फिल्म समीक्षा - - तुमसे ना हो पायेगा
हाल ही में प्रदर्शित फिल्म ‘ तुमसे ना हो पायेगा ‘ आजकल के युवाओं के लिए अच्छी फिल्म है . फिल्म का विषय सामयिक है जो आज के युवाओं की एक समस्या पर आधारित है . यह फिल्म वरुण अग्रवाल की उपन्यास “ हाउ आई ब्रेव्ड अनु आंटी एंड को फॉउंडेड अ मिलियन डॉलर कंपनी ( How I Braved Anu Aunty and Co - founded a Million Dollar Company ) पर आधारित है . इसका निर्माण सिद्धार्थ रॉय कपूर व अन्य सह निर्माताओं ने मिलकर किया है और निर्देशक अभिषेक सिन्हा हैं .
कहानी - गौरव शुक्ला ( इश्वाक सिंह ) अपनी कंपनी में काम से संतुष्ट नहीं था . एक दिन ऑफिस के बाथरूम में वह अपने दोस्त के साथ काम की बुराई कर रहा था जिसे उसके बॉस ने सुन लिया और उसे नौकरी से निकाल देता है . एक पब बार में गौरव और देविका की मुलाकात होती है . गौरव देविका ( महिमा मकवाना ) को स्कूल से ही पसंद करता था . अब वह अर्जुन कपूर , जो क्लास में अव्वल होता था , ( करण जोतवानी ) की गर्लफ्रेंड है . गौरव अपने एक दोस्त माल ( गौरव पांडेय ) के साथ मिलकर ऑफिस में माँ के हाथ का बना फ़ूड सप्लाई का बिजनेस शुरू करता है जो कुछ दिनों के बाद फ्लॉप कर जाता है . एक तरफ जहाँ गौरव फेल करता है दूसरी तरफ अनु आंटी ( मेघना मलिक ) अपने बेटे अर्जुन कपूर की तरक्की के किस्से गौरव की माँ पूजा ( अमला अक्किनेनी ) को बड़े गर्व से सुनाती रहती है . अनु आंटी अपने आप को स्वघोषित गार्जियन की तरह पेश करती है जिसे अपने बेटे की सफलता में आनंद और दूसरों की असफलता पर व्यंग करना आता है . यह बात गौरव को पसंद नहीं है और वह उसे खरी खोटी कह कर दूसरों के मामले में टांग नहीं अड़ाने को कहता है .
गौरव फिर से नौकरी करता है जिस से उसे संतोष नहीं मिलता है . उसे कुछ उतार चढाव का सामना करना पड़ता है और अंततः उसकी माँ अपनी जमा पूँजी देकर फिर से अपना बिजनेस खड़ा करने के लिए प्रोत्साहित करती है . देविका अंत तक गौरव का साथ देती है . इस बार गौरव को आशातीत सफलता मिलती है . उसकी इतनी सफलता देख कर अमेरिका के विश्व विख्यात ‘ हार्वर्ड बिंजनेस स्कूल’ गौरव को अपने यहाँ पढ़ाने के लिए बुलाता है . उस क्लास में शीर्ष बिजनेस एग्जीक्यूटिव भी आते हैं जो गौरव से शिक्षा लेकर अपने बिजनेस के लिए सीख सकें . उनमें अर्जुन कपूर भी होता है जो गौरव को अपने टीचर के रूप में देखकर आश्चर्यचकित रह जाता है .
यह फिल्म एक ओर जहाँ अपने घर से दूर कार्यरत युवकों को माँ के हाथ के खाने की याद दिलाती है वहीँ दूसरी ओर एक प्रेरणादायक संदेश भी देती है - जीवन में उतार चढ़ाव आते हैं पर आरंभ में मिली असफलता से निराश न होकर अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहें , एक दिन सफलता अस्वश्य मिलेगी . इसके अतिरिक्त यह फिल्म मिडिल क्लास के युवकों को यह संदेश देती है कि वे भी खुद का बिजनेस स्टार्ट कर सकते हैं और उसमें सफल भी हो सकते हैं .
फिल्म का विषय अच्छा है और कम बजट में बनी यह फिल्म प्रशंसनीय है . ‘ तुम डिसाइड करोगे कि तुम पास हुए हो या फेल ‘ ( you will decide if you have failed or passed ) इस फिल्म का एक महत्वपूर्ण लाइन है . अगर कोई तुम्हारे भविष्य और सफलता का फैसला कर सकता है तो वह स्वयं तुम हो . कुछ लोग जॉब से असंतुष्ट होते हुए भी रेगुलर वेतन मिलता रहे , यह सोच कर उसी में आजीवन उलझ कर रह जाते हैं जबकि कुछ जोखिम उठा कर अपने मन लायक बिजनेस शुरू करते हैं और प्रारम्भिक उतार चढ़ाव , असफलता और संघर्ष के बावजूद अपना बॉस खुद बनना चाहते हैं . इस फिल्म का नायक गौरव इस बात की मिसाल है . इस फिल्म में सभी रिश्तों को शीलता के साथ दिखाया गया है . फिल्म में कोई बड़ा सितारा नहीं है फिर भी अंडररेटेड एक्टर्स इश्वाक , गौरव और महिमा सभी ने अपनी भूमिका अच्छी तरह निभायी है .
यह फिल्म हॉटस्टार पर उपलब्ध है . हालांकि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास नहीं कर सकी है , जहाँ तक मूल्यांकन का सवाल है निजी तौर पर 10 में 7. 5 अंक डिजर्व करती है .
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