माता पिता के स्वर्गवास के बाद हरि ओम को उसके बड़े भाई अमर सिंह और भाभी विमला ने पाल पोस कर बड़ा किया था। हरि ओम पढ़ाई लिखाई में थोड़ा कमजोर था, लेकिन उसको दुनियादारी की बहुत अच्छी समझ थी, और वह सबकी भावनाओं की भी कदर करता था।
हरिओम की भाभी अपनी छोटी बहन लाजवंती से हरिओम का विवाह करवाती है। लाजवंती अपने नाम जैसे ही सीधी-सादी और शर्मीली युवती थी।
उसके बड़े भाई अमर सिंह के दो पुत्र थे। अमर सिंह के दोनों पुत्र लालची बेईमान थे।
अमर सिंह के निधन के एक बरस बाद के उसकी पत्नी विमला का भी निधन हो जाता है।
अपने माता पिता के स्वर्गवास के बाद दोनों पुत्र चाचा हरिओम की बिना मर्जी जाने जमीन जायदाद का बंटवारा कर देते हैं।
और बंटवारे में चाचा हरिओम को पुराना टूटा फूटा मकान 15 बीघा बंजर भूमि चार बुढ़िया गाय दस हजार रुपए एक सूखा हुआ पांच आम के पांच अमरूद के पेड़ देते हैं।
और खुद दोनों लालची बेईमान अमर सिंह के दोनों बेटे खेती की जमीन हवेली आम अमरूद के बहुत से बाग सौ गाय भैंस सोना चांदी चालीसा लाख रुपए आपस में बांट लेते हैं।
सबसे पहले हरि ओम और उसकी पत्नी लाजवंती पुराने टूटे-फूटे मकान को रहने लायक बनाते हैं। और अनाज खाने पीने का समान शहर के बाजार से खरीद कर घर लाते हैं। उनके दस हजार रुपए इस काम में खर्च हो जाते हैं।
हरिओम के सामने सबसे बड़ी समस्या थी, बंजर भूमि को उपजाऊ भूमि बनाने की इसके लिए उसको बहुत से धन की आवश्यकता थी।
इस असंभव काम को संभव बनाने के लिए वह अपने दोनों भतीजों से कुछ धन उधार मांगने जाता है।
पहला भतीजा बिना ब्याज पर धन देने की एक शर्त रखता है। और अपने चाचा हरिओम से कहता है कि "मेरे साले पर एक जौहरी के घर से हीरे की अंगूठी चोरी करने का इल्जाम है। वह चोरी का इल्जाम आप अपने ऊपर ले ले तो जो हीरे की अंगूठी जौहरी के घर से उसने चोरी की है, वह अंगूठी मेरा साला आपको दे देगा, आप उस हीरे की अंगूठी को जौहरी को वापस दे देना मैं और मेरा साला मिलकर जौहरी को समझा-बुझाकर पुलिस तक बात नहीं पहुंचने देंगे, सिर्फ आपका मेरी ससुराल अपमान होगा।"
पहले भतीजे की बात सुनने के बाद हरिओम दूसरे भतीजे के पास उधार पैसे मांगने जाता है। दूसरा भतीजा भी उधार पैसे देने की एक शर्त हरिओम के सामने रखता है, और हरिओम से कहता है कि "पिताजी के पास गांव वालों ने चंदा इकट्ठा करके बहुत सा धन जमा करवाया था। गांव के पास मंदिर और धर्मशाला बनवाने के लिए पिताजी की मृत्यु के बाद मैंने वह सारा धन एक नाचने वाली को दे दिया था, क्योंकि वह मेरे बच्चे की मां बनने वाली थी और अगर मैं उसे सारा धन नहीं देता, तो वह गांव वालों और मेरी पत्नी को सबको बता देती और मेरे खिलाफ पुलिस रिपोर्ट भी करती। गांव के लोग रोज मुझसे वह पैसे वापस मांगने आते हैं। इसलिए मेरे इस कुकर्म का इल्जाम आप अपने ऊपर ले ले, तो मैं आपको पैसे दे दूंगा और वापस भी नहीं लूंगा।
दोनों भतीजे की शर्त से निराश होकर हरिओम गांव के एक अमीर व्यक्ति के पास कर्जा मांगने जाता है। वह अमीर व्यक्ति ही कर्ज के बदले एक शर्त हरिओम के सामने रख देता है, कि "अगर तुम्हारी सुंदर पत्नी एक रात मेरे साथ सो जाएगी, तो मैं तुम्हें बिना ब्याज के कर्ज दे दूंगा और जब तक तुम्हारे पास पैसे इकट्ठा ना हो जाए तब तक पैसे वापस भी नहीं मांगूंगा।"
उन तीनों कि शर्त से निराश होकर घर आकर हरिओम अपनी पत्नी को सारी बात बताता है। पत्नी को सारी बात बताने के बाद पत्नी से कहता है कि "मैं किसी भी कीमत पर अपना स्वाभिमान नहीं बेंच सकता हूं।"
और वह सुबह जल्दी उठकर अपने आम अमरूद के पेड़ों से आम अमरूद तोड़कर शहर बेचने चला जाता है।
शहर में आम अमरूद बेचकर उसे जो पैसे मिलते हैं, वह उन पैसों से बुढी गायों के लिए पौष्टिक आहार पत्नी और अपने लिए चावल खरीदता है।
दूसरे दिन उसकी पत्नी भी आम अमरूद तोड़ने में हरिओम की मदद करती है। ऐसा करके वह दस पेड़ों के आम अमरूद बेचकर चारों बुढ़िया गायों को पौष्टिक आहार खिला खिला कर बुढ़िया से जवान कर देते हैं।
और खुद दोनों पति पत्नी रोज पानी मिलाकर चावल से अपना पेट भरते हैं चारों गाय एक-एक बछिया को जन्म देती है। और चारों बछिया भी कुछ वर्ष में गाय बन जाती है।
और दूध बेच बेच कर हरिओम उसकी पत्नी बहुत सा धन इकट्ठा कर लेते हैं। उसके बाद हरिओम बंजर भूमि पर खेती की शुरुआत करता है। तो इतनी अधिक वर्षा होती है कि बंजर भूमि पर खरपतवार उग आता है। हरिओम किराए पर ट्रैक्टर लेकर बंजर भूमि को जोत कर उस भूमि में गन्ने की खेती करता है। अधिक वर्षा होने की वजह से सूखे कुएं की खुद सफाई हो जाती है। और सूखा कुआं पानी से लबालब भर जाता है।
हरिओम उस कुएं में मछली पाल कर मछली बेचना शुरू कर देता है। हरिओम की अधिक वर्षा होने से सिंचाई की समस्या भी हल हो जाती है। और उसकी गन्ने की फसल गांव में सबसे अच्छी होती है।
आम अमरूद के पेड़ आम और अमरुद से लद जाते हैं। गाय का दूध मछली के व्यापार से भी उसे बहुत अधिक लाभ होने लगता है।
सारी समस्याएं और गरीबी दूर होने के बाद वह एक पुत्र का पिता भी बन जाता है। और हरिओम ईश्वर को धन्यवाद करके अपनी पत्नी से कहता है कि "आज मुझे यकीन हो गया है, कि मनुष्य जब अपने स्वाभिमान की रक्षा खुद करता है, तो ईश्वर उसकी मदद अवश्य करता है।"
फिर अपनी पत्नी को समझाते हुए उससे कहता है कि "धन क्रोध इश्क लज्जा ले जाए, स्वाभिमान मान सम्मान दिलाए।