डॉक्टर आखिर ऐसा क्यों कर रहा था सर ? मुझे तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा है। परमार ने कहा।
जैसा कि मैंने कहा कि वो अपने मरीज को दर्द से छुटकारा दिलाना चाहता था। उसका जो सपना था कि मरीज को बेहोश किए बिना वो दिल का ऑपरेशन करें, इसके लिए वो मरीज को सम्मोहित करना चाहता था, जिससे वो सफल हो गया था। उसका प्रयोग उसने अपने परिवार पर किया। जिसमें वो सफल हो गया क्योंकि उसके बच्चों और पत्नी को अपने हाथ की नसें काटते हुए दर्द महसूस नहीं हुआ। फिर शायद उसे इस बात का पछतावा हुआ कि उसने यह क्या कर दिया? इसलिए उसने उन लोगों की हत्या कर दी। फिर खुद भी आत्महत्या कर ली। भौमिक ने कहा।
इसका मतलब यह है कि आपने यह केस सॉल्व कर लिया है सर ? परमार ने पूछा।
अब तक जो इस वीडियो में नजर आ रहा है उससे तो यही लग रहा है कि परमार कि केस सॉल्व हो गया है। भौमिक ने कहा।
तो फिर विशाल और उसके दोस्तों से उसने क्या बात की थी सर ? परमार ने फिर से प्रश्न पूछा।
जहां तक मेरी जानकारी है उसने उन बच्चों को भी सम्मोहित किया था। शायद डॉक्टर अविनाश नहीं चाहता था कि उसके इस प्रयोग के बारे में किसी को भी पता चले, इसलिए उसने विशाल और उसके दोस्तों को भी सम्मोहित किया था। वो हवेली होने के बावजूद हवेली में हुए घटनाक्रम को भूल चुके थे। भौमिक ने कहा।
तो हमारी पूछताछ के दौरान उनके व्यवहार में जो बदलाव आता था, उसका कारण क्या था ? परमार ने भौमिक से पूछा।
इसका जवाब है कि सम्मोहन के दौरान डॉक्टर ने विशाल और उसके दोस्तों के दिमाग में कुछ वर्ड बैठा दिए थे। वे जैसे ही उन शब्दों जैसे हवेली, हत्या, हवेली की रात शब्दों को सुनते थे तो उनका व्यवहार बदल जाता था। उन शब्दों के साथ ही डॉक्टर ने उन्हें निर्देश दिए थे कि जैसे ही वे इन शब्दों को सुनेंगे तो कोई गुस्सा करेगा, कोई रोने लगेगा, कोई उदास हो जाएगा। भौमिक ने कहा।
तो क्या बच्चे हमेशा इन शब्दों को सुनने के बाद इस तरह का व्यवहार ही करेंगे ? परमार ने पूछा।
नहीं परमार बच्चों को किसी अच्छे मनो चिकित्सक से मिलवाया जाए तो वोमनो चिकित्सक इन बच्चों को इस परिस्थिति से बाहर ला सकता है। भौमिक ने कहा।
और हत्या का इल्जाम खुद पर लेने का क्या कारण था सर ? परमार ने पूछा।
डॉक्टर ने सम्मोहन के दौरान बच्चों के दिमाग में यह बात भी बैठा दी थी कि जब भी कोई उनसे हत्या के संबंध में प्रश्न करें तो वो यही कहें कि हत्या उन्होंने की है। तुम्हें याद होगा कि हर बार विशाल और उसके दोस्तों ने हत्या की बात कबूल तो की थी, परंतु उनमें से किसी ने हत्या का कारण नहीं बताया था। वो इसलिए कि उनमें से किसी ने हत्या की नहीं थी। सच यह भी था कि उनमें से किसी ने भी डॉक्टर से बात नहीं की, डॉक्टर ने उनसे बात की थी। डॉक्टर विशाल और उसके दोस्तों को हत्या का कारण बताना भूल गया था। भौमिक ने कहा।
और अगर उसने कारण बता दिया होता तो फिर तो हमारी मुश्किलें और भी बढ़ जाती या फिर बेगुनाह बच्चे सजा पा रहे होते। परमार ने कहा।
हां परमार वो तो अच्छा हुआ कि डॉक्टर उन्हें कारण बताना भूल गया या जानबूझकर उसने बच्चों को हत्या के कारण के संबंध में कुछ नहीं कहा। भौमिक ने कहा।
सर ये डॉक्टर तो सच में सनकी था, अपनी सनक के कारण उसने ना सिर्फ अपने परिवार को बल्कि खुद को भी खत्म कर लिया। ऐसी सनक किस काम की है सर ? परमार ने कहा।
परमार अपराध करने के समय व्यक्ति का अपने दिमाग पर नियंत्रण नहीं होता है। वो अपने सोचने-समझने की शक्ति खो देता है। इंसान पर जब किसी बात का जुनून सवार होता है तो ऐसा ही होता है। गुस्से में, आवेश में, बहुत अधिक खुशी या बहुत अधिक गम में इंसान कुछ देर के लिए रूक जाए तो काफी अपराध कम हो सकते हैं। यहां तक रिश्ते टूटने से बच सकते हैं। डॉक्टर ने अपनी सनक को पूरा करने से पहले कुछ देर रूक कर उसके अंजाम के बारे में सोचा होता तो शायद आज वो और उसका पूरा परिवार जीवित होता। भौमिक ने कहा।
इतना कहने के साथ ही भौमिक ने परमार से कहा- परमार केस सॉल्व हो गया है तो तुम्हारी वाली स्पेशल कॉफी तो बनती है।
जी सर बिल्कुल बनती है, मैं अभी कॉफी मंगवाता हूं। इतना कहने के साथ ही परमार उठकर केबिन से बाहर चला गया और भौमिक अपनी चेयर पर बैठकर चेहरे पर हल्की मुस्कान के साथ टेबल पर पेपर वेट को घूमा रहा था।
दोस्तों इसकी के साथ मेरी यह कहानी पूरी हो गई है। मेरा प्रयास रहा है कि कहानी को अच्छे तरह से आप सभी पाठकों के समक्ष प्रस्तुत कर सकूं, मैं अपने प्रयास में कितना सफलत रहा हूं, कृपया इस संबंध में अपने विचार मुझ तक पहुंचाएं। आगे भी इस तरह की अन्य कहानियों के साथ आपसे जुड़ा रहूंगा। कहानी पसंद आई हो तो समीक्षा अवश्य दें।