में और मेरे अहसास - 90 Darshita Babubhai Shah द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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में और मेरे अहसास - 90

ख्वाहिशो का वास्ता तुमसे ही है l

मुकम्मल मंजिले रास्ता तुमसे ही है ll

 

तुम्हें महसूस करना ही इश्क़ है सुनो l

जिवन की डगर खास्ता तुमसे ही है ll

 

रुक गया है सफ़र क्यूँ तुम पर l

इत्तफाक से पास्ता तुमसे ही है ll

 

पास मेरे अब बचा ही क्या है अब l

जिंदगी की दास्ता तुमसे ही है ll

 

सब्जी रोटी से रात दिन गुजरते थे l

आज मजेदार नास्ता तुमसे ही है ll

१-११-२०२३ 

 

दुनिया मेरा दिवानापन देख दंग रह गई l

सभल सभलकर रहना इशारों में कह गई ll

 

सारा कारवाँ मैंने सम्भाल रखा है सखी l

आज खुद का अहम खुद ही सह गई ll

 

उम्र बीत गई एक रुतबा बनाने में और l

सारी पहचान साथ वक्त के बह गई ll

 

चाहत में खुद को ही बीमार कर बैठे l

अब पसंदगी ना पसंदगी वह गई ll

 

नादाँ ही थे जो सबपे इतबार किया l

मुकम्मल साजिशों के हाथ लह गई ll

२-११-२०२३ 

 

सुनी सुनी सी दास्तान ना दोहराना l

तू सुहानी महफिल में सुरीला गाना ll

 

यादों का सिलसिला चलता रहता l

कैसा लगता है पागलपन को पाना ll

 

उम्रभर हस्ते हस्ते साथ चले है तो l

जुदाई के वक्त आंसूओं मत लाना ll

 

बदल दिया है चाहने वाले ने सखी l

निभाना किसे कहते हैं आज माना ll

 

कल की बात है कोई हमारा था l

ताउम्र होता रहा है आना जाना ll

३-११-२०२३ 

 

है आखरी सफ़र थोड़ी देर साथ चलो l

कुछ हमारी सुनो कुछ तो अपनी कहो ll

 

तम्मनाएँ जिंदगी की इतनी रह गई है l

साथ तुम्हारा हो जिंदगी खत्म न हो ll 

 

ताउम्र बहुत कुछ खोया हुआ है सखी l

तो आखरी पड़ाव पर सामने ही रहो ll

 

तुम्हें चाहने की आदत नहीं बदली l

जैसे है और जो भी है वैसे ही सहो ll

 

किसे आवाज़ दूँ में तुम्हारें सिवाय l

मेरे जुनून ए अह्सास के साथ बहो ll

४-११-२०२३ 

 

जिंदगी की शाम होने वाली है l

सोनेरी उजालें खोने वाली है ll

 

थकावट के मारे गहरी नीद में l

क़ायनात भी सोने वाली है ll

 

फ़िर नई उम्मीदों के साथ l

सुनहरा कल बोने वाली है ll

 

हारने का खौफ छोड़कर l

हौसला देख रोने वाली है ll

 

जोरदार खैरकदम हुआ है l

जो पश्चिम में कोने वाली है ll

५-११-२०२३ 

 

रिश्तों की सजावट में जीवन बीत गया l

आख़िर कार प्यार की बाजी जीत गया ll

 

बड़ी आरज़ू थी जी भरके मुलाकात की l

बिना जज्बातों को समझे मनमीत गया ll

 

महेरबान होकर अनगिनत ग़म देकर वों l

दर्दे दिल की दास्तान सुनाकर गीत गया ll

 

नाम सुनते ही होठों पे मुस्कान आती है l

जिंदगी में ज़िन्दगी नहीं ग़र प्रीत गया ll

 

मन की ख्वाहिशो को जानने ओ समझने l

सखी दिल से होकर रूह में भीत गया ll

६-११-२०२३ 

 

दीया और बाती की तरह है रिश्ता हमारा l

ख़ुशीयों से जीने की वजह है रिश्ता हमारा ll

 

दिल करता है समझे संभाले ओ गले लगाले l

देखो जन्मोजन्म की तड़प है रिश्ता हमारा ll

 

जिंदगी बदल जाती है मिले न मिले तब भी l

सुनो न बुझने वाली तरस है रिश्ता हमारा ll

 

नजरों से कत्लेआम हो गये कभी के सखी l

धड़कनों से जुड़ा हुआ बरस है रिश्ता हमारा l

 

दिल के आशियाने में हमेशा ठहराव तुम्हारा l

बेजोड़ और बेनाम ग़ज़ब है रिश्ता हमारा ll

७-११-२०२३ 

 

 

चिनगारी के साथ साथ बहुत शोर मचाएं l

रोशनी के लिए पटाखे नहीं दिये जलाएं ll

 

शुभ मंगल आगाज करे आओ साथ मिल l

स्वच्छ ओ सरलता से दिवाली मनाएं ll

 

मुस्कराती झड़ी की बारिस हो आसमाँ से l

फूल और रंगोली से घर आँगन सजाएं ll

 

जरूरतमंद के जीवन में रोशनी करके l

खुशी की फूलझड़ियाँ के पटाखे बनाएं ll

 

हर किसीके संग सुमधुर बातचीत से सखी l

प्रेम ममता करुणा दया का तोरण लगाएं ll

८-११-२०२३ 

 

जाम पीकर होश ना खो देना तुम l

याद पीकर होश ना खो देना तुम ll 

 

जानेमन की जुदाई में संग चाँदनी l

रात पीकर होश ना खो देना तुम ll

 

जज्बात में अपने आप से की हुई l

बात पीकर होश ना खो देना तुम ll

 

जानबूझ कर अपनों से खाई हुई l

मात पीकर होश ना खो देना तुम ll

 

मिलने की उम्मीद है कि ख्यालों में l

साथ पीकर होश ना खो देना तुम ll

९-११-२०२३ 

 

रिश्तों की डोर कसके पकड़े रखना l

प्यार ओ सहिष्णुता से जकड़े रखना ll

 

हौसलों की उड़ान ऊँचे से ऊंची हो l

ख्यालों में हमेंशा बड़े सपनें रखना ll

 

गर जितनी हो सारी क़ायनात को l

सखी साथ सदा ही अपने रखना ll

 

सुनो इश्क़ जताएं बिना निभाओ l

दिल का गुलशन महकाये रखना ll

 

गुफ़्तगू ख़ामोशियों से करते रहना l

और तन्हाइयों को बहकाये रखना ll

१०-११-२०२३ 

 

निगोड़ी यादें बहुत शोर करती है l

रोज़ चैन ओ सुकून को हरती है ll

 

साँस लेकर जीना जिंदगी नहीं है l

बारहा ठंडी ठंडी आहें भरती है ll

 

जीवन का कोई मतलब तो हो l

सुबह शाम हर लम्हा मरती है ll

 

जज़्बातों से खेलने वालों से तो l

चाहत के इज़हार से डरती है ll

 

हमदर्द कभी हमराह नहीं होते l

सहरा की रेत जैसे सरती है ll

११-११-२०२३ 

सखी

दर्शिता बाबूभाई शाह

 

 

बेरूखी से पत्थर बन जाता है चाहनेवाला l

एहसासे जज़्बातमें जम जाता है चाहनेवाला ll

 

यादों की झलक दिल के बहुत पास है कि l

जहां था वहां पर थम जाता है चाहनेवाला ll

 

हमेशा से आदत है मुस्कराने की जो भी हो l

राह ए मुहब्बत में नम जाता है चाहनेवाला ll

 

सृष्टि की सबसे नायाब चीज़ इनायत की है l

हुश्न की खुशी को रम जाता है चाहनेवाला ll

 

जिसे पा भी ना सके और खो भी ना सके l

दूर से ही देखकर जल जाता है चाहनेवाला ll

१२-११-२०२३ 

 

आज के आज मर जाऊँ कोई फ़र्क नहीं पड़ने वाला l

ऊपर भी चैन ना पाऊँ कोई फ़र्क नहीं पड़ने वाला ll

 

आवाज़ की दुनिया की रानी थी कभी देखो आज l

आखरी गीत सुगाऊँ  कोई फ़र्क नहीं पड़ने वाला ll

 

 

दिल की क़ायनात को आबाद करने के लिये आज l

चाँद सितारे तोड़ लाऊँ कोई फ़र्क नहीं पड़ने वाला ll

 

ताकि जीगर का बोझ जरा सा हल्का हो ही जाए l

सखी हाल ए दिल बताऊँ कोई फ़र्क नहीं पड़ने वाला ll 

 

आखरी वक्त कोई भी गिला शिकवा बाकी ही ना रहे l

कसमें खाकर मनाऊँ कोई फ़र्क नहीं पड़ने वाला ll

१२-११-२०२३ 

 

जुस्तजू जिसकी है उसे पा ना सकेंगे कभी भी l

रोके से भी अब ना वो यहाँ रुकेंगे कभी भी ll

 

रूहको सुकून मिले इस लिये सब कुछ किया l

बहुत झुके प्यार में अब ना झुकेंगे कभी भी ll

 

हसरतों के दिये से उजाला करना चाहते हैं l

दिलों जान लुटाकर कहो तो मिटेगें कभी भी ll

 

प्यार में खूबसूरत एहसास के लिए सुनो l

राहें इश्क़ में दिल की दौलत लुटेगे कभी भी ll

 

अनगिनत चिट्ठियां बिना पढ़े रख छोड़ी है l

सखी दास्तान ए जिंदगी को लिखेंगे कभी भी ll

१३-११-२०२३ 

 

यार दोस्तों से भरी महफ़िल में हम ना होगे l

दुआ यहीं है फ़िर भी उजाले कम ना होगे ll

 

मक्कार भी नहीं अदाकार भी नहीं इंसान हूँ l

जुदाई में कभी नजरों के कोने नम ना होगे ll

 

हौसलों की तादाद बढ़ा दो क्यूँकी सखी l

कई दर्दों के क़ायनात में मरहम ना होगे ll

 

सिर्फ तुम मुहब्बत, जिंदगी, आशिकी हो l

तुम्हारी मर्जी है तो यहां से पैहम ना होगे ll

 

हम दोनों की मन की शांति ही जरूरी है l

शराफत देखो पलकों पर शबनम ना होगे ll

 

अब ना हो सकेगी ज़माने की बंदगी सुनो l

जिंदगी के बाकी दिन रात बरहम ना होगे ll

१४-११-२०२३ 

 

आयत की तरह मिल जाए कहीं l

ताबीज़ की तरह मिल जाए कहीं ll

 

इंतज़ार से किसका भला हुआ है l

आशीष की तरह मिल जाए कहीं ll

 

मिजाज कुछ एसा बना लिया है कि l

ख्वाईश की तरह मिल जाए कहीं ll 

 

अब आधे अधूरे जीकर क्या करेगे l

साहिब की तरह मिल जाए कहीं ll

 

किसीने जो भी कहा मुस्करा दिये l

जानिब की तरह मिल जाए कहीं ll

१५-११-२०२३ 

 

तन्हाइयों में सब्र करना सीख लो l

ख़ामोशियों की कद्र करना सीख लो ll