हार या जीत Suresh Chaudhary द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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हार या जीत

कोर्ट का आदेश आने के साथ ही माधुरी के चेहरे पर विजयी मुस्कान लहराने लगी, मानव की ओर घृणा भरी नजरों से देखा, गर्दन सीधी हो गई, दोनों कंधे अकड़ के कारण सीधे तन गए। लेकिन मानव हारे हुए जुआरी की भांति थके हुए कदमों को जबरदस्ती समेटता हुआ धीरे धीरे कोर्ट रूम से बाहर निकल गया और एक आटो रिक्शा में।,,, बैठ कर चला गया।
,, मम्मा क्यों न सामने वाले रेस्टोरेंट में चल कर जश्न मनाया जाएं,,,।
,, हां जीत का जश्न तो होना ही चाहिए,,,। मम्मा के कुछ कहने से पहले ही माधुरी के इकलौते भाई ने कहा, और तीनों सड़क के दूसरी ओर रेस्टोरेंट में चले गए।
फ्लैट पर आने के साथ ही मानव बेड पर औंधे मुंह लेट गया, आंखों में आसूं आ गए। धीरे धीरे दिल का उजाला कब अंधेरे में तब्दील हो गया, पता ही नहीं चला।
,, ट्रिन ट्रिन ट्रिन ट्रिन,,,। दूसरी बार मोबाईल की रिंग बजी तब मानव का ध्यान रिंग की ओर गया, अपने आपको संभालने का प्रयास करते हुए मानव ने मोबाईल ऑन किया ।
,, हां मां,,।
,, बेटे कहां है तू,,,।
,, अभी घर आया हूं मां,,,।
,, ठिक है बेटे, लेकिन तेरी आवाज को क्या हुआ,,,।
,, मैं ठिक तो हूं,,।
,, नही तू ठिक नही है, ऐसा लगता है कि जैसे तू अभी तक रो रहा था,,,। मां के शब्दों में चिंता उभर आई
,, नही मां, मैं ठीक हूं, बस वैसे ही थोड़ा थक गया हूं, आज ऑफिस में काम थोड़ा ज्यादा था,,,। मानव ने बात को टालते हुए कहा।
,, नही बेटे, तू बता या न बता, पर मुझे लगता है कि तू बहुत परेशान हैं,,।
,, नही मां, तू बेकार की चिंता कर रही है, मैं ठीक हूं,,।
,, अच्छा जरा बहु से तो बात करा,,।
,, वो जरा अपने घर तक गई है, जब आ जायेगी, मैं बात करा दूंगा,,।
,, बेटे, तू ही बता दे, बात क्या है,,। मां ने बैचेन होते हुए पुछा
,, मां जब कोई बात है ही नहीं, फिर क्या बताऊं,,।
,, ठीक है बेटे, जब बहु आ जाएं तब मेरी बात करा देना,,।
,, ठीक है मां,,,। और मानव ने कॉल को कट कर दिया। पूरे घर में अंधेरा हो गया, चाह कर भी लाईट ऑन नही की।
, तभी मैन गेट पर आहट हुई। न चाहते हुए भी मानव ने उठ कर गेट खोला, सामने ही माधुरी को देख कर थोड़ा असहज हो गया, सीढ़ियों की लाईट ऑन होने के कारण माधुरी को देखने में कोई दिक्कत नहीं हुई।
,, मैं यहां से अपना सामान लेने आई हूं,,। नफरत भरे अंदाज में कहा माधुरी ने, मानव को कोई आश्चर्य नहीं हुआ, शादी के बाद से कभी माधुरी की आवाज में प्यार दिखाई ही नहीं दीया। मानव चुपचाप गेट से हट गया। माधुरी ने मेनहाल की लाईट ऑन की और सीधे अपने रूम में चली गई। मानव चुपचाप सोफे पर बैठे गया।
लगभग पच्चीस मिनट बाद दो बड़े बड़े सूटकेस ले कर माधुरी मेनहाल में आ गई।
,, बीस लाख रुपए कब दे रहे हो,,। माधुरी ने मानव की ओर बिना देखें पुछा।
,, मैं कल यह फ्लैट तुम्हारे नाम कर दूंगा,,। यह सुन कर माधुरी ने आश्चर्य भरी नजरों से मानव की ओर देखा।
,, फिर तुम कहां,,।
,, जहां मेरी तकदीर ले जायेगी, जानें से पहले एक अहसान कर सकोगी क्या,,।
,, क्या,,,।
,, अभी थोड़ी देर पहले मेरी मां का फोन आया था, एक बार बस एक बार मेरी मां से बात कर लो,,।
,, तुम्हारी मां, माई फुट,,।
,, बस आखरी बार,,।
,, तुमने अपनी मां को बता दिया तलाक के बारे में,,।
,, नही,,।
,, बताना तो है ही,,।
,, शायद,,।
,, ठीक है मैं ही बता देती हूं, लाओ अपना मोबाइल,,,।
,, प्लीज माधुरी मेरी मां को मत बताना, सुन कर जी नही पाएगी,,,। निवेदन करते हुए मानव ने कहा।
,, फिर मैं नही करती फ़ोन,,।
,, जैसी तुम्हारी मर्जी,,। थके हुए शब्दों में मानव
,, अपनी दवाई टाईम पर लेते रहना,,। मानव ने आगे की ओर बढ़ती हुई माधुरी से कहा, यह सुनकर एकाएक रुक गई माधुरी
,, तुम भी और हां तुम्हारा कोलेस्ट्रॉल भी बढ़ा हुआ है, चिकनाई युक्त भोजन नही खाना,। कहती हुई माधुरी फ्लैट के बाहरी गेट पर आ गई।
,, माधुरी क्या जाना जरूरी है,,। भीगी हुई आवाज में कहा मानव ने।
,, जाना जरूरी न होता तो मैं तलाक ही क्यों,,,।
,, सोच लो, माधुरी मैं कल यह तेरा शहर छोड़ कर चला जाऊंगा,,,।
,, कहां,,।
,, पता नहीं,,। अचानक से माधुरी को क्या हुआ, गेट से हट कर दौड़ते हुए मानव के पास आई और मानव को अपनी बाहों में भर लिया।
,, मानव मैं नही रह सकती तुम्हारे बिना,,। कहते कहते आवाज आंसुओं से भीग गई।