प्यार भरा ज़हर - 21 Deeksha Vohra द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्यार भरा ज़हर - 21

 एपिसोड 21 ( नकाब पोश का हमला ! )

राघव :: "नहीं , ऐसा नहीं हो सकता |" 

राघव जल्दी से उस लड़की के पास गया | ओर जैसे जी राघव ने उस लड़की का चेहरा देखा, राघव का दिल मानो हजार टुकड़ों में टूट गया था | काश्वी की हालत बहुत ज्यादा खराब हो चुकी थी | होंठ पूरी तरह नीले पद चुके थे | चेहरे का रंग उड़ चूका था | राघव बोला | 

राघव :: "काश्वी ..." रोनित ओर विजय दोनों अंदर आते हैं , ओर जैसे ही वो दोनों काश्वी को देखते हैं , उन दोनों के होश उड़ जाते हैं | काश्वी की हालत बहुत ही ज्यादा खराब हो चुकी थी | राघव ने अपने कांपते हातों से , काश्वी की नाक के सामने अपनी हाथ किये | 

जैसे ही राघव को काश्वी की सान्सेस महसूस  हुईं , राघव की आँखों से आंसू झलक आए | राघव ने जल्दी से काश्वी को गोद में उठाया ओर घर की ओर निकल गया | विजय भी राघव ओर रोनित के सात्ढ़ जाना चाहता था , लेकिन , बहुत ज्यादा रात हो चुकी थी | 

राघव जल्दी से गाड़ी में बैठा , ओर रोनित ने ड्राइविंग शुरू कर दी | ओर दोनों जल्दी से घर की ओर निकल गये | राघव रोनित से गाड़ी में बोला | 

राघव :: "छोटे , टेम्परेचर ज्यादा कर |"

रोनित ने जल्दी से गाड़ी का तापमान बढ़ा दिया | ओर पूरे रास्ते राघव काश्वी के हाथ पैर रब करता रहा | जब तक सब घर पहुंचते हैं , काश्वी के चेहरे का रंग हल्का लाल हो चूका था | अब काश्वी को देखकर कोई ये नहीं कह सकता था , की काश्वी कुछ देर पहले ज़िन्दगी ओर मौत से लड़ रही थी | 

हाँ मौत से भी , क्यूंकि अगर राघव कुछ देर ओर लेट आता , तो शायद उसे काश्वी ज़िंदा नहीं मिलती | पूरे रास्ते भर राघव के दिमाग में यही सब चल रहा था | जैसे ही ये ख्याल राघव के दिमाग में बार बार आ रहा था , उसकी रूह अंदर तक कांप जा रही थी | राघव अपनी लाइफ काश्वी के बिना अब तो सोच भी नहीं सकता था | 

काश्वी के मुरझाए हुए चेहरे को देखकर , राघव को काश्वी का वो हस्त खेलता चेहरा याद आ रहा था | जैसे ही सब घर पहुंचते हैं , रंजना जी राजीव जी दोनों दरवाज़े पर इंतज़ार कर रहे होते हैं | 

राजन जी ने जैसे की काश्वी को देखा , तो उनकी उनकी जान में मानो जान आई हो | राघव जल्दी से काश्वी कक्को रूम की ओर ले जाने लगता है | तो रंजना जी राघव को रोकते हुए कहती हैं | 

रंजना जी : "बेटा डॉक्टर को बुला लेते हैं |"

राघव ओर राजीव जी कुछ सोचते हैं | फिर एक दुसरे से इशारों में बातें करते हैं , जिसके बाद  राघव कहता है | 

राघव :: "नहीं माँ , काश्वी ठीक हो जाएगी | बस थोड़े आराम की जरूरत है |" ओर जल्दी से बिना रंजना जी की बात सुने , राघव काश्वी को अपनी गोद में उठाए रूम में ले जाता है | रंजना जी शिकायती लहजे में राजीव से कहती हैं | 

रंजना जी :: "देखा अपने बेटे को | जैसे मैंने कुछ गलत बोल दिया |" तो राजीव जी रंजना जी को दिलासा दिलाते हुए ,  कहते हैं | 

राजीव जी ::"चिंता मत करो रंजना , रघु है न , कुछ होगा तो बता देगा | अभी तुम भी चलो | वरना बीमार हो जयोगी |"

राघव जैसे जैसे कमरे के नजदीक पहुंच रहा था , उसे नशा हिट कर रहा था | पर खुद को होश में रखने की राघव पूरी कोशिश कर रहा था | राघव रूम का डोर खोलता है , ओर अंदर जाकर काश्वी को बिस्तर पर लेता देता है | ओर काश्वी को कम्बल से ढक देता है | 

काश्वी बेहोशी हालत में राघव को अपने करीब खींच लेती है | जिससे राघव सीधा काश्वी के उपर जाकर गिरता है | दोद्नो के चेहरे बहुत नजदीक होने की वजह से , राघव को काश्वी की साँसें महसूस हो रहें थी | जिससे राघव मदहोश हो रहा था | अचानक से काश्वी राघव को गले लगा लेती है | 

जिससे राघव के पूरे शरीर में खलबली मच जाती है | नशे में होने के कारण , राघव अपना आप भी खोने की कगार में था | लेकिन राघव कुछ ऐसा नहीं करना चाहता था , जिससे उसके ओर काश्वी में दूरियां आएं | राघव ने जल्दी से खुद को काश्वी की पकड़ से दूर किया | ओर ठन्डे पानी का शार लेने , बाथरूम में चला गया | कुछ देर बाद , जब राघव वापिस आता है | तो काश्वी ठंड से कांप रही थी | 

राघव काश्वी के पास बैठता है , ओर उसके हाथ पैर फिर से रब करने लगता है | पूरी रात यूँ ही , काश्वी के पास बैठे ही राघव को कब नींद आ गई , उसे पता ही नहीं चला | 

सुबह की तेज़ दूप की रौशनी से काश्वी की आँख खुलती है | बदन में दर्द की वजह से काश्वी को हिलने में भी बहुत परिशानी हो रही थी | पलकें जैसे तैसे खोलने के बाद , सबसे पहले काश्वी को राघव का मासूम चेहरा ही दिखाई दिया | सोता हुआ राघव किसी बच्चे से कम नहीं था | साफ़ चेहरा , लम्बी पलकें , पतले होंठ , ये ख्याल मन में आते ही , काश्वी ने मन ही मन खुद को दंत | 

काश्वी : "ये क्या कर रही है काश्वी , क्या आलतू फालतू चीजें सोच रही है तू ? ये राघव हैं , राघव ..." फिर मानो काश्वी को याद आया हो | वो खुद से धीरे से बोली | 

काश्वी :: "लेकिन राघव यहाँ ..." काश्वी अपने आसपास देखती है | तो उसने जो कल रात  कपडे पहने थे , अभी वो कपडे नहीं थे |धीरे धीरे काश्वी को सब याद आने लगा | की कैसे एक नकाब पोश ने काश्वी को आइस रूम में धक्का दिया था | काश्वी अपनी ड्रेस धोने के बाद , जैसे ही वापिस आने को हुई थी , किसी नकाब पोश ने उसे आइस रूम में धक्का दे दिया था | ओर रूम बाहर से बंद कर दिया था | 

काश्वी ने खुद को छुडवाने की बहुत कोशिश की थी , लेकिन उसकी ताकत उस नकाब पोच की ताकत के आगे कुछ भी नहीं थी | ओर धीरे धीरे ठंड के कारन , काश्वी कमज़ोर पड़ती आगी | ओर फिर क्या हुआ , काश्वी को कुछ भी याद नहीं था | काश्वी को समझ में नहीं आ रहा था , की आखिर वो नकाब पोच इंसान था कौन | अभी काश्वी यही सब सोच रही थी , की राघव की नींद टूट जाती है | 

राघव जैसे ही अपनी आँखें खोलता है | उसे काश्वी का चेहरा दिखाई देता है | काश्वी कुछ सोच रही थी | राघव जल्दी से उठता है  , रो काश्वी से पूछता है |

राघव :: "अब तुम कैसा फील कर रही हो ?" काश्वी राघव की ओर देखती है | ओर धीरे से बोलती है | 

काश्वी :: मैं ठीक हूँ | पर वो इन्सांन ?"

राघव को समझ नहीं आ रहा था , की काश्वी क्या बात कर रही थी | 

आखिर कौन था वो नकाब पोश , जिसने काश्वी को मारने की कोशिश की ? ओर क्यों  वो काश्वी वो मरना चाहता था ? क्या काश्वी राघव को सब बताएगी ? ओर क्या दोनों मिलकर उस नकाबपोश का पर्दा फाश कर पाएंगे ? 

जानने के लिए बने रहिये मेरे साथ |