में और मेरे अहसास - 91 Darshita Babubhai Shah द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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में और मेरे अहसास - 91

इश्क़, मुहब्बत, जरूरत, आदत जो भी कहो l

बेपन्हा ओ बेइंतिहा सी चाहत जो भी कहो ll

 

गर थोड़ा वक्त मिले तो निकाला करो जरा l

दीदार से मिल जाती है राहत जो भी कहो ll

 

तड़प और तरस हमेशा से चाहत की रहीं हैं l

जो भी प्यार से दोगे उसे दावत जो भी कहो ll

 

इश्क ने ये क्या जादू कर दिखाया है देखो तो l

दवा से या दुआ से मिले ताकत जो भी कहो ll

 

प्यार ओ अपनेपन की जो धारा बहती है उसे l

नदी, दरिया, समंदर या सागर जो भी कहो ll

१६-११-२०२३ 

 

इश्क़ है तो जताना भी सीख लो l

इश्क़ है तो बताना भी सीख लो ll

 

प्यार भरी एक आवारा नज़र से l

रूठे हुए को मनाना भी सीख लो ll

 

प्रेम सपूर्ण समर्पण के तोहफ़े से l

खामोशी को हंसाना भी सीख लो ll

 

बड़ी आसान हो जाएगी जिंदगी l

दर्द गले से लगाना भी सीख लो ll

 

जिंदगी में सदाकत को चुनकर  l

इज्जत को कमाना भी सीख लो ll

१७-११-२०२३ 

 

 

 

पुराने लम्हों की याद में दिल में एक टिस सी उठती है l

सुहाने लम्हों की याद में दिल में एक टिस सी उठती है ll

 

खास शख्स ने पूछा कैसे हो तो हाले दिल बताया वो l

निराले लम्हों की याद में दिल में एक टिस सी उठती है ll

 

जादू आंसूं का चल गया ओ दिल हाथ से फिसल गया l

दिवाने लम्हों की याद में दिल में एक टिस सी उठती है ll

 

करार ए रूह छीन गया और धड़कने बेकाबू हुई l

निराले लम्हों की याद में दिल में एक टिस सी उठती है ll

१८-११-२०२३

 

बात बात पर रंग बदलने वाले रंगीन नहीं है हम l

बेहतरीन नहीं है पर इतने भी संगीन नहीं है हम ll

 

मुहब्बत तो सदा शाश्वत ही रहती है धड़कनों में l

क्षणिक मात्रा के मिलन से ग़मगीन नहीं है हम ll

 

 

दिल का दरिया लुटा देगे जानेमन वादा करते हैं l

आज जो चाहे मांग लो इतने भी दीन नहीं है हम ll

 

जब से इजहार ए मुहब्बत हुई कभी न कहा व्यस्त हैं l

मग्न हो गये हैं यादों में पर तल्लीन नहीं है हम ll

 

दिखाने के और चबाने के और रखते हैं आजमा लो l

दिखने को नाजुक दिखते हैं कमसीन नहीं है हम ll

१९-११-२०२३ 

 

 

 

 

 

अभी भी गिरगिट दुनिया का रंग नहीं चढ़ा है l

अंदर ओ बाहिर से एक है सप्तरंगी नहीं है हम ll

 

सहारे के बग़ैर चल नहीं सकते पर बेसहारा नहीं l

जिंदगी का खेल खेला है पर जंगी नहीं है हम ll

 

किस्मत ने बेरहमी की पर खुदा की रहम नज़रे है l

खुमारी से जीना चाहते हैं कि दंगी नहीं है हम ll

 

बेशुमार ज़ख्मों की मिशाल है फ़िर भी मुस्कुराते हैं l

हस्ते हुए ज़ख्मों के साथी संगी नहीं है हम ll

 

कुछ अपनी समझदारी से काम किया करो l

चाहो तो साथ दे सकते हो, तंगी नहीं है हम ll

 

हर पल हर लम्हा मुस्कराते रहते हैं क्योंकि l

मन भरके जीना चाहते हैं, रंगी नहीं है हम ll

२०-१२-२०२३ 

 

 

बादलों के पार खूबसूरत निराली दुनिया है l

निर्मल औ पवित्रता भरी अछूती दुनिया है ll

 

खुदा की इनायत समझकर अनछुआ रखो l

मुकम्मल सच्चाई से भरी अनूठी दुनिया है ll

 

कभी हवाई जहाज में बैठकर देख आना जरा l

आसमान में दूध सी उजली अनेरी दुनिया है ll

 

नीले से विस्तृत अम्बर में रोशनी सप्तरंगी है l

आफताब और सितारों की अनोखी दुनिया है ll

 

वाष्प पुष्पों का बड़ा उड़ता सा ग़ुबार हैं सखी l

घर बना ले वहां सचमुच अलबेली दुनिया है ll

२०-११-२०२३ 

 

 

रिश्ता खुदा से बनाया है तो डर कैसा?

परमतत्व से मन लगाया है तो डर कैसा?

 

खुल्ले आम किया है इज़हारे मोहब्बत l

जग के सामने जताया है तो डर कैसा?

 

खुशी हो या ग़म साथ साथ चले है सदा l

वास्ता दिल से निभाया है तो डर कैसा?

 

किसीकी भी तमा किये बगैर जहां में l

ढिंढोरा पीट के बताया है तो डर कैसा?

 

नज़रों से समाके रूह में बसा लिया है l

तन मन ओ धन लुटाया है तो डर कैसा?

२१-११-२०२३ 

 

कभी कभी जिंदगी में अश्कों से दोस्ती करनी पड़ती है l

पलभर जरा सा मुस्कुराने की क़ीमत भरनी पड़ती है ll

 

बिना किताबे पढ़े ही सारी दुनियादारी को सीख लिया l

जब समझने वाला न मिले तब तक सरनी पड़ती है ll

 

आएंगीं एक बार कयामत तो क़यामत ही आ जाने दो अब l

खुद की और क़ायनात की नीद सखी हरनी पड़ती है ll

२२-११-२०२३ 

 

नई कलम नया कलाम लिखो l 

कुछ नया ही मेरे नाम लिखो ll

 

ज़िंदगी निकलीं जा रहीं हैं तो l

वक्त के फर्श पे जाम लिखो ll

 

अकेले में बैठकर मुस्कराना l

दिल की हसरतें आम लिखो ll

 

नजरअंदाज करे उसे तुरंत ही l

मुकम्मल नजरे आराम लिखो ll

 

दिन छोटे और रातें लम्बी है l

यादों के मौसमे शाम लिखो ll

 

कैसी ओ किस तरह गुज़री l

सूरत ए हाल तमाम लिखो ll

 

हौसलों को बनाये रखने के l

जज्बातों को सलाम लिखो ll

२३-११-२०२३ 

 

रिश्तों को मज़बूत डोर से बांधे रखना चाहिए l

अपनों के साथ अपनेपन से पलना चाहिए ll

 

जिंदगी जीने का सही तरीका यही है कि l

ऊर्मि भावनाओ को खुल कर कहना चाहिए ll

 

संबंधो की ज़मीं को ताजा रखने के लिए l

वक़्त रहते बड़े प्यार से सिंचना चाहिए ll

 

हालत कैसे भी हो भूल जाओ कड़वाहट को l

जरूरत पर एक दूसरे के लिए मिटना चाहिए ll

 

ऐटिटूड और इगो को साईड में रखकर सखी l

कशमकश को झेलना भी सिखना चाहिए ll

२४-११-२०२३ 

 

 

 

किस्मत का खेल है मिलना ओ बिछड़ना l

रोक सको तो रोको सबंधों का बिगड़ना ll

 

हँसकर ज़िंन्दगी के नखरे उठाता रहा है l

दिल तो दिवाना है नहीं जानता सिमटना ll

 

शर्त है कि मुहब्बत में रूठे को मनाया जाए l

मुँह फुलाकर रात और दिन है सिसकता ll

 

सखी सुहानी यादों के सहारे जीने के लिए l

खुब आता है दिलों दिमाग पर चिपकना ll

 

न पूछो क्या होता है पल पल बिताना l

मुश्किल हो जाता है भूलकर खिसकना ll

२५-११-२०२३ 

 

खामोश जज़्बातों पर नाज़ हैं l

औ रूह में गूँजती आवाज़ हैं ll

 

कभी तो आसमाँ छू ही लेगे l

मिरे हौसलों में परवाज़ हैं ll

 

अपनो से अह्सास से जुड़े हैं l

दुनिया से अलग अंदाज हैं ll

 

ज़िंन्दगी के रंग हजारों है l

रिश्ते ज़िंदगी के ताज हैं ll

 

भाइचारे से मेल झोल में l

अपनेपन का साज हैं ll

२६-११-२०२३ 

 

ज़िंन्दगी हवा का झोंका हैं l

जीने का खूबसूरत मोका हैं ll

 

जुबां हमेशा मीठी रखना l

जी लो किसने रोका हैं ll

 

जिम्मेदारी निभाना सीख l

समझदारी ने टोका हैं ll

 

दुनिया की परवा छोड़ l

नज़रें मिला लोका हैं ll

 

अच्छाई बचाके रखो l

रिश्ता कुछ नोखा हैं ll

२७-११-२०२३ 

 

वादा किया है तो वादा निभाना l

चाहे जो भी हो जाए मुस्कुराना ll

 

मन की मन में न रखना कभी l

बात दिल की खुलकर बताना ll

 

दिल को बड़ा करके अपनों से l  

मेल मिलाप कर रंजिशें मिटाना ll

 

क़ायनात में नाम छोड़ना हैं तो l

सौई रूह को ढँढोलकर उठाना ll

 

जीवन को जी भर के जी लेना है तो l

प्यारे रिश्तों को फूलों से सजाना ll

 

सभी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता l

जो जितना मिल जाये उसे चलाना ll

 

तक़दीर में जो है वहीं मिलता हैं तो l

हर हाल में खुश रहने को सिखाना ll

२७-११-२०२३ 

 

लाख तकलीफ हो अधरों पर मुस्कान बनाये रखना l

दिल में हौसलों और उम्मीदों के दीप जलाये 

रखना ll

 

बड़ी चाहत होनी चाहिये जीने की और जीने दो की l

घर आँगन को खुशियो के फूलों से सजाये रखना ll

 

अभिनय के बेताब बादशाह बनकर क़ायनात में आज l

दिल के दर्दों को छुपाकर अश्रुओं को दबाये रखना ll

 

अजीब मुकाम पर खड़ा है काफ़िला ज़िंन्दगी का सखी l

वादा किया है तो निभायेंगे ज़िगर को मनाये रखना ll

 

गहरी अंधेरी रात जैसे आई है यूँही चली भी जायेगी l

तमन्ना ओर ख्वाबों के चरागों को जगाये रखना ll

२८-११-२०२३ 

 

 

बारिश की नन्ही बूंदें मोतियों सी चमकती है l

ज़मीं पर अमृत बन आसमान से टपकती है ll

 

धुँधला सा गुलशन ताजगी है हवाओं में और l

बादलों में कल्पना की दुनिया में टहलती है ll

 

हवाओं के साथ शोर मचाती बेहद खूबसूरत l

वो इठलाती, मचलती,हल्की सी बरसती है ll

 

मन के तारों को छेड़ यादों को ताज़ा करके l

प्यारा मीठी सा गीत गुनगुनाकर बहकती है ll

 

बरसात की बूँदों के संग संगीत सजाती है l

मन को भर उठती खुशियों से गरजती है ll

 

बादलों की छांव में क़ायनात पे मुस्कान सजे l

धरती की गोद में फूलों की महक महकती है ll

२९-११-२०२३ 

 

दर्द का दरिया आंखों से छलक ने लगा है l

यादों की सुनामी आने से बरस ने लगा है ll

 

तेज़ हवाओं के साथ रुख करके जल्द ही l

साहिल से मुलाकात को तड़प ने लगा है ll

 

टूटते रिश्तों को बचाने के लिए आज फ़िर l

एक प्यारी मीठी पूनम को तरस ने लगा है ll

 

बात बात पर रूठना लाजमी तो नहीं कि l

दौर ए जुदाई के बोझ से गरज़ ने लगा है ll

 

दिल में मुहब्बत का अलाव जलाया है तो l

मिलन ने कल्पना मात्र से बहक ने लगा है ll

३०-११-२०२३ 

 

 

दिल के दरिया में जलन बढ़ने लगी है l

गुस्से की हवा से सुनामी चढ़ने लगी है ll