प्यार भरा ज़हर - 1 Deeksha Vohra द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्यार भरा ज़हर - 1

एपिसोड 1 ( ज़िन्दगी की नई शुरुवात ! )

हा हा हा हा .... क्या अजीब बात है न , मेरा सब कुछ आज ख़तम होने का बाद भी मेरे होटों पर एक मुस्कान ही है | पर दिल , दिल पर तो आज इतने घाव है , की शायद वो घाव कभी भी भरने नहीं वाले हैं | मैं काश्वी अगरवाल , अभी अभी 20 साल की हुई | हाँ अभी , क्यूंकि अभी रात के 12 ही तो बज रहे हैं | पुरे 20 साल हो गये मुझे , इस धरती पर साँसें लेते | ओर अपने दिल के जख्मों पर मल्हम लगाते | बारिश की इस काली रात में , आज कोई नहीं जो मेरा साथ दे सके | जो मुझे आकर ये कह सके , की चलो काश्वी , आज के बाद तुम्हारी ज़िन्दगी में सिर्फ खुशियाँ ही होंगी | ये कहानी है मेरी ... आइये सुनती हूँ तो आपको मेरी ये दर्द भरी कहानी , पर , आपकी जुबानी |

काश्वी अगरवाल , आज पुरे 18 साल की हो गई थी | सब जहाँ खुशियाँ मना रहे थे , काश्वी दर्द में कहर रही थी | ये दर्द इतना बुरा था , की काश्वी अब बस मर जाना चाहती थी | उस काले , अँधेरे कमरे में आज उसकी पूरी ज़िन्दगी तबाह हो चुकी थी | उसके शरीर से आती ये लाल रौशनी , आज उसे वो दर्द दे रही थी , जिससे वो पूरी तरह ज़ख़्मी हालत में जमीन पर बेहोश हो चुकी थी | पर शायद वो नहीं जानती थी , की अभी तो इस दर्द की सिर्फ शुरुआत ही हुई है |

अगली सुबह जब काश्वी की आँखें खुलती हैं , तो वो अपने कमरे में , बिस्तर पर आराम से सो रही थी | खुद को अपने ही कमरे में पाकर , काश्वी को यकीन ही नहीं हो रहा था की कल रात जो कुछ भी हुआ , वो हकीकत थी | वो उसकी ज़िन्दगी की वो सचाई थी , जिसे वो कभी ठुकरा नहीं सकती थी |

तभी काश्वी की नजर अपने सीने पर पड़े उस निशान पर गई , जो इस दर्द का कारण था | ये नागिन का निशान , काश्वी को खुद की सचाई बयाँ कर रहा था | बचपन से ही , काश्वी को उसे पिता ने सबसे दूर रखा , पर कारन काश्वी को कल रात मालूम पड़ा | वो इसलिए , क्यूंकि काश्वी , शिव वरदानी , एक नागिन थी | वो नागिन , जिसका इस धरती पर आना , कोई संजोग नहीं , बल्कि एक साजिश थी | एक इन्तकाम के पुरे होने की कड़ी थी काश्वी |

परि की तरह सुंदर आँखें , ज्हील जैसी गहरी , समन्दर जैसी शांत , पर एक बैचनी | कई सारे सवाल , जिनका जवाब किसी के पास नहीं था | कुछ देर यूँ ही , अपने सवालों के जवाब खोजने के बाद , काश्वी जल्दी से उठकर , कॉलेज के लिए तैयार होने चली गई | आज काश्वी का कॉलेज का पहला दिन था |

काश्वी एक लॉयर बनना चाहती थी | ओर देश की बेहतरीन कॉलेज में , उसका एडमिशन भी हो चूका था | पर ना जाने क्यूँ , उसे ख़ुशी नहीं हो रही थी | पर अपने विचारों को साइड में कर , काश्वी ने जल्दी से नाश्ता किया , ओर अपनी माँ के कनिका अगरवाल के गले लग कर , एक गहरी सांस भरकर , वहां से कॉलेज के लिए रवाना हो गई |

वहीँ दूसरी तरफ , राघव रॉय , काश्वी के ही कॉल्लेज के प्रेसिडेंट , 24 साल का नौजवान , जिस पर कॉलेज की हर लड़की मरती थी | ओर जिसके गुस्से से पूरा देश थर थर कांपती थी | पूरा अंडर वर्ल्ड , जिसके सामने अपना सर झुकता था , उसे नहीं पता था , की आज उसकी ज़िन्दगी में एक तूफ़ान आने वाला है | एक ऐसा तूफ़ान , जो मरते डीएम तक उसका साथ देगा | हाँ , एक तूफ़ान का साथ |

क्यूंकि कॉलेज आते समय , हमारा राघव कस्श्वी से तो टकरा गया | काश्वी अपनी ही स्कूटी पर कोलेज आया करती थी , पर अचानक से सामने से एक बड़ी गाडी आई | ओर काश्वी की स्कूटी से आकर टकरा गई | ड्राईवर गाड़ी से उतरा , ओर काश्वी के सामने अपना सर झुकाते हुए बोला |

ड्राईवर :: "माफ़ करना मैडम , गलती से हो गया |" काश्वी ने देखा , की ड्राईवर सच में शर्मिंदा है | वो बोली |

काश्वी :: "अरे कोई बात नहीं काका | आप चिंता मत करिए |" काश्वी अभी बोल ही रही थी , की गाड़ी के अंदर से एक भरी पर मन हो मोह लेने वाली , एक आदमी की आवाज़ आती है |

"राम कुछ पैसे दो , ओर जल्दी चलो | मुझे मीटिंग के लिए लेट हो रहा है |" शान काश्वी को गुस्सा दिलाने के लिए , इतना ही काफी था | क्यूंकि उसे उसकी हकीकत के बारे में भी अभी अभी पता चला था , तो उसके दिल में गुस्सा कभी भी बाहर आने को तैयार था | ओर बस , उस आदमी ने काश्वी को वो मौका खुद दे दिया |

गुस्से में काश्वी ने आपने आसपास देखा , ओर रोड की साइड में पड़ा गोबर , उठा क्र उस आदमी की साइड वाली विंडो पर जा मारा | वो आदमी गुस्से में चिलाया |

"वट द ..." फिर गाड़ी से बाहर आकर , उसका गुस्सा मानो छु मन्त्र हो गया हो | गुस्से में लाल काश्वी में वो आदमी इस कद्र खो गया , की वो भूल ही गया की , अभी अभी क्या हुआ था | कड़ी धुप में काश्वी एक परि से कम नहीं लग रही थी | उसकी बड़ी बड़ी आँखें , उसकी गुस्से से भरी आवाज़ , राघव के दिल में अपनी जगह बना रही थी |

हाँ वो राघव ही था , ओर काश्वी वाही तूफ़ान , जो उसकी ज़िन्दगी में बिना किसी दस्तक के आया था | राघव का ध्यान वापुस आया , जब उसके कानों में काश्वी की गुस्से भरी आवाज़ गई |

काश्वी :: ओ हेल्लो.... तुम्हे क्या मैं भिखारी नजर आती हूँ ? जो मुझे अपने पैसों की धौंस दिखा रहे हो ?" तो राघव , वापिस अपने सवेग में आते हुए बोला |

राघव :: "देखिये मिस , मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं है | आपका जो नुक्सान हुआ है , मैं तो बस उसकी भरपाई ही कर रहा हूँ |" राघव ने बाद बहुत आराम से बोली | जिसकी वजह से राम , राघव का जो ड्राईवर था , उसकी तो डर के मारे सिटी पिटी गुल हो गई थी | वो मन ही मन बोला |

"तूफान के आने से पहले की शांति |" ओर फिर काश्वी से बोला |

राम :: "मिस , ये रखिये सर का कार्ड |" ओर फिर राघव को गाड़ी में बिठा कर , वहां से चला गया | पर काश्वी , वो मानो कहीं खो सी गई हो | राघव की आवाज़ में ना जाने कौन सा सुकून आज काश्वी को मिला , की कल से भरा उसका गुस्सा एक मिनट में शांत हो गया |

अपने हाथ में रखा जब काश्वी ने वो कार्ड देखा , तो काश्वी की आँखें फटी की फटी ही रह गईं | उसका तो मन कर रहा था , की कही जाकर डूब मरे | वो खुद से बोली |

काश्वी :: "ओ तेरी , ये , ये राघव रॉय था ?" काश्वी ने अपना सर पीट लिया , जब उसे एहसास हुआ की , अभी अभी उसने जिसे इतनी खरी खिति सुनाई थी , वो कौन था | पर फिर वो खुद को समझाते हुए बोली |

काश्वी :: "पर मेरी क्या गलती है ? मैंने तो कुछ भी गलत नहीं किया |" फिर खुद को समझाने के बाद , काश्वी अपने कॉलेज की ओर निकल गई थी | पर वो नहीं जानती थी , की कॉलेज में आज उसका दिन , बहुत नायाब जाने वाला था | क्यूंकि एक नई ज़िन्दगी , उसका वहां इंतज़ार जो कर रही थी |

क्या लगता है ,दोस्तों आपको ? काश्वी ओर राघव दुबारा मिलेंगे ? या फिर ये इन दोनों की पहली ओर आखिरी मुलाकात ही थी ? ओर क्या होने वाला था काश्वी की ज़िन्दगी में आगे ?

जानने के लिए बने रहिये मेरे साथ |