ख्वाहिशो का वास्ता तुमसे ही है l
मुकम्मल मंजिले रास्ता तुमसे ही है ll
तुम्हें महसूस करना ही इश्क़ है सुनो l
जिवन की डगर खास्ता तुमसे ही है ll
रुक गया है सफ़र क्यूँ तुम पर l
इत्तफाक से पास्ता तुमसे ही है ll
पास मेरे अब बचा ही क्या है अब l
जिंदगी की दास्ता तुमसे ही है ll
सब्जी रोटी से रात दिन गुजरते थे l
आज मजेदार नास्ता तुमसे ही है ll
१-११-२०२३
दुनिया मेरा दिवानापन देख दंग रह गई l
सभल सभलकर रहना इशारों में कह गई ll
सारा कारवाँ मैंने सम्भाल रखा है सखी l
आज खुद का अहम खुद ही सह गई ll
उम्र बीत गई एक रुतबा बनाने में और l
सारी पहचान साथ वक्त के बह गई ll
चाहत में खुद को ही बीमार कर बैठे l
अब पसंदगी ना पसंदगी वह गई ll
नादाँ ही थे जो सबपे इतबार किया l
मुकम्मल साजिशों के हाथ लह गई ll
२-११-२०२३
सुनी सुनी सी दास्तान ना दोहराना l
तू सुहानी महफिल में सुरीला गाना ll
यादों का सिलसिला चलता रहता l
कैसा लगता है पागलपन को पाना ll
उम्रभर हस्ते हस्ते साथ चले है तो l
जुदाई के वक्त आंसूओं मत लाना ll
बदल दिया है चाहने वाले ने सखी l
निभाना किसे कहते हैं आज माना ll
कल की बात है कोई हमारा था l
ताउम्र होता रहा है आना जाना ll
३-११-२०२३
है आखरी सफ़र थोड़ी देर साथ चलो l
कुछ हमारी सुनो कुछ तो अपनी कहो ll
तम्मनाएँ जिंदगी की इतनी रह गई है l
साथ तुम्हारा हो जिंदगी खत्म न हो ll
ताउम्र बहुत कुछ खोया हुआ है सखी l
तो आखरी पड़ाव पर सामने ही रहो ll
तुम्हें चाहने की आदत नहीं बदली l
जैसे है और जो भी है वैसे ही सहो ll
किसे आवाज़ दूँ में तुम्हारें सिवाय l
मेरे जुनून ए अह्सास के साथ बहो ll
४-११-२०२३
जिंदगी की शाम होने वाली है l
सोनेरी उजालें खोने वाली है ll
थकावट के मारे गहरी नीद में l
क़ायनात भी सोने वाली है ll
फ़िर नई उम्मीदों के साथ l
सुनहरा कल बोने वाली है ll
हारने का खौफ छोड़कर l
हौसला देख रोने वाली है ll
जोरदार खैरकदम हुआ है l
जो पश्चिम में कोने वाली है ll
५-११-२०२३
रिश्तों की सजावट में जीवन बीत गया l
आख़िर कार प्यार की बाजी जीत गया ll
बड़ी आरज़ू थी जी भरके मुलाकात की l
बिना जज्बातों को समझे मनमीत गया ll
महेरबान होकर अनगिनत ग़म देकर वों l
दर्दे दिल की दास्तान सुनाकर गीत गया ll
नाम सुनते ही होठों पे मुस्कान आती है l
जिंदगी में ज़िन्दगी नहीं ग़र प्रीत गया ll
मन की ख्वाहिशो को जानने ओ समझने l
सखी दिल से होकर रूह में भीत गया ll
६-११-२०२३
दीया और बाती की तरह है रिश्ता हमारा l
ख़ुशीयों से जीने की वजह है रिश्ता हमारा ll
दिल करता है समझे संभाले ओ गले लगाले l
देखो जन्मोजन्म की तड़प है रिश्ता हमारा ll
जिंदगी बदल जाती है मिले न मिले तब भी l
सुनो न बुझने वाली तरस है रिश्ता हमारा ll
नजरों से कत्लेआम हो गये कभी के सखी l
धड़कनों से जुड़ा हुआ बरस है रिश्ता हमारा l
दिल के आशियाने में हमेशा ठहराव तुम्हारा l
बेजोड़ और बेनाम ग़ज़ब है रिश्ता हमारा ll
७-११-२०२३
चिनगारी के साथ साथ बहुत शोर मचाएं l
रोशनी के लिए पटाखे नहीं दिये जलाएं ll
शुभ मंगल आगाज करे आओ साथ मिल l
स्वच्छ ओ सरलता से दिवाली मनाएं ll
मुस्कराती झड़ी की बारिस हो आसमाँ से l
फूल और रंगोली से घर आँगन सजाएं ll
जरूरतमंद के जीवन में रोशनी करके l
खुशी की फूलझड़ियाँ के पटाखे बनाएं ll
हर किसीके संग सुमधुर बातचीत से सखी l
प्रेम ममता करुणा दया का तोरण लगाएं ll
८-११-२०२३
जाम पीकर होश ना खो देना तुम l
याद पीकर होश ना खो देना तुम ll
जानेमन की जुदाई में संग चाँदनी l
रात पीकर होश ना खो देना तुम ll
जज्बात में अपने आप से की हुई l
बात पीकर होश ना खो देना तुम ll
जानबूझ कर अपनों से खाई हुई l
मात पीकर होश ना खो देना तुम ll
मिलने की उम्मीद है कि ख्यालों में l
साथ पीकर होश ना खो देना तुम ll
९-११-२०२३
रिश्तों की डोर कसके पकड़े रखना l
प्यार ओ सहिष्णुता से जकड़े रखना ll
हौसलों की उड़ान ऊँचे से ऊंची हो l
ख्यालों में हमेंशा बड़े सपनें रखना ll
गर जितनी हो सारी क़ायनात को l
सखी साथ सदा ही अपने रखना ll
सुनो इश्क़ जताएं बिना निभाओ l
दिल का गुलशन महकाये रखना ll
गुफ़्तगू ख़ामोशियों से करते रहना l
और तन्हाइयों को बहकाये रखना ll
१०-११-२०२३
निगोड़ी यादें बहुत शोर करती है l
रोज़ चैन ओ सुकून को हरती है ll
साँस लेकर जीना जिंदगी नहीं है l
बारहा ठंडी ठंडी आहें भरती है ll
जीवन का कोई मतलब तो हो l
सुबह शाम हर लम्हा मरती है ll
जज़्बातों से खेलने वालों से तो l
चाहत के इज़हार से डरती है ll
हमदर्द कभी हमराह नहीं होते l
सहरा की रेत जैसे सरती है ll
११-११-२०२३
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह
बेरूखी से पत्थर बन जाता है चाहनेवाला l
एहसासे जज़्बातमें जम जाता है चाहनेवाला ll
यादों की झलक दिल के बहुत पास है कि l
जहां था वहां पर थम जाता है चाहनेवाला ll
हमेशा से आदत है मुस्कराने की जो भी हो l
राह ए मुहब्बत में नम जाता है चाहनेवाला ll
सृष्टि की सबसे नायाब चीज़ इनायत की है l
हुश्न की खुशी को रम जाता है चाहनेवाला ll
जिसे पा भी ना सके और खो भी ना सके l
दूर से ही देखकर जल जाता है चाहनेवाला ll
१२-११-२०२३
आज के आज मर जाऊँ कोई फ़र्क नहीं पड़ने वाला l
ऊपर भी चैन ना पाऊँ कोई फ़र्क नहीं पड़ने वाला ll
आवाज़ की दुनिया की रानी थी कभी देखो आज l
आखरी गीत सुगाऊँ कोई फ़र्क नहीं पड़ने वाला ll
दिल की क़ायनात को आबाद करने के लिये आज l
चाँद सितारे तोड़ लाऊँ कोई फ़र्क नहीं पड़ने वाला ll
ताकि जीगर का बोझ जरा सा हल्का हो ही जाए l
सखी हाल ए दिल बताऊँ कोई फ़र्क नहीं पड़ने वाला ll
आखरी वक्त कोई भी गिला शिकवा बाकी ही ना रहे l
कसमें खाकर मनाऊँ कोई फ़र्क नहीं पड़ने वाला ll
१२-११-२०२३
जुस्तजू जिसकी है उसे पा ना सकेंगे कभी भी l
रोके से भी अब ना वो यहाँ रुकेंगे कभी भी ll
रूहको सुकून मिले इस लिये सब कुछ किया l
बहुत झुके प्यार में अब ना झुकेंगे कभी भी ll
हसरतों के दिये से उजाला करना चाहते हैं l
दिलों जान लुटाकर कहो तो मिटेगें कभी भी ll
प्यार में खूबसूरत एहसास के लिए सुनो l
राहें इश्क़ में दिल की दौलत लुटेगे कभी भी ll
अनगिनत चिट्ठियां बिना पढ़े रख छोड़ी है l
सखी दास्तान ए जिंदगी को लिखेंगे कभी भी ll
१३-११-२०२३
यार दोस्तों से भरी महफ़िल में हम ना होगे l
दुआ यहीं है फ़िर भी उजाले कम ना होगे ll
मक्कार भी नहीं अदाकार भी नहीं इंसान हूँ l
जुदाई में कभी नजरों के कोने नम ना होगे ll
हौसलों की तादाद बढ़ा दो क्यूँकी सखी l
कई दर्दों के क़ायनात में मरहम ना होगे ll
सिर्फ तुम मुहब्बत, जिंदगी, आशिकी हो l
तुम्हारी मर्जी है तो यहां से पैहम ना होगे ll
हम दोनों की मन की शांति ही जरूरी है l
शराफत देखो पलकों पर शबनम ना होगे ll
अब ना हो सकेगी ज़माने की बंदगी सुनो l
जिंदगी के बाकी दिन रात बरहम ना होगे ll
१४-११-२०२३
आयत की तरह मिल जाए कहीं l
ताबीज़ की तरह मिल जाए कहीं ll
इंतज़ार से किसका भला हुआ है l
आशीष की तरह मिल जाए कहीं ll
मिजाज कुछ एसा बना लिया है कि l
ख्वाईश की तरह मिल जाए कहीं ll
अब आधे अधूरे जीकर क्या करेगे l
साहिब की तरह मिल जाए कहीं ll
किसीने जो भी कहा मुस्करा दिये l
जानिब की तरह मिल जाए कहीं ll
१५-११-२०२३
तन्हाइयों में सब्र करना सीख लो l
ख़ामोशियों की कद्र करना सीख लो ll