12th फेल - फिल्म समीक्षा S Sinha द्वारा फिल्म समीक्षा में हिंदी पीडीएफ

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12th फेल - फिल्म समीक्षा

                                                        फिल्म समीक्षा - 12th फेल 


“  12th फेल “ फिल्म की कहानी एक भारतीय पुलिस सेवा के अफसर के जीवन पर आधारित सत्य घटना पर बनी है  . फिल्म की कहानी अनुराग ठाकुर के उपन्यास “ बारहवीं फेल “ पर आधारित  है  . इसके निर्माता और निर्देशक विधु  विनोद चोपड़ा हैं  . यह फिल्म एक IPS अधिकारी मनोज कुमार शर्मा और एक IRS अधिकारी श्रद्धा जोशी की वास्तविक जीवन की कहानी से प्रेरित है  . यह कहानी एक साधारण गरीब परिवार के संघर्ष की कहानी है जो अत्यंत विषम परिस्थितियों के बावजूद आई पी एस अफसर बनने में सफल होता है  . यह आजकल के युवाओं के लिए प्रेरणा का श्रोत  है  . 


कहानी के नायक मनोज ( विक्रांत मैसी ) के ईमानदार क्लर्क पिता को एक भ्रष्ट अफसर को पिटाई करने  के लिए निलंबित कर दिया जाता है  . मनोज के क्लास के सभी छात्र चिट से नकल कर पास करते  हैं पर एक दिन DSP दुष्यंत सिंह द्वारा पकड़े  जाने पर सभी फेल कर जाते हैं  . मनोज अपने भाई के साथ मिल कर रिक्शा चलाता है  .  एक दिन वह लोकल नेता के परिचित को रिक्शा में फ्री नहीं चढ़ने देता है जिसके चलते उसके भाई को पुलिस बिना किसी गलती के गिरफ्तार करती है और उसे छुड़ाने के लिए वह दुष्यंत सिंह ( प्रियांशु चटर्जी )  के पास जाता है  . वह उसे चीटिंग छोड़ कर  ईमानदार अफसर बनने की सलाह देता है  . वह भी DSP बनना चाहता है  . मनोज बी ए तक तो पढ़ लेता है पर  राज्य सरकार तीन वर्षों के लिए स्टेट पब्लिक सर्विस परीक्षा बंद कर देती है  . तब उसे सिविल सर्विस परीक्षा के लिए  दिल्ली जाना पड़ता है पर  इसके लिए महंगी  कोचिंग लेनी  पड़ती  है पर उसके पास पैसे नहीं हैं   . वहां गौरी की मदद से मनोज  तैयारी करता है  . गौरी खुद एक UPSC प्रत्याशी था पर स्वयं सफल नहीं हो सका था और कोचिंग करता था  . . यहाँ उसकी मुलाकात एक UPSC प्रत्याशी श्रद्धा जोशी ( मेधा शंकर  ) से होती है जो उसे गलती से एयरोनॉटिकल इंजीनियर समझ लेती है  .  मनोज उस से प्यार करने लगता है  . पर  सच जानने के बाद वह मनोज से नाराज होती है  . वह मेहनत मजदूरी कर किसी तरह पढ़ता है और परीक्षा में बैठता है पर असफल होता है  . वह श्रद्धा को मनाने मसूरी जाता है पर श्रद्धा उसे लौटा देती है और फिर से UPSC की तैयारी के लिए कहती है  . बहुत परिश्रम , संघर्ष और उतार चढ़ाव के बाद वह परीक्षा में सफल होता है  . श्रद्धा पहले ही कम्पीट कर चुकी होती है   . मनोज के पास इंटरव्यू के लिए सही कपड़ों , जूतों , हेयर कट आदि का प्रबंध कर श्रद्धा उसे इंटरव्यू में जाने के लिए प्रोत्साहित करती  है  . इंटरव्यू में भी उसे कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है पर वह ईमानदारी से सभी प्रश्नों का हिंदी में उत्तर देता है  . अंततः वह IPS के लिए चुना जाता है  . मनोज जा कर DSP  दुष्यंत सिंह को धन्यवाद देता है   . उधर श्रद्धा  भी मनोज को पत्र लिख कर शादी करने की इच्छा जताती है   . 


कम बजट की और बिना किसी बड़े स्टार की यह फिल्म विधु  विनोद चोपड़ा के कुशल निर्देशन के चलते दर्शकों को प्रभावित करती है  .उन्होंने  बिना किसी बड़े स्टार और फिजूलखर्ची के एक आम गरीब आदमी के संघर्ष और सफलता की कहानी को भली भांति दिखाने में सफलता प्राप्त किया है  . जिस  शानदार तरीके से विधु ने कहानी को प्रस्तुत करते हुए “  12th फेल “ फिल्म को बनाने का उद्देश्य पर्दे पर दर्शाया  है वह अत्यंत सराहनीय है   .  निर्देशक ने कलाकारों का चयन और फिल्मांकन भी कथा के बैकग्राउंड और मांग के अनुसार किया है  . मुख्य भूमिका में मनोज के किरदार को विक्रांत ने बखूबी निभाया है  . अन्य कलाकारों का प्रदर्शन भी प्रशंसनीय है  .   इसे हॉटस्टार पर देखा जा सकता है  . 


हालांकि बड़े स्टार न होने और ग्लैमरस न होने के कारण यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं दिखा पायी है फिर भी मूल्यांकन की दृष्टि से दस में आठ अंक यह डिजर्व  ( मेरे अनुसार ) करती है   . 

 समाप्त