गैर जिम्मेदार, लापरवाही Rakesh Rakesh द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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गैर जिम्मेदार, लापरवाही

कभी गांव के कुत्ते बिल्ली संतोष के खाने के झूठे बर्तन चाटते थे, कभी संतोष अपनी एक बरस की बेटी को गाय भैंसों के आसपास अकेला खेलने के लिए छोड़ देती थी तो तब संतोष का पति सॉस उसे बहुत डांटते थे, तो उसे समय संतोष के पड़ोस की महिलाएं संतोष की मिसाल देकर अपने परिवार वालों से कहती थी "अगर हम भी संतोष जैसी लापरवाह और गैर जिम्मेदार होती तो घर बर्बाद हो जाता।"

उनकी यह बात सुनकर उनके परिवार वालों की जुबानों पर ताले लग जाते थे।

एक दिन संतोष की इस लापरवाही की वजह से एक मरखनी गाय संतोष की एक बरस की बेटी को अपने पैरों के नीचे कुचल देती है।

गांव का डॉक्टर जब संतोष की बेटी का ईलाज करने में असफल हो जाता है, तो वह संतोष के पति को अपनी बेटी को शहर के बड़े अस्पताल में ले जाने की सलाह देता है।

शहर के बड़े अस्पताल में डॉक्टर संतोष की बेटी की नाजुक हालत देखकर उसे अस्पताल में भर्ती कर लेते हैं।

अब संतोष के पति के सामने समस्या थी कि अस्पताल में एक बरस की छोटी सी बेटी के साथ रुके कौन क्योंकि संतोष की सास बुजुर्ग थी और उन्हें ज्यादा चलने फिरने से तकलीफ होती थी और संतोष का पति जिस कपड़ों की दुकान पर नौकरी करता था, उस दुकान का मालिक अपनेे किसी भी कर्मचारी को एक दिन से ज्याद कि छुट्टी नहीं देता था और वह पहले ही दुकान से दो दिन की छुट्टी ले चुका था, संतोष को एक बरस की बेटी के पास रोकने का बहुत डर था, क्योंकि वह अपनी गैर जिम्मेदारी लापरवाही से शहर के बड़े अनजान अस्पताल में अपने साथ अपनी बेटी को भी कोई बड़ा नुकसान पहुंच सकती थी।

और संतोष के पति का यह डर जब सच साबित होता है, जब संतोष पड़ोस के मरीज से हीटर लेकर अपनी बेटी का दूध पकाने के बाद हीटर बंद नहीं करती है और गरम पतीले को उठाने वाले कपड़े को हीटर के ऊपर ही रखकर भूल जाती है।

तीसरी मंजिल पर भर्ती बेटी के कमरे की खिड़की खोलकर जैसे ही लापरवाह गैर जिम्मेदार आलसी संतोष संतरा खाकर संतरे के छिलके कूड़ेदान में फेंकने की जगह खिड़की से बाहर फेंकती है, तो बाहर तेज आंधी चलने की वजह से तेज हवा कमरे के अंदर घुस जाती है, तो हीटर पर रखा कपड़ा आग पड़कर हवा से उड़कर कमरे के पर्दे को जला देता है।

कमरे का पर्दा जलने से आग पहले अस्पताल के कमरे में फैलती है, फिर तेज आग फैलने के बाद आधे से ज्यादा अस्पताल चलकर राख हो जाता है, लेकिन ऊपर वाले का शुक्र होता है कि माल के नुकसान के अलावा किसी की जान नहीं जाती है।

और जब संतोष की बेटी अस्पताल से तंदुरुस्त होकर अपने घर आ जाती है, तो मोहल्ले का वर्मा खराब होने की वजह से संतोष नदी पर कपड़े धोने जाती है और कपड़े धोने के बाद उफान खाती नदी में लापरवाही गैर जिम्मेदारी से नहाते वक्त डूब कर मर जाती है।

इसलिए समझना चाहिए हमारी गैर जिम्मेदारी लापरवाही हमारी सबसे बड़ी दुश्मन हमारे हमारेे अपनों और अनजान लोगों के लिए भी है।