पागल - भाग 18 Kamini Trivedi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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पागल - भाग 18

भाग–१८

राजीव को जब जरूरत होती वो परेशान होता या वैशाली से लड़ता वो तब ही मुझे कॉल करता था।

मेरी पढ़ाई पूरी हो चुकी थी । मेरे घर में मेरी शादी की बातें होने लगी थी। मीशा और मिहिर को मैने कोनकॉल पर लिया। और उन्हे बताया कि कल मुझे कोई लड़का देखने आ रहा है।

उन्होंने मुझे समझाया कि मैं राजीव के पीछे अपनी जिंदगी ना बर्बाद करूं।और लाइफ में आगे बढूं।
अगले दिन मुझे लड़के वाले देखने आए। लेकिन बात कुछ जमी नही।
मैं अब कुछ समय अकेले रहना चाहती थी । मैं खुद के साथ कुछ समय बिताना चाहती थी । इसलिए मैं अपनी देहरादून वाली मासी के घर चली गई ।

"बताए बिना चली गई " राजीव का मेसेज था।
मैने उसे कोई रिप्लाई नही किया। मैं देहरादून में घूम रही थी और तभी मैंने वैशाली को देखा , किसी लड़के के साथ उसकी बाहों में झूलते हुए । मैने उसकी तस्वीरे ले ली। और राजीव को वीडियो कॉल करके वो नजारा दिखा दिया।

राजीव कुछ भी बोल नही पाया मैने देखा वह रोने लगा था । मैं उसे ऐसे देख कर बेचैन हो गई । खुद को कोसने लगी की मैने क्यों उसका दिल दुखाया ये सब दिखा कर। लेकिन उसे धोखे में कब तक रहने देती। मैने कॉल कट किया और वैशाली के पास जाकर उसे जोरदार थप्पड़ रसीद कर दिया।
वैशाली का ब्वॉयफ्रेंड कुछ समझ नही पा रहा था कि आखिर ये हुआ क्या ? मैने वैशाली से कुछ कहा नहीं लेकिन उस लड़के से कहा " इसका काम है लड़के फांसना, मेरे दो दोस्तों की जिंदगी बर्बाद कर चुकी है। "

"और मेरे दो भाईयों की " पीछे से आई आवाज की और मैं पलटी तो मीशा थी जीजू के साथ।

वो भी यहां घूमने आई थी ।
वो लड़का "व्हाट्स दिस वैशु?"
वैशाली कुछ कहने को हुई तो मैंने उसके और राजीव के फोटोज उसे दिखा दिए वो लड़का भी वैशाली को थप्पड़ मारकर चला गया।

"मैं तुम दोनों को छोडूंगी नही" एक थप्पड़ और उसके गाल पर पड़ा वो जीजू ने मारा था।
"भैया?"
"भैया मत बोल मुझे" जीजू ने कहा।
वैशाली वहां से जा चुकी थी ।
"कीर्ति तू यहां?"
"हां बस घूमने आई थी ।"
"लेकिन मैं वापिस जा रही हूं। "
"क्यों?"
"क्योंकि राजीव परेशान है"
"उससे तेरा ये लगाव तुझे परेशान करेगा कीर्ति" जीजू ने कहा।
"क्या करू जीजू, दिल है कि मानता नहीं। चाहे वो कितना भी रूड हो मुझसे मेरा दिल उसे बस प्यार करना चाहता है।"
"ना जाने राजीव कब समझेगा इसे" मीशा ने उदासी भरे स्वर में कहा।
मैं उन लोगों से विदा लेकर वापसी के लिए रवाना हुई।मासी ने बहुत रोका लेकिन मैं कहां रुकने वाली थी।

मैने रास्ते में से राजीव को कॉल किया लेकिन उसने उठाया नही। सफर लंबा था दिल घबरा रहा था। राजीव कुछ उल्टा सीधा ना कर ले। मैं भगवान से उसकी सलामती की प्रार्थना कर रही थी ।
बैग घर रखकर तुरंत रोहिणी आंटी के घर भागी।
"अरे तू अचानक क्यों आ गई?"
मम्मी ने पूछा पर मैं कहां जवाब देने वाली थी।

"राजीव कहां है" मैने रोहिणी आंटी से पूछा।
"ऊपर कमरे में"
वो और सम्राट अंकल कुछ कहना चाहते थे लेकिन मैं दौड़कर सीढ़िया चढ़ गई।

"बहुत दिनों बाद आई वो भी इतनी बेचैन होकर?"
सम्राट अंकल ने रोहिणी आंटी से कहा।
"पता नही" रोहिणी आंटी बोली। उनकी धीमी होती हुई आवाज मुझे सुनाई दी ।
"राजीव,, तुम ठीक हो ना?" मैने पूछा ।
वो खिड़की की और मूंह किए बैठा था।

मेरी आवाज सुनकर वह दौड़कर मेरे पास आया और मुझे गले से लगाकर रोने लगा।
"राजीव चुप हो जाओ" मैं उसके बालों को सहला रही थी।
"मैं उसे बहुत प्यार करता हूं कीर्ति , मर जाऊंगा उसके बिना, उसने ऐसा क्यों किया मेरे साथ ?"
"शांत हो जाओ राजीव , मैं समझ सकती हूं"
"तुम नहीं समझ सकती, तुमने कभी प्यार नही किया ना" उसकी बातें दिल में चुभने लगी। क्या बताऊं की इस तड़प को मुझसे ज्यादा अच्छे से कौन समझ सकता है । कि उसके लिए मै इससे भी ज्यादा तड़पी हूं ।
"सही कह रहे हो तुम " मैने बस इतना कहा।

अब क्या करेगा राजीव? क्या रहेगा अब भी वैशाली के साथ ? या छोड़ देगा उसे ? मेरी जिंदगी में क्या नया मोड़ आने वाला है जानेंगे अगले भागों में।