क्रेजी लव - 1 Harsha meghnathi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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क्रेजी लव - 1

इशिता अपनी ही धुन में स्कूटी चला कर अपने घर जा रही थी. अभी वह स्कूल से सिर्फ 3 किलोमीटर दूर ही गई थी. उसका रूट करीब 50 किलोमीटर का था. इशिता का रास्ता तो सीधा ही था लेकिन रास्ते में दाहिनी ओर एक और सड़क आती थी। इशिता ने आजतक उस रास्ते पर किसी को नहीं देखा था. वह रास्ता हमेशा सुमसान होता था। कभी कबार ही उस पर कोई इन्सान दिखाई देता था।लेकिन वह यह भी जानती थी कि वहां जाना बहुत खतरनाक है।

दरअसल वह रास्ता एक आलीशान महल की ओर जाता था।और न केवल उस महल बल्कि आसपास के कई गांवों की जमीन का मालिक भी कुलदीप सिंह राठौर ही था। आसपास के करीब 40 गांवों के लोग उन्हें अपना भगवान मानते थे. सभी लोग उनका इतना आदर करते थे कि यदि उनकी कार भी उधर से गुजर जाती तो वे अपना सिर झुका लेते थे। उसके डर की वजह से उस रास्ते पर कोई नहीं था इसलिए इशिता की स्कूटी भी बहुत तेज चल रही थी.


तभी अचानक सड़क पर जहां महल की ओर जाने वाली सड़क पड़ती थी, वहा उसने कुछ लोगों को देखा, जो उसकी ओर हाथ हिलाकर रुकने का इशारा कर रहे थे। ये देखकर उसने तुरंत अपनी स्कूटी को जोर से break लगा दी. जिससे उसकी स्कूटी लड़खड़ाकर गिर गई।


इशिता के पैर में भी चोट लग गई. उसने कहा, 'तुमने मुझे अचानक क्यों रोक दिया?'

वह दो आदमी थे. उन्होंने कहा कि हमारे छोटे "हुकुम" ने आपको रोकने के लिए कहा था। इशिता अभी भी अपना पैर पकड़कर जमीन पर बैठी थी।


इससे पहले कि वह उन दोनों से कुछ कहती, एक शानदार कार वहां आकर रुकती है। कार का दरवाज़ा खुलता है और विश्वजीत कार से नीचे उतरता है। उसकी personality देखकर इशिता उसे घूरे जा रही थी।वह भूल जाती है कि वह अपना पैर जमीन पर रखकर बैठी है। विश्वजीत उसे सपनों से जगाता है और कहता है, oh madam, where are you,?


यह सुनकर इशिता होश में आ जाती है और गुस्से में कहती है तुमने मुझे ऐसे suddenly क्यों रोक दिया?

तो विश्वजीत अपनी आंखें सिकोड़कर थोड़ा गुस्से से कहते हैं, क्या कहा आपने? इशिता थोड़ी नकली मुस्कान के साथ कहती है, ''सर, मैं उन दोनों से बात कर रही थी, ऐसे अचानक कोई किसीको रोकता है क्या?

फिर विश्वजीत इशिता को अपना हाथ देकर उठाता है और उससे कहता है कि मैंने उन्हें तुम्हें यहीं रोकने के लिए कहा था।


लेकिन इशिता ने विश्वजीत का हाथ पकड़ लिया और फिर से गहरी आंखों में खो गई.


उस वक्त विश्वजीत इशिता को घूर रहा था. इशिता भी खूबसूरत थी 😍, किसी अप्सरा से कम नहीं थी.


दोनों की पहली मुलाकात एक स्कूल फंक्शन में हुई थी। जब दोनों ने एक दूसरे को देखा तो बस देखते ही रह गए. दोनों को एक दूसरे के प्रति एक अलग आकर्षण महसूस होने लगा. बाद में विश्वजीत कई बार इशिता के स्कूल जाता था। उसने इशिता का दोस्त बनने की भी कोशिश की. लेकिन जब इशिता को पता चला कि विश्वजीत कुलदीप सिंह राठौर का बेटा है तो उसने उससे दूरी बनाना ही बेहतर समझा।


विश्वजीत को सभी हुकुम कहकर बुलाते थे लेकिन विश्वजीत ने इशिता से कहा था कि तुम मुझे सर ही कहोगी. तभी से इशिता ने उन्हें सर कहना शुरू कर दिया.


इशिता को होश आता है और वह अपना हाथ छुड़ाती है और पूछती है, 'सर आपने मुझे क्यों रोका?'

विश्वजीत ने एक कार्ड दिया और कहा कि 'आज रात मेरी शादी होने वाली है.' 'मैं तुम्हें आमंत्रित करना चाहती हूं' यह सुनकर इशिता हैरान रह गई उसने आश्चर्य भरे स्वर में पूछा क्या! शादी!


यह सुनकर इशिता थोड़ी उदास हो गई लेकिन उसने इस बात को अपने चेहरे पर बिल्कुल भी जाहिर नहीं होने दिया और बोली 'लेकिन मैंने यह बात घर पर नहीं बताई है, नहीं तो मैं जरूर आती।'


विश्वजीत ने कहा ठीक है अगर तुम शादी में नहीं आना चाहती तो कोई बात नहीं पर तुम्हें इस समय मेरे साथ चाय के लिए आना होगा। वैसे भी आपका स्कूटर आगे से टूट गया है,, मेरे आदमी आपकी स्कूटर को रिपेयर करा कर ले आयेंगे तब तक आप हमारे घर चले फिर अगर आप चाहें तो जा सकते हैं।


इशिता घर जाने में झिझक रही थी, इसलिए उसने कहा नहीं...नहीं...परेशान मत हो, आज आपकी शादी है इसलिए आपको बहुतसे काम होगे , मैं यहीं रहूंगी, जब तक स्कूटी की मरम्मत नहीं हो जाती।


ये कहते हुए इशिता जैसे ही थोड़ा आगे बढ़ी और चलने की कोशिश की, वो गिरते-गिरते बची और उसके मुंह से दर्द भरी आवाज निकली, 'आउच'...तब उसे पता चला कि उसके पैर में ज्यादा चोट लग गई है. ठीक से चल भी नहीं सकती.


यह देखकर विश्वजीत इशिता के पास आता है और उसे गोद में उठाकर अपनी कार में बैठा लेता है।

इशिता उसके व्यवहार से चिढ़ जाती है और कहती है सर आप क्या कर रहे हैं?


विश्वजीत ने जवाब दिया "oh come on ishita you are injured ' और वैसे भी घर में शादी है और बहुत सारे मेहमान हैं. तो चिंता मत करो, मैं तुम्हें खा नही जाऊंगा। ये कहकर विश्वजीत मुस्कुरा देते हैं.


फिर विश्वजीत गोपाल को कुछ इशारा करके कहता है कि जाओ और इशिताजी की स्कूटी ठीक करके ले आओ।

अब इशिता के पास कोई चारा नहीं था, उसे विश्वजीत के घर जाना पड़ा। वह असहजता से कहती है 'सर मेरी स्कूटी में एक पर्स है। प्लीज मुझे दे दो, मुझे घर फोन करना है कि मैं आज देर से आऊंगी, नहीं तो मेरे परिवार वाले tension में आ जाएंगे।'


गोपाल विश्वजीत का इशारा समझ चुका था, उसने स्कूटर से उसका पर्स निकाला, उसमें से उसका फोन निकाला, जमीन पर रखा और तोड़ दिया।


बाद में उसने मोबाइल पर्स में रखकर इशिता को दे दिया।


इशिता ने तुरंत अपने पर्स से फोन निकाला। लेकिन फोन की हालत देखने के बाद.


वह बहुत उदास हो गई और बोली, 'अरे नहीं मेरा फोन भी टूट गया है।'


उसने यह बात विश्वजीत से कही और झिझकते हुए फोन मांगा, 'सर क्या आप मुझे अपना फोन देंगे, मैं घर पर फोन करना चाहती हूं।'


विश्वजीत अपने घर की ओर गाड़ी चलाने लगता है और कहता है कि घर पहुंचकर मैं तुम्हें अपना फोन दूंगा।


यह जवाब सुनकर इशिता को बहुत अजीब लगा, लेकिन आगे कुछ पूछने की उसकी हिम्मत नहीं हुई।