एक टुकड़ा धूप Lotus द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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एक टुकड़ा धूप

चंद मिनटों की धूप चाय और किताब क्या हासिल होता है कहानी से जानिए.....lotus 🪷

सहेली ज्योति का फोन टीना को जैसे विचार आया कितने दिन हो गए गृहस्ती की आपाधापी में ये सुख तो उसने लिया ही नहीं
हॉस्टल को याद करते हुए ज्योति ने कहा था
टीना आज सुबह 8 बजे चाय लेकर छत पे चली गई
सच में याद आ गई तुम्हारी सर्दी के उन सभी इतवारो की जब हम सुबह की धूप में बैठ कर चाय का आनद लेते थे और कहा करते थे एक टुकड़ा धूप चाय का साथ और कपकपाती ठंड आनंद ही आनंद टीना यादों में खो गई
विवाह से पहले की जिन्दगी सहेलिया हास्टल लाइफ जैसे सब कुछ याद आ गया था
कई बरसों से सर्दी में सुहानी धूप और चाय के संग का आनंद नही लिया था आस पास के ऊंचे ऊंचे घर और उस पर उत्तरमुखी घर लिहाजा सुबह 8.9 बजे की धूप घर के आगे छोटे से खुले हिस्से में नही आती थी सुबह की कुनकुनी धूप के लिए छत पे जाना पड़ता था
सुबह की व्यस्था और आराम से चाय पीना हम गृहणी के लिए दो अलग बाते हैं पर आज ज्योति से बात करने लगा मैं भी सुभा धूप संग चाय का आनंद लूगा सर्दी मे सुबह की धूप का आनंद ही अलग है टीना ने सोचा कल इतवार है बच्चे दादा दादी के साथ सुबह 8.9 बजे के करीब जायेगे और इक घंटे से पहले नही आयेगे इनको भी कह दूंगी जल्दी नाश्ता करने के लिए टीना के विचार चलते रहें
इतवार की सुबह सामान्य इतवार को पति विवेक देरी से नाश्ता करते हैं उसने विवेक को जल्दी नाश्ता करने को कहा
और अपनी इच्छा बताई वह हस पड़ा और कहा पर उस आनंद में तुम्हारी सखियां कहा है टीना ने कहा चाय के साथ किताब भी ले जाऊंगी यह आनंद भी कम नहीं सर्दी की कुनकुनी धूप में किताब पढ़ना सोच कर ही टीना का मन खुश हो गया सबको नाश्ता करा के खुद नाश्ता किया बच्चे दादा दादी के साथ मंदिर चल गए रसोई बाद में ठीक करूंगी डास्टिंग भी बाद में कर लूंगी टीना ने सोचा 9 बजने को हैं चाय चढ़ा दु आदा पॉन घंटा छत पे रहूंगी 10बजे से पहले आ जाऊंगी उसके बाद की धूप इतनी सुहानी भी नहीं होती सोचते सोचते चाय थरमस में ले गई तभी दरवाजे पर घंटी बजी गीता खड़ी थी सब्जी का टोकरा लेकर
भाभी ताजा सब्जी है लेलो
टीना नही आज नही चाहिए टीना ने ठान लिया था आज धूप संग चाय और किताब का आनंद लेना ही है सब्जी बाद में विवेक ले आएगा अभी कोनसा खाने का वक्त हो गया है आज में किसी से भी एकजस्ट नही करूंगी टीना ने सोचा टीना अलमारी से किताब निकाल ही रही थी फिर से दरवाजे पर घंटी बजी देखा गृहकार्य सहायक भूरी खड़ी है हमेशा की तरह घोड़े पर सवार डोडते भागते अंदर आ गई भाभी जल्दी से बर्तन निकाल दो धोने के लिए शाम को नही आ पाऊंगी अभी मुझे बाहर जाना है इसलिए जल्दी आ गई रोज 11 बजे आने वाली भूरी को आज 9 बजे ही आना था औरत किसी और रिश्ते से एकजस्त करे न करे गृहकार्य सहायिका के हिसाब से एकजस्ट जरूर करेगी
Ab y काम कर रहि है तो में नही जा सकती छत पे यादें ताजा करने के लिए अभी डेस्टिंग भी करनी है झाड़ू करने से पहले फ्रिज में कल की सब्जी वाले और दूध वाले बर्तन निकालते निकालते टीना के विचार चल रहे थे यह इतेफाक भी आज ही होने थे गृहणी के जीवन में इसे इतेफाक आए दिन होते रहते हैं विचारो को झटककर थर्मस से चाय निकालकर भूरी को दी भूरी ने वाह भाभी जी में चाय का सोच ही रही थी आपने पहले ही बना दी टीना मुस्कुरा दी मन ही मन कहा इतेफाक होते रहते हैं