पिता जी Suresh Chaudhary द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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पिता जी

,, ए रवि,,,। मॉल में से निकलते हुऐ प्रकाश को अचानक मॉल के बाहर ही रवि दिखाई दिया। आवाज सुनकर रवि ने भी आवाज की दिशा में देखा, सामने प्रकाश को देख रवि के चेहरे पर एक मुस्कान उभर आई। तब तक प्रकाश हाथ में दो बैग लिए हुऐ रवि के ठीक सामने आ गया।
,, ए प्रकाश, कहां है तू,,,। रवि ने चहकते हुए कहा
,, यार बहुत दिनों बाद मिले हैं, चल कहीं बैठते हैं,,,।
,, ठीक है चल मॉल में ही कॉफी हाउस में बैठते हैं,,। और दोनों दोस्त काफ़ी हाऊस में आ कर कोने की टेबल पर बैठ गए। बैठने के साथ ही प्रकाश ने दो कॉफी विद स्नैक्स का ऑर्डर कर दिया।
,,, यार रवि कहां पहली क्लास से गृजवेशन तक का साथ और कहां आज वर्षों बाद मिलना,,,।
,,, क्या बताऊं यार, खैर छोड़ अपने बारे में बता,,,।
,, अपना क्या है यार जिन्दगी मजे से कट रही है,,, कॉलेज छोड़ते ही मधु से शादी, और फिर दो बच्चे, और बिज़नेस टाईम ही नहीं मिलता यार,,।
,,, अंकल आंटी है या,,।
,,, नही है ना, दोनों है,,, बस एक बात हो गई थी, उसके बाद मै दोनों को ओल्ड एज होम में छोड़ आया था,,,।
,,, ए प्रकाश तू वही प्रकाश है ना, जो बिना आंटी के खाना नही खाया करता था,,,।
,,, छोड़ रवि उन सब बातों को, मधु के साथ रोज रोज की चिक चिक, अब वें वहां मजे से है, बीस हजार रूपए महीना देता हूं वहां,,।
,,, लेकिन प्रकाश वें माता पिता है तेरे,,,।
,,, अरे कहां उन्नीसवीं सदी की बात लेकर बैठ गया, मेरे दोस्त आज हम इक्कीसवीं सदी में जी रहे हैं,, वें अपनी ज़िंदगी जी रहे हैं और हम अपनी,,,।
,, अंकल आंटी ठीक तो हैं,,।
,, हां ठीक ही होंगे, लास्ट ईयर गया था, जब पापा का जन्मदिन था, और आज फिर जा रहा हूं उनके पास, देख यह दो जोड़ी कपड़े लेकर, और इस उम्र में क्या चाहिएं उन्हें,,,। अपने सीने को थोड़ा ज्यादा चौड़ा करके कहा प्रकाश ने,
,,, शायद तुम ठीक कह रहे हो प्रकाश,,,।
,,मै तो हमेशा ठीक ही कहता हूं रवि,, अब देख मैने अपने दोनों बच्चों के लिए इतना जोड़ दिया कि उनको ज़िंदगी भर के लिए बहुत है,,,।
,, क्या अंकल आंटी ने तुम्हारी परवरिश में कोइ कमी,,,।
,, तेरी सुईं फिर से वहीं पर अटक गई,, अरे यार वो उनका फर्ज बनता था, कोइ अहसान नहीं किया और फिर उस अहसान का बदला चुका रहा हूं मै बीस हजार रूपए प्रति महीना दे कर, और वैसे भी इस उम्र में उनकी आवश्यकता क्या है, भर पेट खाना मिल जाता है उन्हे, साल भर में दो जोड़ी कपड़े,,।
,,, वाकई बहुत बडा बिज़नेस मेन हो गया तू,,,।
,,, प्यारे यह दुनियां इसी तरह से चलती है, समझे,,,।
,, अच्छा दोस्त,,। चेयर से खड़े होते हुए कहा रवि ने।
,, अरे तूने अपने बारे में कुछ बताया नहि,,,।
,,, मेरा क्या,, सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक की नौकरी,,,।
,,, पत्नि बच्चे,,,।
,,, एक लड़का है पत्नि है और पिता जी है,,,।
,, पिता जी तेरे पास ही रहते होंगे,,,।
,,मै। अभी इतना बडा नहीं हुआ कि मेरे पिता जी मेरे पास रहेंगे,मै और मेरी पत्नी, मेरा बेटा मेरे पिता जी के पास रहते हैं,,,। कहने के साथ ही रवि कॉफी हाउस से बाहर निकल गया। रवि के शब्दों से प्रकाश जैसे जड़वत हों गया।