Pyar bhara Zehar - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

प्यार भरा ज़हर - 2

एपिसोड 2 ( अलग सा एहसास ! )

राघव जब कॉलेज पहुंचा , तो सब लड़कियां सिर्फ उसे ही देखने में बिजि थीं | राघव की पर्सनालिटी किसी मॉडल ओर उम्दा एक्टर से कम नहीं थी | पर कोई भी राघव के ज्यादा करीब आने की कोशिश भी नहीं करता था | क्यूंकि सब जानते थे , की राघव को किसी का उसके पास आना , ज्यादा पसंद नहीं है | 

काश्वी भी थोड़ी ही देर बाद , कॉलेज पहुंच गई हती | आज काश्वी ने जींन्ज़ कुरता पहन रखा था , हलके हरे रंग का कुरता काश्वी पर बहुत अच्छी तरह निखर कर आ रहा था | किसी सुंदर परि से कम नहीं लग रही थी काश्वी | उपर से उसकी माखन जैसी गोरी स्किन पर तो ये रंग बहुत प्यारा लग रहा था | 

काश्वी की गाढे भूरी रंग की आँखों में काले रंग का काजल , मानो चाँद पर एक सुंदर , मन को मोह लेने वाला दाग की तरह लग रहा था | जब काश्वी ने कॉलेज में कदम ही रखा था , तो उसे एक अनजाना सा एहसास होने लगा था | मानो कोई अपना , कोई अपना उसका यहाँ हो | उसे एक सुगंध सी आ रही थी , पर काश्वी को ये पता नहीं था , की ये क्या था | 

पर जैसे ही काश्वी ने अपने कदम आगे बढाए , उसे ऐसा लग रहा था , की यहाँ कुछ तो अलग है | बहुत अजीब एहसास था ये | ३पर फिर उसने जल्दी से क्लास में जाना ही सही समझा | क्लास में जाते ही , काश्वी को अपनी दोस्त तनया मिली | तनया ओर काश्वी स्कूल टाइम से ही दोस्त थे |जहाँ काश्वी बहुत सीरियस ओर पढने वाले बच्चों में आती थी , तनया उसका बिलकुल उल्ट , मक्रेबाज़ थी | 

पर दोनों का सिर्फ एक ही सपना था , एक अच लोएर बनना | क्लास से पहले आज सब बच्चो की कॉलेज के प्रेसिडेंट के साथ इनट्रेकशन थी | तनया ओर काश्वी एक साथ हॉल की ओर गये | पर तनया को रह रह कर , सुबह का इवेंट ही याद आ रहा था | वो मन ही मन सोचने लगी | 

"हे भोले , अगर उस राघव ने मुझे पहचान लिया तो ?"काश्वी को थोडा डर तो लग रहा था , पर वो किसी को वो डर दिखाना नहीं चाहती थी | जब तनया ओर काश्वी हॉल में पहुंचे , तो तनया ने देखा की हॉल की एक साइड में कुछ स्टूडेंट्स एक दो लड़कियों को परेशान कर रहे हैं | 

तनया बहुत गुस्से वाली थी | उसे छोटी छोटी बातों पर गुस्सा आ जाता था | वो गुस्से में काश्वी से बोली | 

तनया :: "या काश्वी देख न , कैसे बच्चे हैं , रुको जरा मैं इन्हें दिखाती हूँ |" तनया काश्वी को खिंच कर उस ओर ले जाने लगी | पर काश्वी उसे रोकते हुए बोली | 

काश्वी :: "अरे तनया , क्या कर रही है , शांत हो जा |" पर तनया तो कहाँ ही मानने वाली थी | वहां जाकर उसने एक लड़के को थप्पड़ मारा , ओर गुस्से में उससे बोली | 

तनया :: "जब ये कह रही हाही , की जाने दो | तो तुम्हे कोई दिक्कत हो रही है क्या ?" तनया के इस थपड की गूँज पयरे हॉल में गूंजी थी | जिससे सभी अब तनया ओर उस लड़के की ओर ही देख रहे थे | वो लड़का पुरे कोल्ल्गे में गुंडा गर्दी करने के लिए मशहूर था | ओर कोई भी उससे प्न्ग्गे लेने से पहले हजार बार सोचता था | 

पर तनया ने तो अब अपना तवेर छोड़ दिया था |  वो लड़का गुस्से में तनया से बोला | 

"लगता है ,तुम नई हो कॉलेज में | इसलिए रियांश मित्तल से भीड़ बैठी |" रियांश मित्तल इस कॉलेज के एक बोर्ड मेम्बर का बेटा था | सब लोग कॉलेज में उससे डरते थे | तभी रियांश के एक दोस्त की नजर काश्वी पर पड़ी , जो तनया के साथ ही कड़ी थी | 

उस लड़के की नजरें तो , काश्वी पर से हटने का नाम ही नहीं ले रहीं थी | तभी रियांश आगे आते हुए , तनया से बोला | 

रियांश :: "देख लूँगा मैं तुम्हे भी |" पर तनया को तो आज कोई सीन तो खड़ा करना ही था | वो आगे बोल बैठी | 

तनया :: "क्या देखना है तुम्हे | अपनी ये अकड़ न अपनी जेब में रखो | वेरना ..." तनया बस बोले ही जा रही थी | जिससे रियांश को अब गुस्सा आ रहा था | उसने तनया का हाथ पकड़ा ओर उसे अपने करीब खींचते हुए गुस्से बोला | 

रियांश :: "ऐ लड़की ..." पर रियांश आगे कुछ बोल पाता , एक दिल को देहला देने वाली आवाज़ उसके कानो में पड़ी | 

काश्वी :: "छोड़ तनया को |" ये आवाज़ इतनी सर्द थी , की रियांश ने खुद ब खुद ही तनया को छोड़ दिया | ओर काश्वी की ओर देखने लगा |  ओर मन ही मन सोचने लगा | 

"नहीं ऐसा नहीं हो सकता | ये लड़की कोई आम इंसान नहीं है |" रियांश को अब काश्वी से डर लगने लगा था | काश्वी की आँखों में वही गुस्से , जो किसी को खुद की जान लेने पर मजबूर कर दे | 

फिर काश्वी ने गुस्से में तनया का हाथ पकड़ा ओर , जाते जाते रियांश ओर उसके दोस्तों की ओर देखते हुई बोली | 

काश्वी :: "आगे से तनया के आसपास भी दिख मत जाना |" खौंफ रियांश की नजरों में भी देखा जा सकता था | रियांश के दोस्त सब हैरान रह गये | क्यूंकि पगली बार ऐसा हुआ है , की रियांश ने किसी को यूँ छोड़ा हो | ओर पहली बार उन्होंने रियांश की आँखों में इतना डर देखा था | 

जिससे  सब के दिमाग में बस ये सवाल था | 

"आखिर ये लड़की है कौन ?" यही सवाल वहीँ दूर खड़े राघव के दिमाग में भी था | राघव ने सब देखा था | ओर गुस्से में कश्वी की आँखों में वही नफरत , जो उसने आज से 20 साल पहले शेष नागिन में देखा था | राघव न जाने क्यूँ पर , काश्वी की ओर खिंचा चला जा रहा था | उसे काश्वी से एक अपना पन , एक जाना पहचाना सा एहसास हो रहा था | 

क्या लगता है दोस्तों , आखिर राघव  को काश्वी इतनी आपनी क्यूँ लग रही थी ? काश्वी को किस तरफ की गंध आ रही थी ? ओर क्या था काश्वी की आवाज़ में , जिससे हर कोई कांप गया था ? 

क्या राज़ है काश्वी के इस धरती पर आने का ? ओर क्या राघव ओर काश्वी एक दुसरे से गुदे हुए हैं ? 

जानने के लिए बने रहिये मेरे साथ |  

 

 

 

 

 

 

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