रंजीत की सबसे अच्छी दोस्त उसके पड़ोस में रहने वाली ममता थी। यह दोनों बचपन के बहुत अच्छे दोस्त थे।
रंजीत को पता भी नहीं चला था, कि उसे कब ममता से इश्क हो गया था। रंजीत तो ममता से सच्चा प्रेम करता था, लेकिन रंजीत को यह नहीं पता था, कि ममता उससे प्यार करती है या नहीं।
रंजीत बहुत शर्मिला युवक था। उसने कई बार ममता से उसके दिल की बात जानना चाहिए लेकिन अपने शर्मीले स्वभाव की वजह से वह कभी सफल नहीं हो पाया था।
रंजीत और ममता पड़ोसी थे, और एक ही विद्यालय में एक ही कक्षा में पढ़ते थे।
आखिरी एग्जाम खत्म होने के बाद ममता अपनी कक्षा की सहेली के घर घूमने जाती है। उस दिन उसकी दोस्त पलक के बड़े भाई कैलाश से उसकी दोस्ती हो जाती है। कैलाश देहरादून के कॉलेज में पढ़ता था, और वहीं देरादून के हॉस्टल में रहता था। वह कॉलेज की छुट्टियों में अपने घर आया हुआ था।
कैलाश ममता की नज़दीकियां रंजीत को बिल्कुल भी पसंद नहीं आती थी, इसलिए रंजीत ममता पर 24 घंटे नजर रखने लगता है।
और एक दिन ममता और कैलाश की आपस में प्यार भरी बातें सुनकर उसका दिल टूट जाता है।
उस रात रंजीत बिना खाए पिए सोने चला जाता है, और उस रात ममता का चेहरा रंजीत की आंखों के सामने बार-बार घूमता रहता है। रंजीत को यह सोचकर रोना आ रहा था, कि उसके बचपन का प्यार उससे अब हमेशा के लिए जुदा हो जाएगा।
इसी उधेड़बुन में ममता की एक बात उसके कानों में गूंजने लगती है, कि ममता से जब कैलाश ने कहा था कि "मैं तुमसे इतना प्यार करता हूं, कि अगर तुम कहो तो मैं तुम्हारे लिए आसमान से चांद सितारे भी तोड़ कर ले आऊंगा।"
और फिर ममता ने कैलाश से कहा था कि "चांद तारे नहीं मेरे लिए अगर तुम काला गुलाब ले आओगे तो मैं समझूंगी तुम मेरे सच्चे आशिक हो।"
रंजीत उसी समय अपने मन में ठान लेता है, कि मैं ममता को साबित करके दिखाऊंगा कि मैं ममता का सच्चा आशिक हूं। और रंजीत आधी रात को खाली जेब उन्हीं कपड़ों में घर में बिना बताए चुपचाप काला गुलाब ममता के लिए लेने अपने घर से निकल जाता है।
पूरे उत्तराखंड में काला गुलाब ढूंढते ढूंढते उसे पूरे दै महीने गुजर जाते हैं। लेकिन उसे कहीं भी काला गुलाब नहीं मिलता है।
उसे कहीं भी कभी भी कोई मेहनत मजदूरी का काम मिलता था, तो वह अपना पेट भरने के लिए वह काम कर लेता था।
दो महीने के बाद उसे एक बगीचे के माली से पता चलता है कि काला गुलाब चंडीगढ़ के रोज गार्डन में मिल सकता है।
उसकी जेब में ₹1 भी नहीं था, फिर भी वह भूखा प्यासा पैदल चंडीगढ़ पहुंच जाता है।
और चंडीगढ़ के रोज गार्डन के माली को अपने सच्चे प्रेम की कहानी सुनाता है।
रोज गार्डन के माली को रंजीत कि प्रेम कथा के एक-एक अल्फाज में सच्चाई नजर आती है, इसलिए वह अपने सीनियर अफसर को रंजीत की प्रेम कथा सुनाता है।
रोज गार्डन का सीनियर अफसर रंजीत के सच्चे प्रेम की कदर करके उसे बगीची से काला गुलाब तोड़ कर दे देता है।
रंजीत उसी समय बिना कुछ सोचे समझे कभी दौड़ कर कभी पैदल चलकर बीस दिन में उत्तराखंड अपने गांव पहुंच कर सबसे पहले काला गुलाब हाथ में लेकर ममता के घर जाता है।
और ममता के हाथों में काला गुलाब देने के बाद भूख प्यास कमजोरी कि वजह से बेहोश हो जाता है।
और रंजीत को जब होश आता है, तो वह अपने और ममता के परिवार के लोगों से चारों तरफ से घिरा हुआ था।
रंजीत को देख कर सब को बहुत खुशी हो रही थी, और बिना बताए घर छोड़ के जाने से सब उससे नाराज भी हो रहे थे।
रंजीत और ममता के परिवार वाले रंजीत से घर छोड़कर बिना बताए घर से भागने का कारण पूछते हैं?
तो रंजीत सबके सामने कहता है कि "मैं ममता का सच्चा आशिक हूं, यह बात साबित करने के लिए मैं ममता के लिए काला गुलाब ढूंढ कर लेने गया था।
यह सुनकर सब रंजीत की बेवकूफी पर हंसने लगते हैं।
रात को ममता अकेले में रंजीत को अपनी छत पर बुलाकर उससे कहती है कि "मुझे पता है, कि तुम मुझसे बहुत प्यार करते हो और मुझे यह भी पता है कि कैलाश से मेरा मिलना जुलना तुम्हें बिल्कुल भी पसंद नहीं आता था। कैलाश से मिलकर मैं तुम्हें चिड़ाती थी, ताकि तुम अपने प्यार का इजहार मेरे से मेरे सामने अपने मुंह से खुद करो। लेकिन काले गुलाब की बात तो मैंने मजाक में कही थी और कुछ भी हो तुमने साबित कर दिया कि तुम मेरे सच्चे आशिक हो और आज मेरे अलावा पूरी दुनिया के सामने तुमने कह दिया कि तुम मुझसे कितना प्यार करते हो।"