रिश्ते… दिल से दिल के - 19 Hemant Sharma “Harshul” द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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रिश्ते… दिल से दिल के - 19

रिश्ते… दिल से दिल के
एपिसोड 19
[रॉकी गया लॉकअप में]

"अरे, लेकिन तुम सब ही इसके खिलाफ आवाज़ नहीं उठाओगी तो इन जैसे लोगों की तो हिम्मत बढ़ेगी ही।"

गरिमा जी उन सभी लड़कियों को समझा रही थीं कि वो सब उनके साथ कॉलेज के मैनेजमेंट से शिकायत करें, आखिर उनको भी तो पता चले कि उनके कॉलेज में कैसे गिरे हुए लोग हैं लेकिन उनमें से कोई भी तैयार ही नहीं थी।

रश्मि जी ने भी उन सभी लड़कियों को समझाते हुए कहा, "गरिमा सही कह रही है, हमें उन लड़कों की शिकायत करनी चाहिए ताकि वो दोबारा ऐसा कुछ ना करें।"

उनकी बात सुनकर उनमें से एक लड़की ने कहा, "रश्मि! ये तो रॉकी के बारे में नहीं जानती लेकिन तुम तो जानती हो ना कि रॉकी कितना पावरफुल है, उसके पापा की कितनी पावर है… वो चाहें तो अभी के अभी इस कॉलेज को खरीद सकते हैं। आज तक उनके खिलाफ कोई नहीं बोला, अगर हमने ऐसा कुछ भी किया तो ना जाने वो हमारे साथ क्या करेंगे!"

"तो ये सोचकर, तुम सब गलत से डरकर सही का साथ छोड़ दोगी? एक बार कोशिश तो करो, हम सब मिलकर उन सब लड़कों को उनकी गलतियों की सज़ा दिलवा सकते हैं।", गरिमा जी ने एक और कोशिश करते हुए कहा।

"नहीं, हमें नहीं लड़नी कोई लड़ाई। चलो", कहकर वहां से सभी चली गईं गरिमा जी उनको आवाज़ लगाती रहीं पर किसी ने उनकी एक भी नहीं सुनी। गरिमा जी इस बात से निराश हो गईं।

तब रश्मि जी ने गरिमा जी के कंधे पर हाथ रखकर कहा, "तुम चिंता क्यों कर रही हो? मैं हूं तुम्हारे साथ, आखिर उन सबने मेरे साथ भी बदसलूकी की थी और फिर वो वीडियो भी है तुम्हारे पास जिसमें वो सब हमारी रैगिंग कर रहे थे। इतना काफी है उनको सज़ा दिलवाने के लिए।" रश्मि जी ने कहा तो गरिमा जी के चहरे पर मुस्कान आ गई।

"सर! अगर इस तरह के स्टूडेंट्स आपके कॉलेज में रहे तो बहुत जल्द इस कॉलेज का नाम मिट्टी में मिल जायेगा। अब आप ही देखिए, किस तरह से ये लड़कियों के साथ ये घिन्होनी हरकत कर रहे हैं!", गरिमा जी ने एमडी के ऑफिस में जाकर कहा तो वो अपने सामने खड़े रॉकी और उसके दोस्तों से बोले, "रॉकी! ये सब क्या है? अब तक तुमने जो भी किया हमने उसे नज़रंदाज़ कर दिया पर अब सवाल ना सिर्फ हमारे कॉलेज की रेप्यूटेशन का है बल्कि इन लड़कियों की इज्ज़त का भी है। तुम्हारे डैड का इतना बड़ा नाम है इस वजह से हम तुम्हें कुछ नहीं कहते थे पर अब तो तुम अपनी लिमिट क्रॉस कर रहे हो।"

रॉकी जोकि स्वभाव से ही गुस्सैल था एमडी की ये बातें आखिर कब तक सुन पाता, वो गुस्से में बोल ही पड़ा, "अबे ओ एमडी! बहुत देर से तेरी बकवास सुन रहा हूं, तेरी हिम्मत कैसे हुई मुझसे ऐसे बात करने की… जानता है ना मेरे डैड को, आज ही तुझे और तेरे इस कॉलेज को गायब करवा सकते हैं।"

रॉकी की बात पर हर कोई हैरान था। गरिमा जी गुस्से से बोलीं, "देखा, सर! कितना बदतमीज़ है ये लड़का… लड़कियों की इज्ज़त तो इसे करना आता नहीं है, बड़ों के मान सम्मान का भी ख्याल नहीं है इसे।"

रॉकी गुस्से से उनकी तरफ बढ़कर बोला, "ए! बहुत ज़्यादा भाषण झाड़ रही है तू, जानती नहीं है अभी तू मुझे। आज तक मुझसे किसी ने ऊंची आवाज़ में बात नहीं की और तूने सीधा मुझ पर आरोप लगा दिया! तुझे तो मैं…" कहकर रॉकी गरिमा जी की तरफ बढ़ा कि एक हाथ उसके सीने पर आया और उसे रोक दिया। रॉकी ने गुस्से से और बाकी सबने हैरानी के साथ उस तरफ देखा तो वहां विनीत जी खड़े थे।

उन्हें देखकर गरिमा जी के चहरे पर मुस्कान आ गई, वो मुस्कुराकर धीरे से बोलीं, "विनीत जी!"

उनकी आवाज़ सुनकर विनीत जी ने एक नज़र गरिमा जी की तरफ देखा और फिर रॉकी को। वो रॉकी के सीने से हाथ लगाए ही बोले, "हिम्मत भी मत करना मेरी गरिमा को छूने की वरना हाथ तोड़कर रख दूंगा।"

उनकी बात सुनकर रॉकी को और भी ज़्यादा गुस्सा आ गया वहीं गरिमा जी और रश्मि जी हल्के से मुस्कुरा दीं।

फिर विनीत जी ने रॉकी की आंखों में आंखें डालकर कहा, "तुम जैसों को हैंडल करना बहुत अच्छे से आता है मुझे।" कहकर उन्होंने रॉकी को धक्का दे दिया जिससे वो दो कदम पीछे हो गया।

फिर विनीत जी एमडी से बोले, "सर! अब आप ही बताइए कि आपको क्या करना है? क्योंकि अगर ऐसे लोग यहां रहे तो शरीफ घर के बच्चे तो इस कॉलेज में पढ़ने बिलकुल नहीं आयेंगे, खासकर लड़कियां।"

"ए! तू…", रॉकी आगे बढ़कर कुछ कहने को हुआ कि विनीत जी ने उसे फिर से घूरकर देखा और कहा, "दिखाई नहीं देता मैं बात कर रहा हूं!"

रॉकी गुस्से में ही बोला, "तुम लोगों को अभी पता नहीं है कि मेरे डैड की पहुंच कहां तक है, कोई भी नहीं बचेगा याद रखना।"

"वो तो वक्त ही बताएगा।", विनीत जी ने कहा तो रॉकी ने उनका कॉलर पकड़ लिया सभी लोग उससे उनका कॉलर छुड़ाने आए पर विनीत जी ने सबको रोक दिया। तभी वहां पर पुलिस आ गई सभी उस तरफ हैरानी से देखने लगे तो विनीत जी बोले, "गरिमा! जब तुमने मुझे सारी बातें फोन पर बतायीं तो मैंने यहां आने से पहले पुलिस को कॉल कर दिया था क्योंकि इन जैसे घटिया लोगों को इस तरह खुला घूमने का कोई हक नहीं है। जेल की हवा खायेंगे तो अकल ठिकाने पर आ जायेगी।"

पुलिस ने आकर रॉकी और उसके दोस्तों को पकड़ लिया तो रॉकी खुद को छुड़ाता हुआ दहकती हुई नजरों से गरिमा जी और विनीत जी को देखकर बोला, "तुम्हें क्या लगता है कि तुम मुझे जेल भेज दोगे और मैं वापस नहीं आ पाऊंगा! बहुत जल्द आऊंगा और तुम दोनों ने जो मेरी ये इंसल्ट की है ना उसका बदला भी लूंगा, छोडूंगा नहीं मैं तुम्हें… तुम्हारी जिंदगी तबाह करने की ज़िम्मेदारी अब मेरी।" उसने इतना कहा कि पुलिस उसे पकड़कर ले गई।

उसके जाने की दिशा में देखते हुए गरिमा जी कुछ सोच रही थीं तो विनीत जी ने उनके कंधे पर हाथ रखकर कहा, "गरिमा!"

उनकी आवाज़ पर गरिमा जी अपने ख्यालों से बाहर आईं और बोलीं, "हां?"

"क्या हुआ? उसकी उन गीदड़ धमकियों से डर गई क्या?", विनीत जी ने भौंहें सिकोड़कर पूछा तो गरिमा जी हल्का सा मुस्कुराकर बोलीं, "नहीं, मुझे उसकी बातों से कोई फर्क नहीं पड़ा क्योंकि मैंने कभी गलत से डरना सीखा ही नहीं है बस उसकी आंखों में जो बदले की आग देखी वो दिल में एक अजीब सा डर पैदा कर गई।"

विनीत जी ने उन्हें समझाते हुए कहा, "तुम चिंता मत करो, कुछ नहीं होगा। वैसे भी अब तो वो जेल जा चुका है ना।"

विनीत जी की बात पर गरिमा जी ने हल्के से सिर हिलाया और मुस्कुरा दीं।

इतना कहकर वो वहां से बाहर निकले कि पीछे से रश्मि जी उनके सामने आ गईं और बोलीं, "अरे, तुम तो इतनी जल्दी जाने लगी। मुझे खुद को थैंक यू तो बोलने देती।"

"थैंक यू, किसलिए?" गरिमा जी ने हैरानी के साथ कहा तो रश्मि जी बोलीं, "आज तुमने वो किया जो आज की दुनिया में सगे भी नहीं करते। तुम्हें ज़रा सा भी डर नहीं लगा?"

गरिमा जी मुस्कुराकर बोलीं, "मैंने कभी भी किसी गलत चीज़ से डरकर सही का साथ नहीं छोड़ा। मुझे उस वक्त जो सही लगा मैंने किया बाकी जो भी हो मुझे उसकी परवाह नहीं है।"

फिर रश्मि जी ने विनीत जी की तरफ देखकर इशारे से गरिमा जी से पूछा तो गरिमा जी विनीत जी का हाथ पकड़कर बोलीं, "मेरे होने वाले पति, मिस्टर विनीत सहगल!"

"ओ वाउ! देट्स ग्रेट… तो कब कर रहे हैं आप दोनों शादी?", रश्मि जी ने खुशी के साथ पूछा तो गरिमा जी ने विनीत जी से इशारों में कुछ पूछा, विनीत जी ने मुस्कुराकर अपने बैग से एक कार्ड गरिमा जी के हाथों ने थमा दिया। जिसे गरिमा जी रश्मि को देकर बोलीं, "ये रहा हमारा शादी का कार्ड, विनीत जी को जब मैंने फोन किया तो कहा था कि एक कार्ड साथ में ले आएं आखिर मुझे अपनी नई फ्रेंड को जो देना है। अब फ्रेंड कहा है तो तुम्हें शादी में आना ही पड़ेगा।"

रश्मि जी कार्ड को लेकर मुस्कुराते हुए बोला, "बिलकुल, अब अपनी फ्रेंड की शादी में आऊंगी भी और जमकर डांस भी करूंगी।"

उनकी बात पर तीनों ही हँस दिए।

"आ गए तुम दोनों! कब से इंतज़ार कर रही हूं, कहां गए थे तुम?", विनीत जी और गरिमा जी के घर के अंदर आते ही दामिनी जी ने पूछा तो विनीत जी बोले, "वो… मैं गरिमा के कॉलेज गया था।"

फिर दामिनी जी गरिमा जी की तरफ देखकर बोलीं, "और तुम?"

"मैं भी अपने कॉलेज गई थी।", गरिमा जी ने भी धीरे से जवाब दिया।

फिर दामिनी जी ने पूछा, "लेकिन तुम दोनों गए क्यों थे?"

"वो… गरिमा की एक फ्रेंड को शादी का कार्ड देने के लिए।", विनीत जी ने कहा तो दामिनी जी फिर से कुछ पूछने को हुईं कि विनीत जी ने उन्हें कंधों से पकड़ा और सोफे पर बिठाते हुए बोले, "अरे, मां! बस भी कीजिए। आप तो हमसे ऐसे सवाल कर रही हैं जैसे हम कोई खून करके आए हों।"

दामिनी जी विनीत जी के हाथों को अपने कंधों से हटाकर बोलीं, "हां, तो सवाल तो करने ही पड़ेंगे। दो दिन बाद शादी है तुम दोनों की और शादी की तैयारियां अभी पूरी ही नहीं हुई हैं।"

गरिमा जी भी उनके पास में बैठते हुए बोलीं, "मां! आप चिंता क्यों कर रही हैं? सब हो जायेगा अच्छे से।"

"अरे, कैसे हो जायेगा! अभी तो डेकोरेशन, खाने का सारा इंतज़ाम और भी बहुत सारी तैयारियां बची हैं।", दामिनी जी ने अपना सिर पकड़ते हुए कहा तो गरिमा जी ने पास में टेबल से गरिमा जी की दवाई उठाई और एक ग्लास पानी के साथ उन्हें देते हुए बोलीं, "मां! आप दवाई लीजिए, टेंशन नहीं वरना आपका बीपी बढ़ जायेगा।"

गरिमा जी ने उनके हाथ से दवाई ली और उसे मुंह में रखकर पानी पिया। विनीत जी भी गरिमा जी के समर्थन में बोले, "हां, मां! मैं हूं ना, सब देख लूंगा।"

गरिमा जी विनीत जी की बात काटकर बोलीं, "सिर्फ आप नहीं, हम… हम दोनों मिलकर सब देख लेंगे।"

गरिमा जी की बात पर आपत्ति जताते हुए दामिनी जी बोलीं, "अरे, बेटा! तुम इस घर की होने वाली बहू हो, तुमसे काम कैसे करवा सकते हैं हम, विनीत देख लेगा सब।"

गरिमा जी दामिनी जी के हाथ पर अपना हाथ रखकर बोलीं, "मां! विनीत जी भी तो होने वाले दूल्हे हैं फिर भी काम करने वाले हैं तो फिर मैं क्यों नहीं? और वैसे भी जब दो साल पहले मेरे मां और पापा की मौत हुई थी तबसे आपने और विनीत जी ने ही तो मुझे संभाला है, कभी महसूस ही नहीं होने दिया कि मैं अकेली हूं, हमेशा अपने परिवार का हिस्सा बनाकर रखा तो फिर मैं अपने परिवार का काम क्यों नहीं कर सकती? मैं तो करूंगी और वो भी पूरे हक से।"

गरिमा जी की बात सुनकर विनीत जी और दामिनी जी मुस्कुरा दिए।

विनीत जी अपना कॉलर उठाकर बोले, "देखा, मां! एकदम हीरे जैसी बहू लाया हूं ना आपके लिए!"

दामिनी जी ने फीका सा मुस्कुराते हुए कहा, "हां, बड़ा आया बहु लाने वाला! तुमने तो कभी मुझे बताया ही नहीं कि तुम इससे प्यार करते हो, वो तो मैं ही समझ गई और इसीलिए परसों तुम्हारी शादी होने वाली है वरना पता नहीं कब तक मुझे अपने लिए बहू ढूंढनी पड़ती।"

दामिनी जी ने कहा तो वो खुद और गरिमा जी ज़ोर से हँस दिए और विनीत जी ने छोटा सा मुंह बना लिया।

क्रमशः