प्यार भरा ज़हर - 22 Deeksha Vohra द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • आखेट महल - 19

    उन्नीस   यह सूचना मिलते ही सारे शहर में हर्ष की लहर दौड़...

  • अपराध ही अपराध - भाग 22

    अध्याय 22   “क्या बोल रहे हैं?” “जिसक...

  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

श्रेणी
शेयर करे

प्यार भरा ज़हर - 22

एपिसोड 22 ( काश्वी की तबियत खराब ! )

राघव :: "अब तुम कैसा फील कर रही हो ?" काश्वी राघव की ओर देखती है | ओर धीरे से बोलती है | 

काश्वी :: मैं ठीक हूँ | पर वो इन्सांन ?"

राघव को समझ नहीं आ रहा था , की काश्वी क्या बात कर रही थी | कश्वी को अब समझ में नहीं आ रहा था , की वो राघव को जो भी क्लब में हुआ , उस बारे में कैसे बताए | ओर राघव को ये समझ नहीं आ रहा था , की काश्वी कहना क्या चाहती है | तभी मानो काश्वी को कुछ ध्यान में आया हो |

काश्वी ने राघव की ओर देखा , ओर राघव से पुछा | 

क्काश्वी :: "आखिर आपको मैं मिली कैसे ?" ये वो सवाल था  , जिसने राघव को पूरी रात सोने नहीं दिया था | इसी बात का डर था राघव को , की जब काश्वी राघव से सवाल करेगी , तो वो क्या जवाब देगा | राघव को पता था , की काश्वी के मन में सिर्फ इस एक सवाल की वजह से , ओर हजार सवाल भी आ रहे होंगे | 

पार उसे ये भी पता था , की इन में से एक भी सवाल का जवाब राघव के पास नहीं होगा | काश्वी को ये समझ में नहीं आ रहा था , की बर्फ के आसपास होने से एक नागिन की शक्तियां बहुत ही ज्यादा कम हो जाती हैं | ओर किसी आम इन्सांस के लिए , सिर्फ ये अंदाजा लगा पाना की वो आइस रूम में है , ये नामुमकिन था | 

तो राघव ने उसे ढूँढा कैसे ? काश्वी के मन में बहुत सारे सवाल थे , पर जवाब एक भी नहीं | अब राघव को समझ नहीं आ रहा था, की वो काश्वी से क्या कहे | तो उसने बात को घुमाने का सोचा | राघव हकलाते हुए काश्वी से कहने लगा | 

राघव :: "अरे वो , वो तो रोनित ने बताया मुझे | खैर वो सब क्यूँ सोच रहे हैं हम अब | शुक्र है की तुम सेफ हो | ओर मेरे लिए यही जरूरी है | (बिस्तर से उठते हुए ) ओर तुम्हे भूख लगी होगी न , रुको मैं तुम्हारे लिए कुछ हाने को लेकर आता हूँ |" 

ये कह , राघव बिना काश्वी की ओर एक बार भी मुड़े , कमरे से चला गया | काश्वी बस राघव को आँखें फाड़े देखती ही रह गई | उसे समझ ही नहीं आ रहा था , की यूँ अचानक से राघव को क्या हो गया | पर राघव के इस तरीके के बर्ताव से काश्वी का शक यकीन में बदलता जा रहा था | 

काश्वी :: "जरूर कोई बात है , कुछ तो ऐसा है , जो मेरी आँखों के सामने होने के बावजूद भी मैं जिसे देख नहीं पा रही हूँ | मुझे पता लगाना होगा , की राघव मुझसे क्या छिपा रहे हैं |" 

अब काश्वी के मन में सवाल , तूफ़ान का रूप ले चुके थे | जिनके जवाब ढूंढे बिना , काश्वी चैन से बैठने नहीं वाली थी | तभी काश्वी को उस नकाब पोच का फिर से ख्याल आया | वो खुद से बोली | 

काश्वी :: "ओर भला वो नकाब पोश था कौन ? जिसमें एक नागिन से भी ज्यादा ताकत थी ?" इन्ही सब ख्यालों के साथ , काश्वी बिस्तर से उठी , ओर नहाने के लिए चली गई | 

यूँ ही पूरा साल बीत गया था | कुछ ही दिनिं में काश्वी ओर राघव की शादी को पूरा एक साल होने वाला था | अगले दो दिन बाद , काश्वी का 19वाँ बर्थडे भी आने वाला था | पर काश्वी अपने कामों ओर अपने सवालों के जवाब ढूंढने में बहुत बिजी थी | राघव ने काश्वी के लिए एक पार्टी प्लैन की थी | जसमें राघव ने काश्वी के सभी करीबी लोगों को बुलाया था | 

शाम का वक्त था , रंजना जी ओर राजीव सी सोने की तयारी कर रहे थे | की रंजना जी बोलीं |

रंजना जी :: "सुनिए .." 

राजीव जी :: "क्या हुआ तुम्हे , तुम आज कल बहुत परेशान रहने लगी हो ?"

रंजना जी के दिमाग में बहुत सारी  बातें चल रहें थी | काव्या अभी तक उन लोगों के साथ ही रह रही थी | ओर आए दिन , काव्या की वजह से काश्वी ओर राघव के बीच लड़ाई झगड़े होते रहते थे | ओए ना जाने , राघव को कभी भी क्यों काव्या की गलती दिखाई ही नहीं देती थी | इस बात से रंजना जी बहुत ज्यादा परेशान हो चुकीं थीं | 

रंजन जी :: "जी मैं सोच रही थी , की काश्वी के जनम दिन के बाद , काव्या को यहाँ से जाने को कह दूंगी |"

अपनी बीवी के मुह से ये शव्द सुनने के बाद , राजीव जी को तो अपने कानों पर भरोसा ही नहीं हो रहा था | उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा था , की रंजना जी अपनी मनपसन्द काव्या को घर से जाने के लिए कहने वाली हैं | पर वो कुछ बोले नहीं | 

रंजना जी :: "बहुत समय हो गया .. अब उसे चले जाना चाहिए | देखा नहीं आपने , जब से काव्या आई है , घर में कुछ न कुछ गलत ही हो रहा है | मुझे तो लगता है , की काव्या का हमारे घर पर होना , अच्छा नहीं है |"

राजीव जी जानते थे , की असली रीज़न ये नहीं था , जो रंजना जी बता रहीं थी , जरूर कोई न कोई बात तो होगी | पर राजीव जी कुछ कहने नहीं वाले थे | क्यूंकि रंजना जी काव्या की क्लास लेंगी या नहीं , लेकिन इस वक्त राजीव जी के कुछ भी कहने पर , रंजना जी उनकी क्लास जरूर ले सकती थीं | 

उसके बाद , दोनों सो जाते हैं | 

आगली सुबह , काश्वी जल्दी से उठती है , तो उसे अचानक से चक्कर आने लगते हैं | लेकिन काश्वी गिरती , उससे पहले ही राघव के मज़बूत बाहों ने काश्वी को थाम लिया | 

ना जाने आज कल काश्वी के साथ क्या हो रहा था , उसकी तबियत कुछ ठीक नहीं रहती थी | काश्वी को ऐसा लगने लगा था , की उसकी पुरानी यादें , ख़ास कर बचपन की यादें धुंदली पड़ने लगीं थी | काश्वी को ऐसा लग रहा था , की वो ज्यादा सोच रही थी | इसलिए उसने ये बात , किसी से भी नहीं कही | क्यूंकि खामखाँ काश्वी किसी को भी परेशान नहीं करना चाहती थी | 

राघव :: "क्या हुआ काश्वी , तुम ठीक तो हो ?" राघव ने काश्वी को अभी तक थाम हुआ था | राघव ने भी थोडा बहुत काश्वी का बर्ताव बदलता हुआ महसूस किया था | काश्वी को अक्सर सुबह की बातें भी याद नहीं रहती थीं | 

काश्वी :: "हाँ हाँ ,,," काशी ये कह रही ही , तभी मानो राघव की आँखों में देखते हुए , काश्वी को कुछ याद आया | आँखें , वो आँखें | 

काश्वी राघव से कहती हैं  | 

काश्वी :: "ये आँखें राघव ..? अब राघव को समझ नहीं आ रहा था , की काश्वी क्या कहने की कोशिश कर रही थी | लेकिन काश्वी बहुत खुश लग रही थी | काश्वी को अभी तक क्लब वाले इवेंट की सारी बातें याद थीं | ख़ास कर उस नकाब पोश की वो गहरी हरी आँखें | 

वो आँखें ऐसी थी , जिन्हें चाह कर भी काश्वी भूला नहीं पायेगी | क्यूंकि काश्वी ने वो आँखें कहीं ओर भी देखीं थीं | काश्वी ध्यान से सोचने लगी | तभी उसे एक फोटो याद आता है , जो उसकी माँ के घर पर था | उस फोटो में एक बच्चा था , जिसकी आँखें हुबहू वैसी ही थीं | 

गहरे समन्दर जैसी , लेकिन हरी | 

आखिर किसकी बात कर रही थी काश्वी ? ओर क्या रंजना जी सच में काव्या को जाने के लिए कह देंगी ? आखिर काव्या का रिएक्शन कैसा होगा ? ओर क्या काश्वी अपने सवालों के जवाब ढून्ढ पायेगी ? ओर क्या हुआ था काश्वी को ? 

जानने के लिए बने रहिये मेरे साथ |