आनंदी बाई जोशी Lotus द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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आनंदी बाई जोशी

आनंदी का संकल्प और पति की खुशी
मगर दिल से मेहनत करोगे तो कोई भी काम मुस्किल नहीं
एसी ही एक कहानी.....

मे डॉक्टर बनने जा रही हूं
यह एक अद्भुत विचार है अगर आप डॉक्टर बन गई तो
आप अपनी जैसी अन्य महिलाओं की मदद कर सकोगी
लेकिन तुम कहां पढ़ोगे आनंदी यहां कोई तुम्हें चिकित्सा नहीं सिखाएगा
उन दिनों महिला केवल गाय का काम सीख सकती थी
मैं कुछ नहीं जानती मैं बस डॉक्टर बनना चाहती हूं
आनंदी अब एक ऐसी महिला के रूप में विकसित हो रही थी जो अपने मन की बात जानती थी
सिर्फ इंग्लैंड या अमेरिका से ही यह पढ़ाई हो सकती है
हमारे समाज के अनुसार समुद्र पार करने का अर्थ होगा समाज से बहिष्कार किया जाना
लेकिन योजना पद तरीके से विचार किया गया था और आनंदी जोखिम लेने को तैयार थी
विदेश में अध्ययन के लिए उपलब्ध
अधिकांश धनराशि का प्रबंध मिशनरियों द्वारा किया जाता
हम मदद करेंगे यदि हमारे धर्म से आपका विश्वास होगा
आनंदीबाई जोशी आप केवल तभी डॉक्टर बन सकती हैं जब है हम ईसाई बनने के लिए सहमत हो
विद्या अध्ययन के लिए यह कैसी शर्त है
अरे हम नहीं करेंगे मेरे धर्म का मेरी समस्याओं से क्या लेना देना है
मैं मस्तानी प्रमुख के पास मदद के लिए गया तो यह साथ रखी उन्होंने
सितंबर 1878 को गोपाल ने कोल्हापुर के एक पॉजिटिव मशीनरी को पत्र लिखकर महिला शिक्षा के अपने विश्वास के बारे में चर्चा की और अपनी पत्नी के डॉक्टर बनने की इच्छा जताई उन्होंने लिखा
अगर आप हमारी मदद कर सकते हैं तो मुझे अमेरिका में रहकर अपनी पत्नी का साथ देने की खुशी होगी
यह पत्र अमेरिका के प्रति पिस्टन मैं प्रकाशित होने वाले अखबार मशीनरी रिव्यू तक पहुंच गया जहां उसके साथ संपादक की टिप्पणियों की मदद श्रृंखला भी शामिल थी जो इस विचार को पूरी तरह से हतोत्साहित कर रही थी उनका सार था
एक परिवर्तित हिंदू संयुक्त राज्य अमेरिका में अध्ययन करने के लिए हमारी मदद चाहता है हमें सबसे पहले अपने साथी ईसाइयों को इस दुनिया में प्रगति करने में मदद करनी चाहिए
गोपाल और आनंदी को इस बारे में कभी कुछ पता नहीं चलता अगर नियति ने बहुत अजीब खेल नहीं खेल होता
।।।


अगला पाठ दूसरी कहानी में लिखूंगा
2 साल का समय और भी बीता और हजारों मील दूर न्यू जर्सी अमेरिका में तिरोदिया सा कॉर्पोरेट नामक महिला अपनी डेंटल अपार्टमेंट के इंतजार में बैठी थी तब उनकी नजर गोपाल आनंदी के इस पत्र पर अचानक पड़ी और यह एक बड़ा मोड़ आया
जब भारतीय महिला शादी कभी शिक्षित होती थी तब पे को लेकर आनंदी की बातें चौका देने वाली थी
जैसे कि मैंने कहा कि मेहनत करने से सब कुछ हासिल होता है
वैसे ही कोई भी संकल्प को दिल से लो
जैसे कि आप सब ने इस कहानी
हौसला है मन में विश्वास है तो कोई भी काम मुश्किल नहीं
मेने बहुत सी कहानियां लिखी है
पर मुझे वैसी ही कहानी लिखने का शोक है
जो मेहनत और ईमानदारी से आगे बड़े हो
काभी भी खुद को कमज़ोर मत समझो
मेहनत करने से सब कुछ मिलता है
बे मानी का पैसा बे मानी में ही जाता है
कहते हैं ना मेहनत का फल मीठा होता है
ये सच है

राधे राधे ....