फिल्म समीक्षा - मस्त में रहने का
हाल ही में प्रदर्शित फिल्म ‘ मस्त में रहने का ‘ लीक से हटकर एक अलग टाइप की फिल्म है . इसका निर्देशन विजय मौर्या ने किया है . इस फिल्म के निर्माता विजय मौर्या और पायल अरोड़ा हैं और कहानी भी उन्हीं दोनों ने लिखी है .
कहानी - फिल्म की कहानी मुंबई में रहने वाले दो वरिष्ठ नागरिकों के अकेलेपन की जिंदगी और एक नौजवान नन्हे ( अभिषेक चौहान ) के स्ट्रगल के बारे में है . 75 साल के विधुर कामत ( जैकी श्रॉफ ) मुंबई के एक अपार्टमेंट में अकेले रहते हैं . कनाडा से लौटी प्रकाश कौर हांडा ( नीना गुप्ता ) भी पास के अपार्टमेंट में रहती हैं .पति की मौत के बाद वह टूट चुकी थी और बेटे के साथ कनाडा में रह कर आयी थी . हालांकि कामत और प्रकाश कौर दोनों अकेले रहते हैं जहाँ एक तरफ कामत अनुशासित जीवन बिताते हैं और सोशल नहीं हैं यानि किसी से मिलना जुलना और बातचीत नहीं है , दूसरी तरफ प्रकाश कौर सोशल , उत्साही ,मिलनसार और दिलेर पंजाबी औरत हैं . एक रात नन्हे चोरी करने कामत के घर में घुसता है और उन्हें घायल कर कुछ जेवर आदि चोरी कर ले जाता है . नन्हे एक रात प्रकाश कौर के घर में भी जाता है और उसके यहाँ से भी कुछ कैश आदि चोरी करने में सफल हो जाता है . कामत जब चोरी की रिपोर्ट लिखवाने पुलिस स्टेशन जाता है तब पुलिस उन्हें सलाह देती है कि उन्हें समाज में मेलजोल , बोलचाल बढ़ा कर रहना चाहिए . इसी दौरान वह प्रकाश कौर के सम्पर्क में आता है . दोनों मिल कर ऐसे वरिष्ठ लोगों की तलाश करते हैं जो अकेले रहते हैं . दोनों भावनात्मक रूप से बहुत निकट होते हैं . एक बार कामत ने प्रकाश का इलाज अपनी जमा पूँजी 2. 6 लाख रूपये कैश अस्पताल में जमा कर कराया जिसका पता खुद प्रकाश को बहुत बाद में चलता है . उधर नन्हे मशहूर डांसर ( राखी सावंत ) के लिए कपड़े सिलता है पर फिर भी कर्ज चुकाने के लिए उसे चोरी करनी पड़ती है . उसकी मुलाकात एक भिखारिन रानी ( मोनिका पंवार ) से होती है और वह उस से प्यार करता है पर कुछ दिन के लिए दोनों अलग हो जाते हैं . कहानी के अंत में प्रकाश कौर का बेटा उसे कनाडा ले जाता है पर वह लौट कर कामत से मिलती है . दूसरी तरफ रानी और नन्हे भी मिल जाते हैं . कुल मिलाकर फिल्म मेट्रो में वरिष्ठ लोगों के अकेलेपन और गरीब नौजवान के संघर्ष पर आधारित है .
हालांकि फिल्म शुरू में कुछ स्लो है पर बाद में गति पकड़ती है और मनोरंजक होती है . कम बजट की फिल्म को भी निर्देशक ने मनोरंजक बनाया है . पटकथा और निर्देशन दोनों के रूप में विजय मौर्या खरे उतरे हैं .
अभिनय - कामत की भूमिका में जैकी श्रॉफ ने अपनी उत्तम अभिनय कला का परिचय दिया है और प्रकाश कौर के किरदार में नीना गुप्ता का अभिनय भी उतना ही सराहनीय है . फिल्म में नन्हे की भूमिका में अभिषेक चौहान का और रानी की भूमिका में मोनिका पंवार का अहम किरदार रहा है जिसे दोनों ने भली भांति निभाया है . डांसर की भूमिका में राखी सावंत की भूमिका को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है . फल विक्रेता के किरदार में बाबूराम ( फैसल मलिक ) का रोल भी ठीक है . फिल्म के कुछ दृश्य और भाषा अश्लील हैं . फिर भी कुल मिलाकर “ मस्त में रहने का “ देखने लायक है .
मूल्यांकन - निजी मूल्यांकन की दृष्टि से यह फिल्म 10 में 7 अंकों के योग्य है .