रिश्ते… दिल से दिल के - 18 Hemant Sharma “Harshul” द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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रिश्ते… दिल से दिल के - 18

रिश्ते… दिल से दिल के
एपिसोड 18
[अतीत का राज़]

"विनीत जी! ज़रा गाड़ी रोकिए।", गाड़ी चला रहे विनीत जी से जब रश्मि जी ने कहा तो विनीत जी ने गाड़ी रोककर उनकी तरफ देखा और सवाल किया, "क्या हुआ, रश्मि? तुमने ऐसे गाड़ी क्यों रुकवाई?"

"वो… मुझे बहुत ज़ोर से भूख लगी है तो क्या हम उस रेस्टोरेंट में चलकर खाना खा सकते हैं?", रश्मि जी ने अपनी बाईं ओर रेस्टोरेंट की तरफ इशारा करके कहा।

रश्मि जी को जब कोई भी तरीका नहीं सूझा कि कैसे प्रदिति और विनीत जी के दुःख को कम करें तो उन्होंने ये रास्ता अपनाया। विनीत जी ने भी सोचा कि अभी प्रदिति और रश्मि जो सब सुनकर और देखकर आए हैं उससे बाहर निकालने के लिए रेस्टोरेंट में थोड़ी देर रुककर खाना खाकर अपने मन को हल्का कर लें। इसलिए उन्होंने मुस्कुराकर हां के गर्दन हिला दी।

फिर विनीत जी ने एक तरफ कार को पार्क किया। तीनों कार से बाहर निकलकर रेस्टोरेंट के अंदर चले गए।

तीनों जाकर टेबल पर बैठ गए (मतलब टेबल के पास वाली कुर्सियों पर)।

विनीत जी ने कुछ ऑर्डर किया और थोड़ी ही देर में उनके सामने उनकी मंगाई हुई डिशेज आ गईं। आ तो गई थीं पर उनमें से किसी की भी हिम्मत नहीं हो रही थी उसे खाने की। फिर रश्मि जी ने ही पहल की, "अरे, खाना आ चुका है। खाइए ना नहीं तो ठंडा हो जायेगा।"

रश्मि की बात पर प्रदिति और विनीत जी ने फीकी सी मुस्कान दे दी और ना चाहते हुए भी वो खाना खाने लगे।

बहुत देर तक रोने और तड़पने के बाद गरिमा जी ने अपने आंसू पोंछे और वो खुद से ही बोलीं, "ये क्या है, गरिमा! कितनी बार कहा है कि तू कमज़ोर नहीं है तो फिर क्यों तू कमजोरों की तरह रोती रहती है… और रोती भी किसके लिए है उस इंसान के लिए जिसे तेरे आंसुओं से कोई फर्क नहीं पड़ता, जिसके दिल में तेरे लिए प्यार तो क्या, हमदर्दी भी नहीं है। वो सिर्फ एक धोखेबाज़ है… धोखेबाज़!"

"बस करो, गरिमा!", दरवाज़े से आई आवाज़ को सुनकर गरिमा जी ने उस तरफ देखा तो वहां रश्मि जी गुस्से में खड़ी थीं।

रश्मि जी कुछ बाइट्स लेने के बाद ही प्रदिति और विनीत जी से वॉशरूम का कहकर निकल गई थीं और वहां से वो सीधा सहगल मेंशन में आ गईं। दामिनी जी और आकृति अपने कमरे के थीं, मेन डोर भी लॉक्ड नहीं था और गरिमा जी ने भी अपने कमरे का दरवाज़ा थोड़ी देर बाद खोल दिया था इसलिए रश्मि जी सीधा उनके कमरे में आ गईं।

गरिमा जी की आंखों में भी गुस्सा उतर आया था वो बेड से खड़ी होकर बोलीं, "तुम यहां क्या कर रही हो? अभी धक्के मारकर तुम्हारी बेटी को और तुम तीनों को ज़लील करके निकाला था ना तब भी तुम बेशर्मों की तरह फिर से यहां आ गई!"

"हां, आ गई क्योंकि मुझे अपनी इंसल्ट से कोई फर्क नहीं पड़ा। मुझे तकलीफ तब हुई जब तुमने विनीत जी और प्रदिति को बुरा–भला कहा। तुम उन्हें कुछ नहीं कह सकती क्योंकि तुम्हें उन्हें कहने का कोई हक नहीं है।", रश्मि जी ने अपने गुस्से में कहा तो गरिमा जी फीका मुस्कुराकर बोलीं, "हां, तुमने सही कहा, मेरा विनीत जी पर कोई हक नहीं है क्योंकि सालों पहले तुमने उन्हें मुझसे छीन लिया था… अब तो उन्हें कुछ भी कहने का हक सिर्फ तुम्हारा है आफ्टर ऑल उनकी वाइफ जो हो तुम… लेकिन, एक मिनट! अभी वाइफ हो या नहीं क्योंकि जब पहली बार मैंने तुम्हें उनके साथ देखा था तब तुमने ही कहा था कि तुम्हारी शादी नहीं हुई है और फिर भी तुम दोनों की एक बेटी है तो क्या अब भी तुम दोनों बिना शादी के रह रहे हो?"

गरिमा जी की बात सुनकर रश्मि जी की आंखों में नमी और गुस्सा एक साथ उतर आए। वो गरिमा जी के आगे हाथ जोड़कर बोलीं, "प्लीज़, मुझे जो भी कहना है कह लो पर विनीत जी के बारे में कुछ मत कहो, उस देवता जैसे इंसान के खिलाफ मुझसे कुछ भी नहीं सुना जायेगा।"

गरिमा जी के दिल में रश्मि जी की बातें बार–बार चुभ रही थीं। वो नहीं देख पा रही थीं कि कोई और औरत उनके ही सामने उनके पति के खिलाफ कुछ भी ना कहने के लिए हाथ जोड़ रही थी, अपने जिस पति के लिए गरिमा जी दुनिया से लड़ जाना चाहती थीं आज वो खुद उनके बारे में अपशब्द कह रही थीं और कोई और उन्हें रोक रहा था, कोई और औरत आज उनकी जगह ले चुकी थी… ये दर्द उनसे सहा नहीं जा रहा था। भले ही उन्होंने विनीत जी से सारे रिश्ते–नाते तोड़ दिए थे पर आज भी उनके दिल के कोने में विनीत जी कहीं बसे हुए हैं। उनकी तकलीफ उनके गुस्से के रूप में बाहर आई, उन्होंने रश्मि जी से गुस्से में कहा, "अभी के अभी मेरे इस घर से बाहर निकल जाओ। जाओ अपने उस देवता पति के पास… तुम्हारी कोई बकवास नहीं सुननी मुझे। तुम्हारे जैसे घटिया लोगों की बातें सुनने का टाइम नहीं है मेरे पास।"

रश्मि जी ने अपनी आंखें कुछ देर को बंद कीं और फिर उन्हें खोलकर बोलीं, "मैं नहीं करना चाहती थी ये पर तुमने अब मुझे मजबूर कर दिया है। आय एम सॉरी, विनीत जी! पर अब मुझसे सहन नहीं होगा। अब कोई भी इस घुटन को बर्दाश्त नहीं करेगा। गरिमा! मेरी और विनीत जी की कभी शादी हुई ही नहीं और तो और प्रदिति भी हमारी बेटी नहीं है… हां दिल से उसे बेटी माना है पर वो खून नहीं है हमारा।"

ये सुनकर तो गरिमा जी दंग रह गईं वो अटकते हुए शब्दों में बोलीं, "वो… तुम्हारी बेटी… नहीं है तो किसकी बेटी है?"

रश्मि जी ने अपनी आंखें बंद कर लीं जिससे उनकी आंखों में रुका हुआ आंसू बह आया।

***24 साल पहले***

"अभी के अभी अपना टॉप उतारो।", एक लड़के ने बड़ी ही बेशर्मी से अपने सामने खड़ी लड़की को कहा जिसकी आंखें आंसुओं से भरी हुई थीं। वो डर के मारे पूरी तरह कांप रही थी।

उस लड़के के साथ तीन लड़के और बैठे हुए थे और उनके सामने नौ–दस लड़कियां थीं और सब सहमी हुई थीं।

दरअसल ये लड़का था रॉकी, कॉलेज का सीनियर स्टूडेंट और उसके साथ उसके वो तीन फ्रेंड्स मिलकर जूनियर्स की रैगिंग कर रहे थे पर जूनियर्स के सिर्फ लड़कियां थीं सभी लड़कों को उन्होंने क्लास से बाहर निकाल दिया था। रोकी ने जब सबको बताया कि वो और उसके दोस्त उनके सीनियर्स हैं और उनकी रैगिंग करने वाले हैं तो उनमें से एक लड़की ने इसके विरोध में कहा कि ये गलत है तो रॉकी ने उसी से रैगिंग की शुरुआत कर दी उसने उसे सामने बुलाया, एक बार ने तो वो नहीं आई पर फिर रॉकी की धमकियों से डरकर उसे सामने आना पड़ा। वो सामने आई तो रॉकी ने उससे उसका टॉप उतारने को बोला वो लड़की डर के मारे कांप रही थी इसलिए रोकी ज़ोर से चिल्लाकर बोला, "तुम उतार रही हो या नहीं?"

वो लड़की और भी ज़्यादा डर गई उसने रोते हुए टॉप को उतारने के लिए उसका सिरा पकड़ा और उतारने लगी, वो चारों लड़के उस पर ज़ोर–ज़ोर से हँस रहे थे और उनमें से एक उसकी वीडियो भी बना रहा था वो अपना टॉप ऊपर कर ही रही थी कि किसी ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया।

सभी ने उस दिशा ने देखा तो वहां पीले रंग का अनारकली सूट पहने खुले बाल और आंखों में हल्का सा काजल लगाए गरिमा जी गुस्से से उन लड़कों की तरफ देख रही थीं। उसने उस लड़की का हाथ पकड़कर उसके टॉप को नीचे करवाया।

उनमें से एक लड़का बोला, "अबे ए! दिमाग खराब हो गया है क्या तेरा जो हमारे काम में टांग अड़ाने आ गई है! जानती भी है कि जो कोई भी रॉकी के काम में टांग अड़ाता है वो फिर कहीं भी कुछ भी करने लायक नहीं रह जाता।"

गरिमा जी ने गुस्साई नजरों से उन सबकी तरफ देखा और बोली, "जानते तो तुम लोग मुझे नहीं हो, गरिमा ना तो गलत करती है और ना होने देती है तो तुम लोगों को कैसे करने दूं!"

उनमें से दूसरा लड़का बोला, "लगता है ये भी इस कॉलेज में नई है इसलिए तो डायरेक्ट रॉकी भाई से पंगा ले रही है।"

फिर रॉकी गरिमा जी की तरफ देखकर बोला, "तो, क्यों ना इसे भी इस रैगिंग में शामिल कर लिया जाए।"

रोकी ने कहा ही था कि गरिमा जी दहकती हुई नजरों से उसे देखकर बोलीं, "सोचना भी मत, मुझे इसमें शामिल करना तो दूर रहा तुम इनमें से किसी को परेशान नहीं कर पाओगे। जानते भी हो कि रैगिंग कितना बड़ा जुर्म है फिर भी तुम ये सब कर रहे हो और ऊपर से लड़कियों के साथ ये सब घिन्होनापन… छी! शर्म नहीं आती तुम लोगों को!"

रोकी उनके पास आकर बोली, "नहीं, मैडम! निहायती बदतमीज और बेशर्म है हम तो…" कहकर उसने गरिमा जी के चहरे पर अपनी उंगलियां फेरने चाहीं कि गरिमा जी ने एक ज़ोरदार थप्पड़ उसे लगा दिया। उसे देखकर वो लड़कियां और लड़के सब हैरान रह गए। रोकी ने अपने गाल पर हाथ रखा, उसकी आंखों में खून उतर आया था।

गरिमा जी ने उसे उंगली दिखाकर कहा, "कोशिश भी मत करना मुझे छूने की वरना हाथ तोड़कर रख दूंगी।"

फिर उन्होंने अपनी जेब से फोन निकाला और बोलीं, "इसके अंदर तुम्हारी वो वीडियो रिकॉर्डेड है जिसमें तुम इन सब लड़कियों के साथ गंदा बरताव कर रहे हो और अब ये जायेगा पुलिस स्टेशन फिर सड़ना तुम सब के सब जेल में।"

गुस्से से रॉकी उसकी तरफ बढ़ा कि गरिमा जी थोड़ी पीछे हो गईं और उन लड़कियों से बोलीं, "तुम सब क्या देख रही हो, ऐसे लफंगों के साथ प्यार से नहीं बल्कि लात घूसों से बात करनी चाहिए। ये सिर्फ चार हैं और हम उनसे लगभग तीन गुने। अगर हम एकजुट हो जाएं तो इन जैसे लड़कों की कभी हिम्मत ही नहीं होगी किसी लड़की को इस तरह परेशान करने की।"

गरिमा जी ने कहा तो था पर कोई लड़की आगे नहीं बढ़ी तो रॉकी हँसा और बोला, "देख लिया, तुम्हारा ये भाषण बेफिजूल है, इनमें से कोई भी आगे नहीं आयेगी क्योंकि हम सीनियर्स हैं और ऊपर से लड़के। किसी में इतनी हिम्मत नहीं है कि एक कदम भी आगे बढ़ा पाए।" कहकर वो और उसके दोस्त हँसने लगे लेकिन उनकी हँसी एक पल में गायब हो गई जब उन सभी लड़कियों ने एक–दूसरे का हाथ पकड़ा और आगे बढ़ने लगी। इसे देखकर गरिमा जी के चहरे पर मुस्कान आ गई।

रोकी और उसके चहरे पर अब गुस्से के साथ साथ डर के भी भाव आने लगे। उनमें से एक लड़का रॉकी के पास आया और बोला, "यार! अगर यहां थोड़ी देर और रहे तो इज्ज़त तो जायेगी ही साथ ने हमारी हड्डी पसली एक कर देंगी ये लड़कियां। इससे अच्छा है अभी यहां से निकल ले।"

"पर…"

"अरे, चल।", वो लड़का जबरदस्ती उसे खींचकर बाहर की तरफ भाग गया बाकी दोनों लड़के भी वहां से भाग निकले।

उनके जाने के बाद सभी लड़कियों ने गरिमा जी को थैंक यू बोला और वो टॉप वाली लड़की तो गरिमा के गले ही लग गई। वो उसके गले लगे रोते हुए बोली, "थैंक यू सो मच! अगर आज तुम नहीं आती तो वो लड़के…"

गरिमा जी ने उसे खुद से अलग किया और बोलीं, "नाम क्या है तुम्हारा?"

"रश्मि!"

हां, वो लड़की और कोई नहीं रश्मि जी ही थीं।

"तो, रश्मि! ये सब तुम लोग मेरे बिना भी कर सकते थे। एक लड़की के लिए उसकी इज्ज़त उसका सबकुछ होती है तो उसके लिए तुम लोगों ने लड़ना ज़रूरी नहीं समझा। अरे, एक बार तो एक साथ आकर उनका मुकाबला करती। भगवान भी सिर्फ उसकी मदद करता है जो खुद की मदद करने की कोशिश करता है। तुम सब तो कुछ कर ही नहीं रही थीं।"

वो सब एक साथ बोलीं, "सॉरी!"

"मुझे सॉरी बोलने से कुछ नहीं होगा। तुम जानती भी हो कि वो तुम्हारे फोटोज क्लिक करने वाले थे और फिर… छी! कितने घटिया लोग हैं वो। अब तुम सब मुझसे प्रोमिस करो कि आगे से अगर ऐसा कुछ भी हुआ या तुमने होते हुए देखा तो तुम उसके खिलाफ आवाज़ ज़रूर उठाओगी और उसके खिलाफ लड़ोगी।"

सभी ने एक साथ हां में गर्दन हिला दी ,सबने गरिमा जी के लिए तालियां बजा दीं और उसके गले लग गईं।

क्रमशः