।बस उसका साथ चाहिए था जिंदा रहने के लिए । पर पता नही कहां तक रहेगा ये साथ?

क्या मैने उसे माफ करके गलती की थी? समीक्षा जरूर दे। कहानी अच्छी लगे तो बताए । आपकी समीक्षा और अच्छा लिखने के लिए प्रेरणा देती है। धन्यवाद🙏